Thursday, April 6, 2023

गुनाह की खौफनाक लकीर

    कई बार पढ़ा और सुना है। खुद देखा और अच्छी तरह से महसूसा भी है। पिता और बेटी के पवित्र रिश्ते को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। इतनी बड़ी सृष्टि में जन्म लेने के बाद बेटियां सिर्फ पिता के ही करीब होती हैं। बचपन में उन्हें अपने जन्मदाता की गोद में ही सुकून मिलता है। पिता की निकटता उनके लिए हर तरह की सुरक्षा का आश्वासन होती है। पिता को भी बेटी को अपनी पलकों में बिठाए रखने में जो खुशी मिलती है उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। मनोवैज्ञानिक तो यह भी कहते हैं कि पिता ही बेटी का पहला ऐसा नायक और सच्चा मित्र होता है, जो कभी भी नहीं बदलता। बेटियां चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो जाएं, लेकिन पिता के प्रति उनका यकीन अटल रहता है कि उनका यह ताकतवर आदर्श हीरो उन्हें हर संकट से बचा ले जाएगा। दरअसल, माता-पिता अपने बच्चों की सिर्फ परवरिश ही नहीं करते, उन्हें बेहतर संस्कार देने में भी कोई कमी नहीं करते। उन्हें सतत सही और गलत से अवगत कराते रहते हैं। 

    यह जगजाहिर सच है कि बच्चों को पालने-पोसने में मां की अहम भूमिका होती है। बेटियों का भले ही शुरू से ही पिता के प्रति लगाव और झुकाव रहता है, लेकिन इससे उदार माताओं को कोई आपत्ति नहीं होती। बेटे उनकी इस कमी को पूरा कर ही देते हैं। सच तो यह भी है कि मां और बेटी का रिश्ता भी बड़ा अनमोल तथा प्यारा होता है। मां-बाप को यदि मैं ऐसी रेलगाड़ी कहूं, जो अपनी संतानों को अपनी अंतिम सांस तक सुरक्षित यात्रा करवाते हैं तो गलत नहीं होगा। यह मां-बाप ही हैं, जो बच्चों के लिए कोई भी कुर्बानी देने को हमेशा तत्पर रहते हैं। ऐसे में ऐसा सच...! ऐसी भयावह खबरें? 

    महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर में अपनी ही मासूम अबोध बच्ची से दुष्कर्म कर उसको मौत के घाट उतारने वाले हत्यारे पिता को 20 साल की कठोर कारावास की सज़ा सुनाई गई है। विशेष सत्र न्यायालय के न्यायाधीश को भी जन्मदाता के इस निर्दयी, राक्षसी अपराध ने झिंझोड़ कर रख दिया। फैसला सुनाते वक्त उनके पूरे बदन में कंपकपी-सी छूटने लगी। अपनी जन्मदाता की अंधी वासना की शिकार हुई मात्र पांच साल की बच्ची के दादा-दादी एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए शहर से बाहर गये थे। घर में मां, बड़ा भाई और यह नराधम बाप था, जिसने काफी शराब चढ़ा रखी थी। रोज की तरह नशे में उसने पत्नी को अंधाधुुंध मारा-पीटा। बच्चे रोते-गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन शैतान की गंदी जुबान और हाथ चलते रहे। लिहाजा त्रस्त मां को हमेशा की तरह पड़ोसी के घर शरण लेनी पड़ी। उसके बाद रात करीब 12 बजे जब राक्षस का नशा कुछ कम हुआ तो वह पत्नी और बच्चों को मनाने के लिए पड़ोसी के घर जा पहुंचा, लेकिन पत्नी ने वापस आने से इनकार कर दिया। उसे बड़ा गुस्सा आया। गुस्से-गुस्से में उसने बच्ची को उठाया और घर ले आया। पत्नी पहले तो जैसे-तैसे मान जाती थी, लेकिन इस बार उसके नहीं लौटने की जिद ने उसे गहन संशय और अचम्भे में डाल दिया। इसका कहीं न कहीं किसी के साथ जरूर कोई चक्कर चल रहा है। साली मुझे बेवकूफ समझती है। कुछ देर तक उसने उसकी राह देखी, लेकिन जब वह नहीं लौटी तो गुस्से के साथ-साथ उस पर वासना का भूत सवार हो गया। मासूम बच्ची पिता का यह अकल्पनीय शैतानी रूप देखकर चीखती-चिल्लाती रही, लेकिन बेखौफ जानवर ने उस पर नृशंस बलात्कार कर ही डाला। अगले दिन की सुबह मां ने जब बच्ची को बेसुध हालत में लहूलुहान फर्श पर पड़े देखा तो वह उसे डॉक्टर के पास ले गई। डॉक्टर से भी बच्ची की हालत नहीं देखी गई। बलात्कारी पिता के पास कोई जवाब नहीं था। हालांकि उसने भटकाने की बहुतेरी कोशिशें कीं, लेकिन सच तो अपनी जगह पर कायम था...। 

    मेरठ में एक मां ने तंत्र-मंत्र और प्रेम प्रसंग के फेर में अपने दस साल के बेटे और छह साल की बेटी का खात्मा कर डाला। जननी की हवस और अंधविश्वास की बलि चढ़े दोनों मासूम अपनी मां को दिलो जान से चाहते थे। निशा नामक इस दुराचारिनी की छह साल की बेटी अक्सर डायरी में कुछ न कुछ लिखा करती थी। एक पन्ने पर उसने लिखा, माई मदर इज सो...सो... ब्युटीफुल। उसे कहां पता था कि मां के खूबसूरत चेहरे के पीछे एक और चेहरा छिपा है, जो बेहद क्रूर और घिनौना है। यह हत्यारिन जाने-अनजाने लोगों के कष्ट दूर करने के लिए दुआ कर उन्हें पानी देती थी। उसे यकीन था कि उसकी दुआ से लोगों की तकलीफें दूर होती हैं, उनके बिगड़े काम बन जाते हैं। मनचाही मुरादें भी पूरी हो जाती हैं। दूसरों के उपकार में अंधी हुई निशा के मन में किसी ने यह बात बिठा दी थी कि अगर वह अपने बच्चों की बलि दे देगी तो उसकी रूहानी ताकत में और भी जबरदस्त इजाफा हो जाएगा। उसके दुआओं वाले पानी को पाने के लिए दूर-दूर से लोग आएंगे और चारों तरफ उसके नाम का डंका बजने लगेगा। अंधी वासना के दलदल में धंस कर मां के ममत्व को कलंकित करने वाली निशा को अदालत क्या सज़ा देगी यह तो आने वाला वक्त बतायेगा, लेकिन उसके पति ने कब्रिस्तान में ही तीन तलाक बोल कर उसे हमेशा-हमेशा के लिए अपनी जिन्दगी से दूर कर दिया है। पति के इस निर्णय से वहां पर मौजूद सभी लोग सन्न रह गए। कब्रिस्तान में तलाक बोलने का शायद यह पहला मामला हो सकता है। अमूमन देखा और सुना जाता है कि संगीन से संगीन अपराधी को बचाने के लिए परिजन पूरी तरह से अंधे हो जाते हैं। उन्हें उसके अपराध की जानकारी तो होती है, लेकिन वे उसे बचाने के लिए मजबूत कवच बन एकजुट हो जाते हैं। लेकिन कातिल निशा के मायके वालों का गुस्सा तो ऐसा फूटा कि उन्होंने उससे हमेशा-हमेशा के लिए नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया। सभी ने एक स्वर में यही कहा कि, हम इसकी कोई मदद नहीं करेंगे। निशा के भाई ने उसके मुंह पर थूकते हुए कहा कि सरकार तुरंत इसे फांसी की सजा सुना दे तो मैं खुद इसे फांसी पर लटकाऊंगा। मुझे जल्लाद बनने में कोई हिचक नहीं होगी।

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