Thursday, September 5, 2013

इतने बुरे दिन...?

आसाराम ने हाथ-पैर तो खूब मारे पर बात बन नहीं पायी। आखिरकार उसे जेल जाना ही पडा। जेल जाने से पहले उसने कई नाटक किये। क्या कुछ नहीं कहा। धमकियां देने से भी बाज नहीं आया चतुर-चालाक कथावाचक। शासन और प्रशासन को डराता रहा। अपने अंधभक्तों को भी भडकाता रहा। पहले कहा कि एकांतवास के लिए जेल है अच्छी जगह। फिर बोल फूटे कि जेल भेजा गया तो शरीर त्याग दूंगा। जेल के अन्न-जल को हाथ भी नहीं लगाऊंगा। पुलिसिया पूछताछ में यह सवाल भी दागा कि पोती जैसी शिष्या के साथ एकांतवास गुनाह है क्या? अपनी गिरफ्तारी से ऐन पहले उसने राजस्थान सरकार को खुली धमकी दे डाली : मदहोश सरकार होश में आओ। ध्यान रखो कि कुछ ही महीने बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। कोई आलाकमान तुम्हें बचा नहीं पायेगा। दुनिया के १६७ देशों में मेरे अनुयायियों की भरमार है। देश भर में फैले मेरे चार करोड भक्त तुम्हारा बाजा बजा सकते हैं। मुझे फंसाओगे तो हर हाल में चुनाव हार जाओगे। किसी फकीर को परेशान करना ठीक नहीं है।
खुद को कानून और अदालत से ऊपर समझने वाला आसाराम आखिर तक लुका-छिपी का खेल खेलता रहा। पीडि‍ता को लेकर द्विअर्थी टिप्पणी-दर-टिप्पणी भी जारी रही। दुनिया को नैतिकता का पाठ पढाने वाले वाचक ने नैतिकता की धज्जियां उडाकर रख दीं। आसाराम पर सरकार और राजनीतिक पार्टियां हमेशा मेहरबान रहीं हैं। इस बार भी उसे यकीन था कि अकूत दौलत और प्रभावशाली शिष्य उसके रक्षाकवच साबित होंगे। आसाराम के एक पुराने साथी जिनका नाम राजू चांडक है, कहते हैं कि उन्होंने राजस्थान में आसाराम को एक महिला के साथ संभोग करते देख लिया था, तभी से उससे घृणा हो गयी। ऐसे और भी कई आंखों देखे किस्से हैं। अहमदाबाद के कई लोगों का दावा है कि यह महापुरुष १९५९ में शराब का धंधा करता था। इसने शराब पीकर परशुराम नाम के व्यक्ति के साथ मिलकर एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी। यह वही आसाराम है जिसपर अहमदाबाद में ही १६ मामले दर्ज हैं। तंत्र साधना के लिए दो बच्चों की बलि देने और आश्रम के नाम पर सीधे-सादे लोगों की जमीने हडपने वाले इस शख्स ने आसुमल से आसाराम बापू तक का सफर जिस चालाकी के साथ तय किया उसका भी भंडाफोड हो गया है। कभी शराब का कारोबार करने वाले आसाराम की सौदागर प्रवृति का इससे बडा सबूत और क्या हो सकता है कि उसने अपने अनुयायियों की संख्या बढने के साथ-साथ अपने धंधो में भी विस्तार करना शुरू कर दिया। पहले आयुर्वेद की दवाओं का कारोबार फैलाया। फिर तरह-तरह के साबुन, शैम्पू, अगरबत्ती, फलो के जूस और पत्र-पत्रिकाओं की दुकानें सजाने और जमीने हथियाने का कीर्तिमान रच डाला।
आसाराम ने अपने धर्म के धंधे को जमाने के लिए एक किताब भी लिखी जिसका नाम है गुरुभक्ति। इस किताब में चतुर आसाराम ने अपने चेलों को सुझाया कि गुरू से कभी भी सवाल-जवाब मत करो। गुरू गलत हो तब भी चुप्पी साधे रहो। इतना ही नहीं उसने अपने शिष्यों को चेताया कि यदि शिष्य गुरू से सवाल-जवाब करता है या फिर गुरू के आदेशों की अवहेलना करता है तो उसके बुरे दिन आने में देरी नहीं लगती। एक दिन ऐसा भी आता है जब वह अपार कष्टों के तूफानों में घिर कर रह जाता है। आसाराम ने इस किताब में यह नसीहत भी दे डाली कि गुरू के आलोचकों के खिलाफ हिं‍सात्मक होना अपराध नहीं है। यानी गुरू जो कहे, जो करे, वही सही। बाकी सब बेकार और गलत। बहादुर आसाराम ने अपने सैनिकों का मनोबल बढाने के लिए यह भी लिखा कि यदि आलोचक दूसरे धर्म का हो तो उसकी जीभ तक काट डालो। नाबालिग से दुष्कर्म करने के पुख्ता आरोप के चलते जैसे ही स्वयंभू संत आसाराम की गिरफ्तारी हुई तो उसके चेले-चपाटे भडक उठे। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एकत्रित होकर ट्रेनें रोक दीं। पीडि‍त लडकी के पिता को आसाराम के समर्थकों ने धमकी दी कि उनके गुरू के खिलाफ सीबीआई की जांच की मांग करने से बाज नहीं आए तो उनकी सात पुश्तें बर्बाद कर दी जाएंगी। खाकी वर्दी को भी खरीदने की कोशिश की गयी। इतना ही नहीं आसाराम के कई अंध-भक्त जोधपुर के अलग-अलग स्थानों पर मीडिया कर्मियों को मार-पीट, शांति भंग और धरना प्रदर्शन कर गिरफ्तार हुए और फिर अदालत के आदेश पर जेल भेज दिये गये, जहां आसाराम कैद हैं। उनकी इस गिरफ्तारी का एकमात्र मकसद अपने भगवान के निकट रहना और उनकी भरपूर सेवा करना है। इस महागुरु की गिरफ्तारी के बाद यह खुलासा हो गया है कि वे लडकियों से अकेले में मिला करते थे। यह उनका शौक था। बाबा रामदेव ने आसाराम का कांड सामने आने के बाद साधु-संतो को तुरंत यह सलाह दे डाली कि वे महिलाओं से एकांत में मिलने से बचें। काश! बाबा ने यह सुझाव पहले दिया होता तो कम से कम आसाराम को इतने बुरे दिन तो न देखने पडते...।

No comments:

Post a Comment