Thursday, March 7, 2013

रोगी और भोगी जन्मदाता

कुछ खबरें ऐसी होती हैं जिन्हें पढते ही खून खौल उठता है। बेइंतहा शर्मिंदगी भी महसूस होती है। दिमाग में कई सवाल कौंधने लगते हैं। पर फिर भी हम कुछ भी नहीं कर पाते। खुद को एकदम बेबस और असहाय पाते हैं। इस सच्चाई से भला कौन इंकार कर सकता है कि बेटियां अपने पिता के काफी करीब होती हैं। जितना लगाव उन्हें अपने जन्मदाता से होता है उतना और किसी से नहीं। हर पिता की भी यही चाहत होती है कि उसकी लाडली को दुनियाभर की खुशियां नसीब हों। उसकी हर राह फूलो भरी हो। बेटियों के लिए सतत उजालों की चाहत रखने वाले पिताओं की छवि को कलंकित करने वाले उन नराधमों के बारे में क्या कहा जाए और क्या किया जाए जो अपनी हैवानियत से बाज नहीं आ रहे हैं!
शुक्रवार १ मार्च २०१३ को शहर के विभिन्न दैनिक अखबारों में छपी इस खबर ने स्तब्ध करके रख दिया:
शहर के निकट स्थित कोराडी में एक ऐसे हैवान पिता को पुलिस ने गिरफ्तार किया है जो गत कई महीनों से अपनी ही बेटियों को अपनी हवस का शिकार बनाता चला आ रहा था। बेटियों की उम्र १६ और १३ वर्ष के आसपास है। इस व्याभिचारी का नाम रोशन है, जो कि मूलत: मध्यप्रदेश का रहने वाला है। रोजीरोटी की तलाश में कुछ वर्ष पूर्व वह नागपुर आया था और फिर यहीं का होकर रह गया। उसकी पहली पत्नी की बेहद संदिग्ध हालातों में मौत हो चुकी हैं। ५ जुलाई २०१२ को जब उसकी दूसरी पत्नी मायके गयी थी तब वह और उसकी बडी बेटी घर में अकेले थे। वासनाखोर बाप की अपनी ही संतान प‍र नीयत डोल गयी और उसने उस पर बलात्कार कर डाला। यह शर्मनाक जुल्म ढाने के साथ-साथ उसे चाकू और ब्लेड का भय दिखाकर चेतावनी भी दे डाली कि यदि किसी के सामने मुंह खोला तो उसका भी वही हश्र होगा जो उसकी मां का हुआ था। जालिम बाप के खौफ से आतंकित बेटी ने इसे अपना मुकद्दर मान लिया और कुकर्मी बाप की हवस का शिकार होती रही। महीनों तक यह सिलसिला चलता रहा। पाप का घडा एक दिन फूटना ही था। एक रात छोटी बहन ने कामुक बाप को बडी बहन के साथ जबर्दस्ती करते देखा तो वह स्तब्ध रह गयी। उसका बाप उसके साथ भी तो यही कुकर्म करता चला आ रहा था! यानी वह दोनों बेटियों को अपनी जुल्म का शिकार बनाये हुए था! रोशन ने अपनी छोटी बेटी को भी चेताया। उसे भी ऊपर पहुंचा देने की धमकी दी।
छोटी ने जब बडी को सच्चाई से अवगत कराया तो वह बौखला उठी। उसने कभी कल्पना नहीं की थी कि उसका व्याभिचारी बाप इस हद तक नीचे गिर सकता है। अपने साथ हुए अनाचार को तो उसने जैसे-तैसे बर्दाश्त कर लिया था पर छोटी बहन के साथ हुए जन्मदाता के दुष्कर्म ने उसे मुंह खोलने को विवश कर दिया। दोनों बहनों ने एक समाजसेवी को अपने बाप की हैवानियत के बारे में अवगत कराया तो मामला पुलिस स्टेशन तक पहुंच गया और हवसखोर बाप को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। दूसरी खबर ६ मार्च २०१३ की है। इसमें भी अपनी ही बेटी के बलात्कारी बाप की कलंकित दास्तान है। नारंगी शहर नागपुर के निकट के कापसी गांव के रहने वाले आसिफ शेख हफीज शेख की बारह वर्षीय बेटी ने आरोप लगाया है कि उसके बदचलन बाप ने उसे कहीं का नहीं छोडा। पांच माह पूर्व उसे घर में अकेला पाकर अपनी घिनौनी हवस का शिकार बना डाला। उसके बाद तो एक सिलसिला-सा चल पडा। जैसे कि वह अपने ही जन्मदाता के हाथों शोषित होने के लिए ही इस धरती पर जन्मी हो। असहाय बेटी ने कई बार मिन्नतें की। हाथ-पैर जोडे पर निर्लज्ज बाप का कलेजा नहीं पसीजा। उस पर तो वासना का ऐसा भूत सवार था जो दंश पर दंश देने को उतारू था। आखिरकार बेबस बेटी ने मां के सामने अपना मुंह खोला तो उसके भी पैरों तले की जमीन खिसक गयी। बिना कोई देरी लगाये संतप्त मां थाने जा पहुंची।
तीसरी खबर तो और भी चौंकाने और आंख खोलने वाली है। इसी हफ्ते पंजाब के फरीदकोट में एक युवती के साथ कुछ बदमाशों ने उसी के पिता की मौजूदगी में छेडछाड कर दी तो वह इतनी अधिक शर्मसार हुई कि खुद पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा ली। दरअसल इसी सुलगती खबर में पावन रिश्तों का असली सच और दर्द छुपा हुआ है। जब एक बेटी पिता के समक्ष की गयी छेडछाड से इतनी आहत हो सकती है कि वह खुद को आग के हवाले कर देती है तो सोचिए, जब कोई नराधम बाप अपनी बेटी को हम बिस्तर बनने को मजबूर करता होगा तब उस मासूम पर क्या बीतती होगी। क्या वह जिं‍दा लाश बनकर नहीं रह जाती होगी...?
दरअसल बच्चियों और बेटियों पर ऐसे तमाम जुल्मों के ढाये जाने का असली सच और पीडा कभी भी सामने नहीं आ पाता। कुछ ही मांएं ऐसी होती हैं जो अपने पति परमेश्वर के खिलाफ खडे होने का साहस दिखाती हैं। ज्यादातर तो मामले को दबाने और छुपाने का ही काम करती हैं। अपने घर की बहू-बेटियों की इज्जत अपनों के ही हाथो तार-तार होने की जानकारी होने के बावजूद न जाने कितने तथाकथित उच्च घराने भी इसलिए चुप्पी अख्तियार किये रहते हैं क्योंकि मुंह खोलने से उन्हें अपनी इज्जत लुट जाने का भय सताता है। इज्जत बचाने के लिए इज्जत लूटाने का यह खेल पता नहीं कितने छोटे-बडे परिवारों में सतत चलता ही रहता है...।

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