Thursday, November 24, 2011
लीला की लीला
मंत्रियों, सांसदों और विधायकों से यह उम्मीद तो कतई नहीं की जाती कि वे अपराधों को अंजाम देने के मामले में बडे-बडे अपराधियों को भी मात देने लगें। पर हो तो कुछ ऐसा ही रहा है। राजस्थान में एक केबिनेट मंत्री की नीच हरकतें सामने आने के बाद यह भी माना जाने लगा है कि हमारे कई जनप्रतिनिधी ऐसे हैं जो शर्म और नैतिकता को बेच कर बाजार में नंगे होने से भी नहीं कतराते। अय्याशियों के समंदर में डुबकियां लगाने से पहले इनके मन में किंचित भी यह विचार नहीं आता कि इनका असली चेहरा जब सामने आयेगा तो उस जनता पर क्या बीतेगी जिसने उन्हें अपना कीमती वोट देकर विधायक और सांसद बनने का सुनहरा मौका बख्शा है। दरअसल इस मुल्क के कई नेता और नौकरशाह चरित्रहीनता की तमाम सीमाएं लांघ चुके हैं। कुछ का चेहरा बेनकाब हो जाता है और बहुतेरे अपने-अपने मुखौटों में कैद रहते हैं। जब पर्दाफाश होता है तो लोग माथा पीटते रह जाते हैं।उम्रदराज कांग्रेसी नेता महिपाल मदरेणा पर यह कहावत सटीक बैठती है कि कुत्तों को कभी खीर हजम नहीं होती। मदरेणा राजस्थान के केबिनेट मंत्री थे। नैतिकता का दामन थामे रहते तो निश्चय ही उनका भविष्य उज्जवल होता। पर खुद पर संयम नहीं रख पाये और अर्श से फर्श पर पहुंच गये। उनके पास जनस्वास्थ्य विभाग था। नर्स भंवरी बाई उनके पास अपने तबादले के सिलसिले में पहुंची तो वे उसकी समस्या का समाधान करने की बजाय उसकी खूबसूरती और कातिल अदाओं में खोकर रह गये। भंवरी बाई भी खेली-खायी नारी थी। राजनीति के क्षेत्र में भाग्य आजमाने की मंशा भी उसने पाल रखी थी। मदरेणा से मिलने के बाद उसे यकीन हो गया कि यह शख्स उसे कांग्रेस के गढ में कोई-न-कोई जगह जरूर दिलवा देगा। उसने हल्का-सा इशारा पाते ही मंत्री जी को गले लगा लिया और उनकी हर चाहत पूरी कर दी। वासना के पुजारी मदरेणा ने भंवरी के साथ शारीरिक रिश्ते बनाने से पहले यह भी नहीं सोचा कि वह उसकी लडकी की उम्र की है। उसकी एक अच्छी-खासी बीवी भी है जो उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती आयी है।मंत्री से मिलने के बाद भंवरी की तकदीर बदल गयी। उसने अपनी पहचान का दायरा इतना विस्तृत कर लिया कि राजस्थान के और भी कुछ मंत्री और विधायक उसके करीबियों में गिने जाने लगे। नौकरशाहों को भी उसने अपने कामुक जिस्म का स्वाद चखाया और अपना काम निकलवाया। भंवरी के कहने पर कई ठेकेदारों को मनचाहे सरकारी ठेके मिलते चले गये। भंवरी के पास आलीशान घर और कारें भी आ गयीं। हवाई जहाज की यात्राएं भी उसके लिए रोजमर्रा की बात हो गयीं। वाकई भंवरी को वो सब मिल गया जो उसने चाहा था। पर ऐसे रास्तों पर चलने वालों के लिए खतरे भी बहुत होते हैं। फिर भंवरी तो अति महत्वाकांक्षी थी। राजस्थान की विधायक बन मंत्री बनना चाहती थी। पर उसे यह पता नहीं था कि जिस्मखोर मंत्री-संत्री जिनके साथ बिस्तरबाजी करते हैं, उन्हें महज सब्जबाग ही दिखाते रहते हैं। चालाक भंवरी ने सीडी बनाने-बनवाने से लेकर क्या-क्या नहीं किया पर आखिरकार उसका भी वही हश्र हुआ जो अभी तक राजनीति के गलियारों में चहल-पहल करने वालियों का होता आया है। भंवरी गायब है। राजस्थान सरकार की चूलें हिल गयी हैं।देहभोगी अय्याश मंत्री महिपाल मदरेणा को अपना चेहरा दिखाने में शर्म महसूस हो रही है। कल तो जो लोग साये की तरह साथ थे, आज कन्नी काट चुके हैं। हां उनकी पत्नी लीला मदरेणा जरूर उनके साथ हैं। वे पढी-लिखी महिला हैं। उन्हें लगता है कि उनके पति परमेश्वर को फंसाया गया है। मीडिया तिल का ताड बना रहा है। उनके शौहर ने भंवरी से जबरन बलात्कार तो नहीं किया। सबकुछ रजामंदी से हुआ है तो फिर शोर-शराबा किस लिए? पुराने जमाने में राजा-महाराजा भी तो कई-कई स्त्रियों को भोगते थे और मस्त रहते थे। उनके पति ने कोई नया काम तो नहीं किया है। लीला अपने पथभ्रष्ट पति को जिस तरह से बचाने और उसके कर्मकांड को उचित दर्शाने पर तुली हैं उससे उनकी कलुषित मानसिकता का पता चलता है। जो औरत अपने पति को इधर-उधर मुंह मारने की छूट देने की हिमायती है वह खुद कितनी दूध की धुली होगी इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। हम तो बस यही कहेंगे कि अगर सभी नारियां लीला जैसी हो जाएं तो पुरुषों को भटकने और पतित होने तथा नारियों की इज्जत को खतरें में पडने से भगवान भी नहीं बचा सकता...।
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