अभी तक तो यही पढ़ने-सुनने में आ रहा था कि किसी प्रवचनकर्ता के यहां उमड़ी भीड़ में भगदड़ मचने के कारण पच्चीस-पचास श्रद्धालु चल बसे। मंदिर में पूजा करने के लिए इस कदर लोग जमा हो गए कि, उन्हें संभलना मुश्किल हो गया और फिर लोग एक दूसरे को कुचलते चले गए और बहुत भयावह हादसा हो गया। विभिन्न मेले-ठेलों में भी भीड़ के बेकाबू होने के कारण मौते होने की खबरों से हम और आप अक्सर रूबरू होते रहते हैं। कुंभ मेले में हुई भगदड़ के कारण हुई मौतों को तो कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस ऐतिहासिक आयोजन में तीस से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ में दब-कुचलकर मौत हो गई। यह सरकारी आंकड़ा था। सरकारी आंकड़े अक्सर विश्वसनीय नहीं होते। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मृतकों की संख्या 100 से ज्यादा थी। क्रिकेट की वजह से इस तरह से जानें जाने की खबर हमने तो पहली बार सुनी। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की जीत के जश्न ने 11 क्रिकेट प्रेमियों की जान ले ली और लगभग 40 लोगों को घायल होकर अस्पताल की शरण लेनी पड़ी। अधिकांश भारतीयों की क्रिकेट के प्रति दीवानगी से सभी वाकिफ हैं, लेकिन आईपीएल चैंपियन बेंगलुरुरॉयल चैलेंजर्स की विजय परेड के दौरान चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास मची भगदड़ में हुए हादसे ने सभी के दिल को दहला और रूला दिया। अनियंत्रित भीड़ की अफरातफरी में अपनी सदा-सदा के लिए जान खोने वाली देवी नामक युवती क्रिकेट और विराट कोहली की जबरदस्त प्रशंसक थी। शहर में होने वाला कोई भी क्रिकेट मैच मिस नहीं करती थी, लेकिन बेंगलुरु रॉयल चैलेंजर्स की विक्ट्री परेड वाले दिन वह टिकट से वंचित रह गई थी। फिर भी अपने दफ्तर के बॉस से मिन्नतें कर उसने छुट्टी ली और अपना लैपटॉप लावारिस हालत में टेबल पर छोड़ फौरन स्टेडियम की तरफ दौड़ पड़ी। खुशी के समंदर में गोते लगाती देवी को उम्मीद थी कि क्रिकेट के नये भगवान विराट कोहली से करीब से मिलने का अवसर उसे जरूर मिलेगा। उसने ऑटोग्राफ बुक भी संभाल कर रख ली थी। देवी ने ऑफिस से निकलते ही अपने दोस्त को मैसेज कर दिया था कि वह स्टेडियम जाने के लिए निकल पड़ी है। यदि उसे भी आना हो तो तुरंत आ जाए। ये देवी की आखिरी आवाज थी, जो उसके दोस्त ने सुनी। उसके बाद तो गमगीन होने के सिवा उसके पास कोई चारा नहीं था। स्टेडियम के बाहर अथाह भीड़ थी। देवी ने टिकट पाने के लिए भी भरपूर हाथ-पैर मारे, लेकिन असफल रही। 40 हजार लोगों की क्षमता वाले स्टेडियम में दो लाख से अधिक भीड़ का जमावड़ा था। फिर भी अति उत्साहित देवी जोखिम लेने पर तुल गई। देवी की तरह हर किसी को स्टेडियम के अंदर जाने की जल्दी थी। इसी बेतहशा भागम-भाग ने ऐसी भगदड़ मचायी कि देखते ही देखते लोग एक-दूसरे पर गिरने और दबने लगे। कुछ लोग ऐसे गिरे कि दम घुटने के कारण उठ ही नहीं पाये। उन्हीं में देवी भी शामिल थी।
जिन 11 लोगों की जान गई, उनमें सभी की उम्र 33 साल से कम थी। इन्हीं में एकमात्र 13 साल का लड़का भी था। इस क्रिकेट के दीवाने बेटे की मौत की खबर सुनकर उसकी मां बार-बार बेहोश होती रही। अब तो उसकी सारी उम्र रो-रोकर बीतने वाली है। इसी तरह से पानीपूरी बेचने वाले एक उम्रदराज पिता ने भी अपने 18 वर्षीय बेटे को क्रिकेट की आंधी में खो दिया। यह संस्कारित बेटा अपने पिता के काम में नियमित हाथ बंटाता था। कई बार जब पिता बीमार होते या शहर से दूर होते तो वह खुद पानीपूरी का ठेला लगाता था। सरकार ने जब अन्य मृतकों के साथ-साथ इस बेटे के लिए भी 10 लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की तो दुखी और निराश पिता के इस कथन ने सभी संवेदनशील भारतीयों के दिल को झकझोर दिया, ‘मैं 1 करोड़ रुपये देने को तैयार हूं, लेकिन क्या इससे मेरा बेटा वापस आ जाएगा?’ इस पिता के उन सपनों की ही हत्या हो गई हैं जो उसने अपने परिश्रमी आज्ञाकारी बेटे के लिए देखे थे। बेटा, पिता के सपनों को साकार करने की राह पर बढ़ रहा था कि अंधी और जुआरी क्रिकेट ने उसकी जान ले ली। स्टेडियम के बाहर धक्का-मुक्की और अफरातफरी होने से जब लाशें बिछ रही थीं, लोग घायल हो रहे थे तब अंदर नाचते-गाते हुए जश्न मनाया जा रहा था। खिलाड़ियों से ज्यादा तो क्रिकेट के दीवानों को मौज-मस्ती सूझ रही थी। जीत की ट्राफी हाथ में लेते ही कप्तान विराट कोहली के फफक-फफक रोने पर कई लोग खुद को आंसू बहाने से नहीं रोक पाये। कोहली और उनकी पत्नी अभिनेत्री अनुष्का शर्मा का अत्यंत भावुक होकर गले लगना उनके प्रशंसकों के लिए यादगार बन गया। सच तो यह है कि करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों का क्रिकेटरों से लगाव कोई नई बात नहीं है। नई बात तो हादसे में हुई 11 लोगों की मौत है। ये मौतें पुलिस के निकम्मेपन और भीड़ प्रबंधन में हुई चूक का नतीजा हैं। इन मौतों ने पूरे देश को गमगीन कर दिया। यदि सुरक्षा इंतजामों में खामियां नहीं होतीं तो दिल दहलाने वाली यह दुर्घटना नहीं होती। क्रिकेट के पहले भगवान सचिन तेंदुलकर के तो होश ही उड़ गए। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ‘बेंगलुरु के स्टेडियम में जो कुछ हुआ, वह दुखद से भी अधिक है। मेरी संवेदनाएं हर पीड़ित परिवार के साथ हैं।’ हरभजन सिंह ने अपना दर्द इन शब्दों में बयां किया, ‘इस घटना ने खेल की भावना पर एक काली चादर डाल दी है।’ फिल्म अभिनेता सुनील शेट्टी ने इन शब्दों में अपनी संवेदना व्यक्त की, ‘खुशी का एक पल...अकल्पनीय घटना में बदल गया। जान गंवाने वालों के बारे में सुनकर मेरा तो दिल ही टूट गया।’ क्रिकेट किंग विराट कोहली को आईपीएल ट्रॉफी हाथ में थामे सारी दुनिया ने रोते हुए तो देखा, लेकिन उन्होंने मृतकों के परिजनों से मिलकर संवेदना और अपनत्व के दो शब्द बोलना जरूरी नहीं समझा! घटना के अगले दिन ही बीवी बच्चों के साथ लंदन के लिए उड़ गए। यह तो निष्ठुरता की इंतिहा और घोर मतलब परस्ती है। क्रिकेट की बदौलत अरबों-खरबों कमाने वाले विराट का दिल अब भारत में नहीं लगता। उन्होंने लंदन में अपना आलीशान आशियाना बना लिया है। वहीं उन्हें सुकून और शांति मिलती है। भारत में तो क्रिकेट के पागल-दीवाने प्रशंसक उन्हें मौका पाते ही घेर लेते हैं। इससे उनका दम घुटने लगता है। हमारे देश के शासक भी बहुत बेरहम, बदतमीज और बेलगाम हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस हादसे को महाकुंभ में मची भगदड़ में जोड़ते हुए यह कहने में देरी नहीं लगायी कि कुंभ मेले में भी तो भगदड़ मचने से 50-60 लोग मारे गए थे...। यह कौन सी बड़ी बात है। जिनकी जवाबदेही बनती है, वही जब अपने बचाव के लिए ऐसे घटिया चौंकाने वाले बयान देने लगें तो आप ही सोचिए कि हादसों और दुर्घटनाओं पर लगाम लगेगी या बेकसूर बस यूं ही कीड़े-मकोड़ों की तरह मरते ही रहेंगे?
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