Thursday, March 2, 2023

कहां से कहां तक

    रति की विख्यात मॉडल तथा अभिनेत्री बनने की प्रबल चाह थी। मध्यप्रदेश के एक छोटे शहर मेें उसने जन्म लिया था। बी.काम. करने के बाद उसकी मायानगरी मुंबई जाने की तमन्ना जोर मारने लगी। यहीं उसके सभी सपने साकार हो सकते थे। महाराष्ट्र की उपराजधानी, संतरा नगरी में उसके मामा रहते थे। स्कूल और कॉलेज की उसकी छुट्टियां मामा के यहां ही बीतती थीं। अब तो नागपुर में भी फिल्में बनने लगी थीं। ‘झुंड’ फिल्म का निर्माण भी नागपुर में ही हुआ था, जिसमें सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ स्थानीय कलाकारों ने अत्यंत प्रभावी भूमिका निभायी। बी.काम. कर लेने के बाद रति ने मामा के यहां नागपुर रहते हुए नौकरी की तलाश शुरू कर दी। वह नहीं चाहती थी कि मामा को उसके कारण आर्थिक संकट का सामना करना पड़े। वे किसी थोक कपड़े की दुकान में सेल्समैन थे। तनख्वाह घर गुजारने लायक ही थी। इसी दौरान उसकी शामू नामक युवक से एम्प्रेस मॉल में मुलाकात हो गई। बातों ही बातों में शामू ने रति को बताया कि उसकी फिल्मी दुनिया के नामी-गिरामी फिल्म निर्माताओं से अच्छी-खासी पहचान है। उसने तीन-चार युवतियों को फिल्मों तथा टीवी सीरियल में काम दिलवाया है। आज वे लाखों में खेल रही हैं। अपने सपनों को फटाफट साकार करने को आतुर 21 वर्षीय रति शामू की फरेबी बातों में आ गई। उसने शामू को बताया कि उसके माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। पांढुर्णा से नागपुर आने के लिए भी अक्सर उसके पास रेल टिकट के लिए समुचित पैसे नहीं रहते। फिलहाल वह चाहती है कि उसे कोई छोटी-मोटी नौकरी मिल जाए, जिससे वह नागपुर में कोई छोटा-मोटा कमरा किराये पर लेकर बेफिक्र रह सके। शामू ने रति पर कोई ऐसा जादू चलाया, जिससे वह उस पर बेहद भरोसा करने लगी। दोनों शहर के बाग-बगीचों तथा यहां-वहां बैठकर घण्टों बातें करते। शामू उसके सपनों में नये-नये रंग भरता रहता। एक शाम शामू ने उसे किसी बार में ले जाकर बीयर का स्वाद चखाया और फिर उसे चुटकियों में धन कमाने का आसान मार्ग सुझाया। पहले तो रति ने देह के धंधे में कदम रखने से इनकार कर दिया, लेकिन जब शामू ने उससे कहा कि तुम अधिकांश हीरोइनों को पर्दे पर नाचते-झूमते देखती चली आ रही हो वे सभी फिल्म निर्माताओं और अभिनेताओं को अपनी देह की सौगात दे चुकी हैं। इसके बिना अभिनेत्री तो क्या अदनी-सी मॉडल बनना भी संभव नहीं। 

    रति ने अपना निर्णय बताने के लिए दो दिन का वक्त मांगा। वह रात भर चिन्तन-मनन करती रही। खुद को समझाती भी रही। चाहे कुछ भी हो जाए उसे टी.वी. और फिल्मी पर्दे पर चमकना ही है। शामू गलत तो नहीं हो सकता। वैसे उसने भी कितनी बार विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ा ही है कि अधिकांश युवतियों को अभिनेत्री बनने के लिए ‘देह-दान’ के दस्तूर को निभाना ही पड़ता है। वह उनसे अलग तो नहीं। रति की स्वीकृति ने शामू को गद्गद् कर दिया। दोनों ने तुरंत शहर के एक बदनाम होटल के कमरे में डट कर शराब पी। जब रति नशे में धुत हो गई तो शामू चुपचाप कमरे से खिसक गया। सुबह जब रति की आंख खुली तो उसने खुद को अस्त-व्यस्त बिस्तर पर निर्वस्त्र पाया। उसके बाद तो रति की हर रात विभिन्न होटलों में किसी न किसी अनजान धनवान अय्याश पुरुष के संग बीतने लगी। कुछ महीनों के बाद रति ने होटल के उसी कमरे को ही अपना स्थायी ठिकाना बना लिया, जहां से उसके देह व्यापार की शुरुआत हुई थी। दो साल में रति के पास कार भी आ गई। उसने खुद का आलीशान फ्लैट भी खरीद लिया। यदाकदा जब वह कभी पांढुर्णा अपने माता-पिता से मिलने जाती तो उन्हें यही बताती कि वह नागपुर के नामी-गिरामी उद्योगपति के यहां कार्यरत है। जहां उसे हर माह मोटी पगार मिलती है। माता-पिता भी बेटी की तरक्की से बहुत खुश हुए। उन्होंने बेटी के लिए किसी योग्य लड़के की तलाश भी शुरू कर दी। कहावत है कि पाप का घड़ा एक दिन तो फूटता ही है। रति एक रात जब शहर के फाइव स्टार होटल में किसी देहभोगी ग्राहक के साथ नशे में हमबिस्तर थी तभी वहां पुलिस का छापा पड़ गया। एक बारगी तो रति को यकीन ही नहीं हुआ। शामू तथा होटल के मैनेजर ने उसे यकीन दिलाया था कि शहर के इस इकलौते फाइव स्टार होटल में छापे-वापे पड़ने का तो सवाल ही नहीं उठता। पुलिस वालों को नियमित हफ्ता भेज दिया जाता है। बड़े-बड़े नेता, अफसर और उद्योगपति बेफिक्री के साथ यहां अपनी रातें रंगीन करते हैं। अखबारों के माध्यम से शहर के छोटे-मोटे होटलों पर खाकी वर्दी की जब-तब गाज गिरने की खबरों से भी वह अच्छी तरह से अवगत हो चुकी थी, लेकिन इस रईसों के होटल पर छापे पड़ने की कोई भी खबर उसके सुनने और पढ़ने में नहीं आई थी। उस रात रति को कुछ घण्टे पुलिस स्टेशन में बिताने पड़े तो बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई। खबर मिलते ही उसके कुछ चाहने वाले भी थाने पहुंच गए। सुबह होते-होते तक वह आजाद हो चुकी थी। एक-दो दिन आराम करने के पश्चात फिर से वह अय्याशों के बंगलों तथा फार्महाऊसों में जाकर उनकी वासना की आग को बुझाने लगी। धन की बरसात ने उसके सभी सपनों का हरण कर लिया था। अपने नाम को पर्दे पर रोशन करने की बजाय माथे पर ऐसा कलंक का टीका लगा चुकी थी, जो अब कभी भी नहीं मिटने वाला था। शामू देह धंधे का अभ्यस्त खिलाड़ी था। रति की तरह उसने न जाने कितनी लड़कियों को वेश्या बनाकर उनकी जिन्दगी नर्क बना दी थी। हमेशा शराब के नशे में गर्क रहने वाली रति देह के धंधे के दलदल में और...और धंसती चली गई। पुलिस की पकड़ा-धकड़ी का भी उसे कोई भय नहीं रहा। उसके पिता तो उसी दिन ही हार्ट अटैक से चल बसे जब उन्हें बेटी की गंदी हकीकत पता चली। मां ने भी बेटी की शक्ल देखने से इनकार कर दिया। उसे उसकी परछाई से भी नफरत हो गई। अत्याधिक शराब पीने की वजह से रति अब कई जानलेवा रोग की शिकार हो चुकी है। होश में तो उसे खुद से डर लगने लगता है। क्या बनने का सपना देखा था और क्या बनकर रह गई। एक अजीब किस्म के भय का हरदम उसके मन-मस्तिष्क में बसेरा रहता है।

    मरीजों की देखरेख और निस्वार्थ सेवा की असीम भावना से वशीभूत होकर मेघा ने नर्स का पेशा चुना था। वह अपना अच्छा-बुरा अच्छी तरह से समझती थी। रोज के अखबार तथा तरह-तरह की किताबें पढ़ने का मेघा को खासा शौक था। किसी ईमानदार परिश्रमी, शालीन रिश्ते से जुड़ने की अभिलाषी मेघा, चंदन को अपना दिल दे बैठी। दोनों शादी किये बिना साथ-साथ रहने लगे। कुछ ही महीनों में चंदन की सज्जनता दुर्जनता में बदलने लगी तो मेघा चिन्ता में पड़ गई। मेघा को पता नहीं था कि चंदन ने अपने चेहरे पर कई नकाब लगा रखे हैं। शराब के नशे में जब उसने उसे पहली बार रात को पीटा तो उसके दिमाग में तंदूर में जला दी गई नैना साहनी, पैंतीस टुकड़े कर दी गई श्रद्धा से लेकर उन सभी युवतियों की दास्तानें हलचल मचाने लगीं, जिन्हें छल-कपट, धोखे का शिकार होना पड़ा। सुबह नशा उतरने के बाद चंदन ने उसके चरणों में माथा रगड़ते हुए जब माफी मांगी थी तो उसे उस पर रहम आ गया था। पांच-सात दिन बाद फिर चंदन के अंदर का शैतान जाग गया था। फिर सुबह उसने माफी मांगी थी। चंदन मेघा से कम कमाता था। किसी सौंदर्य प्रसाधन कंपनी में नौकरी करता था। उसने कई लड़कियों को अपने मोहपाश में बांधकर उनका देह शोषण किया था। उसकी सतायी एक लड़की ने तो मेघा के सामने अपना रोना भी रोया। दिन-पर-दिन बीत रहे थे। चंदन उसके समक्ष कुछ इस तरह से गिड़गिड़ाता, जिससे मेघा को उस पर दया आ जाती। एक दिन तो वह बेशर्मी को ताक पर रखते हुए अपनी किसी प्रेमिका को घर ले आया। रात भर उसने उसे अपने साथ रखा। वह घर के बरामदे में सुबकती रही। अब तो उसने चंदन को छोड़ने का पक्का मन बना लिया था। अपनी पुरानी सहेली वंदना को भी उसने चंदन की शर्मनाक करतूतों के बारे में बता दिया था। वंदना ने भी उसके निर्णय के प्रति सहमति जताते हुए फौरन उससे किनारा करने का सुझाव दिया था। जिस दिन दोनों में यह बातचीत हुई, उसके दूसरे दिन जब वंदना ने मेघा को मोबाइल लगाया तो वह स्विच ऑफ था। दिनभर वंदना चिंतित और परेशान रही। तीसरे दिन अखबारों में उसकी हत्या की खबर पढ़कर वंदना के होश उड़ गए। चंदन ने उसकी नृशंस तरीके से हत्या कर लाश को गद्दे में छिपा दिया था। क्रूर हत्यारा चंदन जब मेघा के शव को पेट्रोल डालकर जलाने जा रहा था तभी पुलिस ने उसे धर-दबोचा। अपनी प्रिय सहेली की मौत से गमजदा वंदना के मन में बार-बार विचार आ रहा था, कि काश! मेघा ने नराधम हत्यारे को उसी दिन छोड़ दिया होता, जिस दिन उसने उसे पहली बार नशे में बेदम पीटा था।

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