Thursday, April 27, 2023

शोहरत पाने की कैसी ललक?

    फटाफट शोहरत पाने के लिए अपहरण, हफ्ता वसूली, हत्याएं, आतंक, लूटमारी और नशे का सैलाब। अपराधियों की उम्र मात्र पन्द्रह से बीस-बाइस साल। इस उम्र में तो उनके हाथ में कापी और किताबें होनी चाहिए। तो फिर इस अनहोनी के लिए कौन हैं असली कसूरवार? और कड़ी से कड़ी सज़ा के भी हकदार...। एक होटल के मालिक को बीते दिनों एक पर्ची मिली, जिसमें लिखा था कि यदि तुमने शीघ्र एक करोड़ रुपये नहीं पहुंचाए तो तुम्हें गोलियों से भून दिया जाएगा। और हां, पुलिस के पास जाने की चालाकी की तो तुम्हारा वो अंजाम होगा, जिसे तुम्हारी कई पीढ़ियां याद रखेंगी। होटल मालिक ने इस पर्ची को नजरअंदाज करना बेहतर समझा। ऐसी धमकियों-चमकियों का आना उनके लिए रोजमर्रा की बात हो चुकी थी। कुछ दिन बाद उनके मोबाइल की फिर घंटी बजी और धमकी भरे अंदाज में कहा गया कि, ‘मैं लारेंस विश्नोई बोल रहा हूं। लगता है तुम पर कुछ ज्यादा ही चर्बी चढ़ गई है। तुमने हमारे खासमखास रोहित गोदारा को कोई चिल्लर गुंडा बदमाश समझ लिया है। तुम्हें पता तो होगा ही मैं बहुत से लोगों को टपका चुका हूं। पंजाब के नामी गायक सिद्धू मुसेवाला को सरेराह टपकाने की खबर तुम ने भी जरूर सुनी होगी। अगर तुम्हें अपनी जान प्यारी है तो वही करो जो तुम से करने के लिए कहा गया है।’ गैंगस्टर विश्नोई तिहाड़ जेल में कैद है। रोहित गोदारा फिलहाल यूरोप में रहता है। उसी ने होटल मालिक को मोबाइल कर खुद को विश्नोई बता कर दहशत का जाल फेंका था। होटल मालिक के अब तो होश उड़ने ही थे। उनके रात-दिन खौफ में कटने लगे। नींद पूरी तरह से छिन गई। देश में ऐसे कई हत्यारे, माफिया हैं, जो खुद तो पर्दे में रहते हैं, लेकिन उनके गुर्गे रईसों को धमका-चमका कर मनचाही वसूली करते रहते हैं। महाराष्ट्र की आर्थिक नगरी, जिसे मायानगरी भी कहा जाता है, वहां पर बीते दौर में माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम, अरुण गवली जैसे का ऐसा आतंक था कि बिल्डर, उद्योगपति, फिल्म निर्माता, फिल्म स्टार आदि उनका इशारा पाते ही नोटों की गड्डियां पहुंचा देते थे। बिहार और उत्तर प्रदेश में धन वसूलने के लिए अपहरण तथा हत्याओं का सिलसिला भी सभी ने देखा है। रेतीला प्रदेश राजस्थान इस रोग से दूर था, लेकिन अब इसने वहां पर महामारी की शक्ल अख्तियार कर ली है। यहां पर जबरन धन वसूली और फिरौती वसूलने वाले नये-नये गिरोह सामने आ रहे हैं। कुछ दिन पूर्व पुलिस ने किसी नाइट क्लब में गोलीबारी करने वाले तीन अपराधियों को गिरफ्तार किया। उनके बारे में अखबारों तथा मुंहजुबानी यह धुआंधार प्रचार किया गया था कि यह खूंखार अपराधी हैं, जबकि हकीकत में तीनों नाबालिग हैं। उनमें से एक डीजे चलाता था, जिसकी उम्र मात्र पंद्रह वर्ष है। गलत संगत में छोटी-सी उम्र में ही वह भटक गया। दूसरा सोलह साल का है, जिसने 11वीं तक पढ़ाई करने के बाद सरकारी नौकरी की तलाश में भटकते-भटकते अपराध की राह पकड़ ली। तीसरे के चेहरे-मोहरे में मासूमियत टपकती है, लेकिन उसके कारनामें अत्यंत क्रूर हैं। बहुत ही छोटी उम्र में बड़े-बड़े अपराध कर गुजरने वाला रोहित गोदारा दाऊद को अपना गुरू मानता है। अनेक युवा उसे अपना आदर्श मानते हैं। उसी की तरह खून-खराबा शोहरत कर आसमान को छूना चाहते हैं। रोहित के माता-पिता को अपने अपराधी बेटे के नाम से ही नफरत हो गई है। वे उसे जन्म देने के अपराध में दिन-रात घुटते रहते हैं। रोहित के गरीब किसान पिता को उसकी करनी का फल भुगतना पड़ रहा है। बुढ़ापे में भी थानों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। कभी जो लोग इज्जत करते थे उन्होंने दूरियां बना ली हैं। रोहित जब पैदा हुआ था तब उन्होंने मिठाई बांटी थी। सीधे और सरल पिता ने बेटे के साधु-संत बनने की कामना की थी। इसलिए उसका नाम रावतदास स्वामी रखा था। संतों जैसे नाम वाले बेटे के कुख्यात अपराधी बनने पर पिता की रातों की नींद उड़ चुकी है। खाकी वर्दी वालों ने भी कह दिया है अपने इस बेटे को अब मरा समझ लो। जब भी वह भारत लौटेगा तो गोलियों से भून दिया जाएगा। 

    कुख्यात हत्यारे, लुटेरे, माफिया और नेता अतीक अहमद के जिस बेटे असद को पुलिस ने गोलियों से भून कर मौत की नींद सुलाया उसकी पैदाइश 2003 की थी। जब उसे ढेर किया गया तब वह मात्र 19 साल का था। अपने बेटे असद को अपने पदचिन्हों पर चलाने के लिए अतीक अहमद ने उसके बचपन से तरह-तरह कोशिशें प्रारंभ कर दी थीं। जिस उम्र में बच्चे खिलौने से खेलते हैं असद हथियारों से खेलने लगा था। अपराधी पिता को शादी-ब्याह में अपने नादान मासूम बेटे से हवाई फायरिंग करवाने में बड़ी खुशी तथा तसल्ली मिलती थी। उसका भरोसा मजबूत होता था कि यह बेटा उसकी विरासत को दमखम के साथ आगे ले जाएगा। असद की स्कूली पढ़ाई लखनऊ के एक स्कूल में पूरी हुई। उसकी वकील बनने की प्रबल चाहत थी। इसके लिए उसे विदेश जाना था। यह भी सच है कि बड़ा वकील बनकर उसे न्याय के पथ पर नहीं चलना था। उसे अपने बाप के फिरौती, लूटमार, हेराफेरी, राजनीतिक डकैती से खड़े किये गए खरबों के साम्राज्य को बचाना और बढ़ाना था। पुलिस सत्यापन में निगेटिव रिपोर्ट आने के कारण पासपोर्ट नहीं बना। बेटे के काला कोट नहीं पहन पाने के सपने के धराशायी होने पर अतीक को बड़ा झटका लगा था। फरवरी के अंत में राजू पाल मर्डर केस के गवाह और दो पुलिस कर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस हत्याकांड में अतीक और उसके बेटे असद के साथ-साथ अशरफ और सात अन्य लोग आरोपी थे। घटना के तुरंत बाद उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़े तीखे अंदाज में माफिया को मिट्टी में मिला देने की घोषणा की थी। अप्रैल का तीसरा हफ्ता आते-आते छह लोग मिट्टी में मिला दिये गए। उमेश पाल पर गोली चलाने वालों में सात की पहचान हुई थी, जिसमें से असद अहमद सहित चार लोगों को पुलिस ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया। अतीक व अशरफ को तीन शूटरों ने तब मार गिराया, जब वे पुलिस हिरासत में थे। आत्म समर्पण करने के बाद तीनों हत्यारों ने कहा कि, अपराध जगत में विख्यात होने के लिए उन्होंने इन दुर्दांत अपराधियों को कुत्ते की नींद सुलाया है। कई छोटे-मोटे अपराधों में हाथ आजमा चुके इन हत्यारों की उम्र भी ज्यादा नहीं है। अतीक अहमद और उसके भाई की तो एक न एक दिन कुत्ते की मौत होनी ही थी। अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन भी कानून से भाग रही है। बेटे, पति और देवर के मरने के बाद भी उसने सामने आने की हिम्मत नहीं दिखाई। अपराधियों का जीवन ऐसे ही गुजरता है। उन्हें कब पछतावा होता होगा, कौन जानें, लेकिन ऐसा जीना, जीना तो नहीं। कम-अज़-कम उन्हें जरूर सबक लेना चाहिए, जिन्हें लगता है कि अपराध की राह पकड़ कर सुख-शांति से रह लेंगे...।

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