Thursday, September 16, 2010
बाजारू चेहरे
अपने देश में एक से बढकर एक 'बयानवीर' भरे पडे हैं। नेताओं वाली इस बीमारी से वो सितारे भी अछूते नहीं हैं जो हमेशा मीडिया की सुर्खियों में बने रहते हैं। सलमान खान और शाहरुख खान जैसे कई नायक हैं जिन्हें विवादों में रहने की आदत पड गयी है। तूफानी विवाद उनकी जरूरत और फितरत बन गये हैं। वहीं दूसरी तरफ ऐसे राजनीतिक नायकों की भी कमी नहीं है जो इस इंतजार में रहते हैं कि कब यह सितारे मुंह भर खोलें और यह उन पर अपनी बंदूकें तान दें। ज्यादा वक्त नहीं बीता जब शाहरुख ने किसी पाकिस्तानी क्रिकेटर की पैरवी की थी और देश भर में ऐसे हंगामा बरपा हो गया था जैसे धरती फट गयी हो और आसमान गायब हो गया हो। कुछ चेहरे शाहरुख खान को 'देशद्रोही' के खिताब से नवाजने से भी नहीं चूके थे। शिवसेना ने तो जिद ही पकड ली थी कि शाहरुख माफी मांगे नहीं तो...। शाहरुख अपनी बयान पर अडिग रहे थे। इस विस्मयकारी अडिगता के पीछे उन पंजा छाप राजनेताओं की ताकत थी जो हमेशा इस नायक के साथ खडे नजर आते हैं। इन नेताओं ने शाहरुख का साथ इसलिए भी दिया था क्योंकि भाजपा और शिवसेना की हर बात का विरोध करना उनका 'राजनीतिक धर्म' है। वैसे भी कांग्रेस हो या भाजपा दोनों को नामवर चेहरों की तलाश रहती है। यह 'नाम' कुख्याति की देन हो तब भी कोई फर्क नहीं पडता। तभी तो अपने देश में दस्यू सुंदरी फूलन देवी को चुनाव जितवा कर लोकसभा भवन के अंदर सांसद बनाकर बिठा दिया जाता है...। हत्यारे, बलात्कारी भी इसी काबिलियत के दम पर किसी भी पार्टी का चुनावी टिकट पाने में सफल हो जाते हैं। फिल्मी सितारे इनकी पहली पसंद बन चुके हैं। किसी को कहीं कोई आश्चर्य नहीं होगा जब किसी लोकसभा चुनाव में शाहरुख खान कांग्रेस पार्टी की टिकट पर चुनाव लडते नजर आएंगे। संजय दत्त को देश के सबसे बडे सत्ता के दलाल अमरसिंह ने झटक लिया वर्ना आज वे कांग्रेस के पाले में नजर आ रहे होते। बहन और भाई दोनों की एक साथ तूती बोल रही होती।इन 'सिद्धांतवादी' पार्टियों को इस बात से भी कोई फर्क नहीं पडता कि नामवर चेहरा कैसे-कैसे अपराध कर चुका है। कभी भी वर्षों तक के लिए जेल भेजा जा सकता है। शाहरुख पर किसी भी तरह के अपराध का कलंक नहीं है। पर सलमान खान के अपराधों की लंबी फेहरिस्त है। सलमान खान की फिल्में हिट होती हैं। वे जहां भी जाते हैं लोगों का हुजूम पागलों की तरह उन पर टूट पडता है। पत्रकारों को हीरो की डांट-फटकार और दुत्कार सुनने के बाद भी कोई फर्क नहीं पडता।वे तो अहंकारी और बदतमीज सलमान के ग्लैमर के वशीभूत होकर अपनी गरिमा को भी नीलाम कर देते हैं। पत्रकारों और राजनेताओं को अपनी उंगलियों पर नचाने वाले फिल्मी नायक को खुद के असली नायक होने का जबर्दस्त भ्रम हो चुका है। हाल ही में उसने पाकिस्तान के एक टीवी चैनल से साक्षात्कार के दौरान कह डाला कि 'मुंबई हमलों को इतना तुल इसलिए दिया गया क्योंकि उसमें कुलीन लोगों को निशाना बनाया गया था। अगर गरीब निशाना बनते तो इतनी हाय- तौबा कतई न मचती। अपनी अक्ल के घोडे दौडाते हुए उसने यह भी कह दिया कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ नही था। हमारे देश की सुरक्षा व्यवस्था ही इतनी पंगु है कि बडा हमला आसानी से हो गया। देश में पहले भी इस तरह के कई हमले हो चुके हैं। २६/११ के हमलों को लेकर हाय-तौबा मचाने वाले तब कहां थे?' सलमान के इस बयान के सामने आते ही तीखी प्रतिक्रियाओं का सिलसिला शुरू हो गया। शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने पहले तो बवाल मचाया पर फिर उनके सुर तब ठंडे पड गये जब सलमान ने माफी मांग ली। शिवसेना सुप्रीमो को सलमान की माफी मांगने की अदा इस कदर भायी कि उन्होंने कह डाला कि सलमान शाहरुख से ज्यादा समझदार और भले मानुष हैं। जिन्हें झुकने में शर्म महसूस नहीं होती। वाकई यह अच्छा हुआ कि बडबोले सलमान ने माफी मांग कर लोगों के गुस्से को शांत कर दिया। सलमान यह भूल गये थे कि मुंबई हमला कोई छोटा-मोटा हमला नहीं था। यह तो सीधे-सीधे पाकिस्तान के द्वारा भारत पर किया गया आक्रमण था जिसमें कई भारतीय मारे गये थे। सवाल यह भी है कि सलमान ने कैसे तय कर लिया कि हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ नहीं था? क्या सलमान कसाब को भारतीय नागरिक मानते हैं? पाकिस्तान टीवी चैनल पर अपनी औकात से ऊंचा बयान देने वाले सलमान को यह भरोसा था कि इससे उसकी पाकिस्तान में अच्छी छवि बनेगी। उसकी फिल्मों को जमकर प्रचार भी मिलेगा और बाजार भी। सलमान ने ऊटपटांग बयान देकर अपने मकसद को भुना लिया है। लोग उसे राष्ट्रद्रोही कहें या राष्ट्रप्रेमी इससे उसे क्या फर्क पडने वाला है! वक्त और मौके के हिसाब से कुछ भी बक देना और फिर तमाशा देखना उसका शगल है...।
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