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नई दिल्ली से पुणे जा रही इंडिगो की उडान में एक महिला ने अपने पति की धुनाई कर दी। लात और घूसों से पति परमेश्वर की पिटायी करने वाली महिला का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा था। वह चिल्ला-चिल्लाकर यात्रियों को बता रही थी कि इस कुकर्मी ने तो अपनी बेटी तक को नहीं बख्शा। यह वो दरिंदा है जिसे अपनी बेटी की अस्मत लूटने में कोई शर्म नहीं आयी। जब विमान में सवार यात्रियों और हवाई सुंदरियों ने महिला को ठंडा करने की कोशिश की तो उसका पारा और ऊपर चढ गया। उसकी तमतमाती पीडा इन शब्दों में मुखरित हो उठी- 'यह इंसान दिखने में तो बडा सीधा-सादा है। लेकिन इसकी घिनौनी हरकतें शैतान को भी मात देने वाली हैं। बेटी के साथ दुराचार करने वाला यह वहशी बाप कहलाने का भी हकदार नहीं है। खुद की बेटी को अपनी हवस का शिकार बनाने वाले इस नीच शख्स को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।' सुरक्षा रक्षकों ने जैसे-तैसे उस गुस्सायी मां को अलग सीट पर बिठाया। फिर भी वह गाली-गलोच कर अपनी भडास निकालती रही। पति पूरे सफर के दौरान चुपचाप सिर झुकाए बैठा रहा। दुनिया की कोई भी मां अपनी दुलारी बिटिया के साथ अशोभनीय व्यवहार बर्दाश्त नहीं कर सकती। फिर बलात्कार तो ऐसा पाप है जो जननी की रूह तक को कंपा और रूला कर रख देता है और वह चंडिका बनने में भी नहीं सकुचाती।
वैसे तो हर मां-बाप को बेटियां जान से प्यारी होती हैं। कुछ बाप ऐसे भी होते हैं जिनकी वासना उन्हें हैवान बना देती है। जहां आस्था और विश्वास के रिश्ते कलंकित होने लगते हैं वहां मानवता तो क्या देवी-देवताओं पर से भी विश्वास उठने लगता है। इंसानों और पशुओं में अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है। देश के विख्यात कथा वाचक आसाराम पर देश की एक बेटी ने दुराचार का आरोप लगाया है। ७५ साल के तथाकथित संत के हाथों छली गयी बालिका की अंतहीन पीडा को झुठलाने की साजिशें की जा रही हैं। कोई भी लडकी बेखौफ होकर किसी बडी हस्ती पर ऐसे आरोप नहीं लगा सकती, जैसे आसाराम पर लगे हैं। देश की इस बहादुर नाबालिग बिटिया का कहना है कि बापू अनुष्ठान के बहाने उसे जोधपुर में मणाई स्थित आश्रम में पिछले दरवाजे से अपने कमरे में ले गये थे। उस समय अनुष्ठान के भ्रम में उसके माता-पिता कमरे के बाहर प्रार्थना कर रहे थे। वह तो आसाराम के पास जाना ही नहीं चाहती थी। परिवार वालों की अंधभक्ति ने उसे मजबूर कर दिया और वह तमाशा बन गयी। आसाराम के अंधभक्तों को १६ साल की लडकी छल-कपट और झूठ का प्रतिरूप लग रही है और उम्रदराज गुरू पूरी तरह से सीधा, सच्चा और पाक-साफ। कोई इन भक्तों से पूछे कि यदि उनकी बेटी के साथ ऐसा कुछ हुआ होता तो क्या तब भी वे चुप रह जाते। बापू के साथ खडे रह पाते? यह तो अच्छा हुआ कि लडकी बहादुर निकली। कमजोर होती तो आत्महत्या कर लेती और पूरे देश में हंगामा हो जाता। अपने देश में जिन्दा लोगों की उतनी नहीं सुनी भी जाती। स्वामी नित्यानंद के व्याभिचार के किस्सों को भी देशवासी अभी तक नहीं भूले हैं। कई महिलाओं से रिश्ते रखने वाले नित्यानंद को ५२ दिनों जेल की हवा खानी पडी थी। बाहर आते ही वह अपने प्रवचनों के धंधे में लग गया। भीड भी जुटने लगी। कुछ ढोंगी साधु-संतो के आश्रम आस्था के खंडहर बनते चले आ रहे हैं। मुंबई की शक्ति मिल भी खंडहर में तब्दील हो चुकी थी। इसी उजाड खंडहर में २२ वर्षीय फोटो पत्रकार सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हो गयी। पांच हैवानों की यातना के दंश झेलने के बाद भी युवती का हौसला बरकरार है। यही इस देश की नारी की असली पहचान है। उसका कहना है दुष्कर्म के कहर से जिन्दगी खत्म नहीं होती। उसकी बस यही तमन्ना है कि बलात्कारियों को ऐसी कठोरतम सजा मिले कि वे दोबारा किसी महिला की ओर बुरी निगाह डालने के काबिल ही न रहें।
कुछ महीने पूर्व जब चलती बस में दामिनी पर बलात्कार की खबर से देश दहल उठा था। तब लोग सडकों पर उतर आये थे। हर किसी ने बलात्कारियों को फांसी पर लटकाने की मांग की थी। जिस तरह से सरकार ने बलात्कारियों के प्रति कडे तेवर अपनाने का ऐलान किया था उससे तो यही लगा था कि बलात्कार थम जाएंगे। पर बलात्कारों का तो सिलसिला-सा चल पडा। यह बात भी तय हो गयी है कि बलात्कारी न तो जनआक्रोश से भयभीत होते हैं और न ही कानून से। ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ लोगों को अपनी मर्यादा खोने में फख्र महसूस होता है। जहां पिता ही बेटी की अस्मत का लुटेरा बन जाए और गुरू तथा साधु-संत ही बलात्कारी के चोले ओढने लगें वहां पर कानून को और धारदार होना ही पडेगा। जैसे को तैसे की भूमिका अपनानी ही पडेगी। बलात्कारी चाहे कोई भी हो उसे बिना कोई रियायत दिए फौरन मौत की सजा दी ही जानी चाहिए। यही समय की मांग है। बलात्कारियों के प्रति लोगों में इतना अधिक गुस्सा है कि वे कुछ भी कर सकते हैं। लोग अब कहने भी लगे हैं कि देश में तभी बलात्कार रूकेंगे जब नामी-गिरामी बलात्कारियों को भरे चौराहों पर खडा कर कुत्ते की मौत मारा जायेगा। इनका ऐसा हश्र देखकर आम अपराधी भी सुधरेंगे और बलात्कार करने का जौहर दिखाने से बाज आएंगे।
नई दिल्ली से पुणे जा रही इंडिगो की उडान में एक महिला ने अपने पति की धुनाई कर दी। लात और घूसों से पति परमेश्वर की पिटायी करने वाली महिला का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा था। वह चिल्ला-चिल्लाकर यात्रियों को बता रही थी कि इस कुकर्मी ने तो अपनी बेटी तक को नहीं बख्शा। यह वो दरिंदा है जिसे अपनी बेटी की अस्मत लूटने में कोई शर्म नहीं आयी। जब विमान में सवार यात्रियों और हवाई सुंदरियों ने महिला को ठंडा करने की कोशिश की तो उसका पारा और ऊपर चढ गया। उसकी तमतमाती पीडा इन शब्दों में मुखरित हो उठी- 'यह इंसान दिखने में तो बडा सीधा-सादा है। लेकिन इसकी घिनौनी हरकतें शैतान को भी मात देने वाली हैं। बेटी के साथ दुराचार करने वाला यह वहशी बाप कहलाने का भी हकदार नहीं है। खुद की बेटी को अपनी हवस का शिकार बनाने वाले इस नीच शख्स को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।' सुरक्षा रक्षकों ने जैसे-तैसे उस गुस्सायी मां को अलग सीट पर बिठाया। फिर भी वह गाली-गलोच कर अपनी भडास निकालती रही। पति पूरे सफर के दौरान चुपचाप सिर झुकाए बैठा रहा। दुनिया की कोई भी मां अपनी दुलारी बिटिया के साथ अशोभनीय व्यवहार बर्दाश्त नहीं कर सकती। फिर बलात्कार तो ऐसा पाप है जो जननी की रूह तक को कंपा और रूला कर रख देता है और वह चंडिका बनने में भी नहीं सकुचाती।
वैसे तो हर मां-बाप को बेटियां जान से प्यारी होती हैं। कुछ बाप ऐसे भी होते हैं जिनकी वासना उन्हें हैवान बना देती है। जहां आस्था और विश्वास के रिश्ते कलंकित होने लगते हैं वहां मानवता तो क्या देवी-देवताओं पर से भी विश्वास उठने लगता है। इंसानों और पशुओं में अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है। देश के विख्यात कथा वाचक आसाराम पर देश की एक बेटी ने दुराचार का आरोप लगाया है। ७५ साल के तथाकथित संत के हाथों छली गयी बालिका की अंतहीन पीडा को झुठलाने की साजिशें की जा रही हैं। कोई भी लडकी बेखौफ होकर किसी बडी हस्ती पर ऐसे आरोप नहीं लगा सकती, जैसे आसाराम पर लगे हैं। देश की इस बहादुर नाबालिग बिटिया का कहना है कि बापू अनुष्ठान के बहाने उसे जोधपुर में मणाई स्थित आश्रम में पिछले दरवाजे से अपने कमरे में ले गये थे। उस समय अनुष्ठान के भ्रम में उसके माता-पिता कमरे के बाहर प्रार्थना कर रहे थे। वह तो आसाराम के पास जाना ही नहीं चाहती थी। परिवार वालों की अंधभक्ति ने उसे मजबूर कर दिया और वह तमाशा बन गयी। आसाराम के अंधभक्तों को १६ साल की लडकी छल-कपट और झूठ का प्रतिरूप लग रही है और उम्रदराज गुरू पूरी तरह से सीधा, सच्चा और पाक-साफ। कोई इन भक्तों से पूछे कि यदि उनकी बेटी के साथ ऐसा कुछ हुआ होता तो क्या तब भी वे चुप रह जाते। बापू के साथ खडे रह पाते? यह तो अच्छा हुआ कि लडकी बहादुर निकली। कमजोर होती तो आत्महत्या कर लेती और पूरे देश में हंगामा हो जाता। अपने देश में जिन्दा लोगों की उतनी नहीं सुनी भी जाती। स्वामी नित्यानंद के व्याभिचार के किस्सों को भी देशवासी अभी तक नहीं भूले हैं। कई महिलाओं से रिश्ते रखने वाले नित्यानंद को ५२ दिनों जेल की हवा खानी पडी थी। बाहर आते ही वह अपने प्रवचनों के धंधे में लग गया। भीड भी जुटने लगी। कुछ ढोंगी साधु-संतो के आश्रम आस्था के खंडहर बनते चले आ रहे हैं। मुंबई की शक्ति मिल भी खंडहर में तब्दील हो चुकी थी। इसी उजाड खंडहर में २२ वर्षीय फोटो पत्रकार सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हो गयी। पांच हैवानों की यातना के दंश झेलने के बाद भी युवती का हौसला बरकरार है। यही इस देश की नारी की असली पहचान है। उसका कहना है दुष्कर्म के कहर से जिन्दगी खत्म नहीं होती। उसकी बस यही तमन्ना है कि बलात्कारियों को ऐसी कठोरतम सजा मिले कि वे दोबारा किसी महिला की ओर बुरी निगाह डालने के काबिल ही न रहें।
कुछ महीने पूर्व जब चलती बस में दामिनी पर बलात्कार की खबर से देश दहल उठा था। तब लोग सडकों पर उतर आये थे। हर किसी ने बलात्कारियों को फांसी पर लटकाने की मांग की थी। जिस तरह से सरकार ने बलात्कारियों के प्रति कडे तेवर अपनाने का ऐलान किया था उससे तो यही लगा था कि बलात्कार थम जाएंगे। पर बलात्कारों का तो सिलसिला-सा चल पडा। यह बात भी तय हो गयी है कि बलात्कारी न तो जनआक्रोश से भयभीत होते हैं और न ही कानून से। ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ लोगों को अपनी मर्यादा खोने में फख्र महसूस होता है। जहां पिता ही बेटी की अस्मत का लुटेरा बन जाए और गुरू तथा साधु-संत ही बलात्कारी के चोले ओढने लगें वहां पर कानून को और धारदार होना ही पडेगा। जैसे को तैसे की भूमिका अपनानी ही पडेगी। बलात्कारी चाहे कोई भी हो उसे बिना कोई रियायत दिए फौरन मौत की सजा दी ही जानी चाहिए। यही समय की मांग है। बलात्कारियों के प्रति लोगों में इतना अधिक गुस्सा है कि वे कुछ भी कर सकते हैं। लोग अब कहने भी लगे हैं कि देश में तभी बलात्कार रूकेंगे जब नामी-गिरामी बलात्कारियों को भरे चौराहों पर खडा कर कुत्ते की मौत मारा जायेगा। इनका ऐसा हश्र देखकर आम अपराधी भी सुधरेंगे और बलात्कार करने का जौहर दिखाने से बाज आएंगे।
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