अपने आश्रमों में यौन वर्द्धक दवाइयां बनाने और बेचने वाले प्रवचनकार के बेटे को पुलिस तलाश रही है। बेटे पर भी वही आरोप हैं जिनके चलते सौदागर बाप को सलाखों के पीछे जाना पडा है। गहराई से सोचें तो बडी हैरानी होती है। कोई आम बाप-बेटा होते तो ज्यादा आश्चर्यचकित होने की कोई वजह नहीं थी। दोनों शौकीनों पर विश्वास करने वालों की अच्छी-खासी तादाद है। बाप के अनुयायियों की संख्या तो करोडों में बतायी जाती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या ज्यादा है। यह महिलाएं उसे अपना भगवान मानती रही हैं। कई तो ऐसी भी हैं जिनके पूजाघरों में आसाराम की तस्वीर को खास जगह मिली हुई थी। बेचारी सुबह-शाम नतमस्तक होती थीं। उनकी आस्था और विश्वास को आसाराम ने जो घाव दिये हैं उनका भर पाना असंभव है। देश के दूसरे सच्चे संत भी चिंतित और दुखी हैं। एक कुसंत के कुकर्मो ने पूरी की पूरी संत बिरादरी को सिर झुकाने को मजबूर कर दिया है। न पहले कभी ऐसा देखा गया और न ही सुना गया। खबरें चीख-चीख कर बता रही हैं कि आसाराम तो आसाराम, उसका बेटा, बेटी और पत्नी भी ...छल कपट के प्रतिरूप हैं। इनके छलावी संसार में पावन रिश्तों की गरिमा को सूली पर लटकाया जा चुका है। ऐसे में मन में विचार आता है कि यह लोग एक दूसरे से किस तरह से पेश आते होंगे। क्या इन्हें एक दूसरे से निगाह मिलाते हुए कोई शर्म-वर्म नहीं आती होगी? इस देश के किसी भी साधारण परिवार में जब कोई मुखिया व्याभिचार के दलदल में फंस जाता है तो सभी परिजन उससे दूरियां बना लेते हैं। बाप का बलात्कारी होना संतानों को अंतहीन पीडा देता है। बेटियां तो शर्म के मारे पानी-पानी हो जाती हैं। यह भी हकीकत है कि एक सच्चा हिन्दुस्तानी पिता अपने दुराचारी पुत्र की शक्ल देखना भी पसंद नहीं करता। यहां तो सबके सब कीचड में धंसे लगते हैं। बेटा बाप से दस कदम आगे है। बाप ने अपने दुलारे को शिक्षा ही कुछ ऐसी दी कि वह सिर्फ और सिर्फ देहभोगी बनकर रह गया। होना तो यह चाहिए था कि कपटी कथावाचक को पत्नी दुत्कारती और बहन अपने कामुक भाई को लताडती। पता नहीं इनकी ऐसी कौन सी मजबूरी थी जो यह चुपचाप दुष्कर्मियों की संगी-साथी बनी रहीं।
भारतवर्ष तो एक ऐसा देश है जहां कोई भी वफादार पत्नी अपने बदचलन पति को बर्दाश्त नहीं कर पाती। उसका बेटा अगर बलात्कारी और घोर व्याभिचारी हो तो उसे अपना जीवन ही व्यर्थ लगने लगता है। उसके लिए लोगों को अपना मुंह दिखाना भी मुश्किल हो जाता है। समाज में सिर उठाकर चलने की गुंजाइश ही खत्म हो जाती है। चमगादड का सूरमा लगाने वाले आसाराम का तो पूरा परिवार ही मुखौटेबाज लगता है। अपने भक्तों को अनुशासन, शालीनता और मर्यादा का पाठ पढाने वाले आसाराम ने पतन का जो काला इतिहास लिखा है उसे कोई भी शरीफ आदमी पडना नहीं चाहेगा। भोगी और विलासी आसाराम ने जैसा बोया, वैसा ही काटा है। उसकी लम्बी जेल यात्रा के बाद कुकर्मी बेटे का भी जेल जाना तय है। अफीमची आसाराम ने अपने बेटे का नाम नारायण तो रखा पर वह उसे इंसान भी नहीं बना पाया। उसमें ऐसे-ऐसे कुसंस्कार भर दिये कि वह भोगी और विलासी बन सेविकाओं के साथ बलात्कार कर अपनी मर्दानगी दिखाने लगा। तथाकथित संत से शैतान बने बाप-बेटे ने यह भ्रम पाल लिया था कि उनकी लीलाएं हमेशा पर्दे में ढकी रहेंगी। यह तो अच्छा हुआ कि एक बहादुर लडकी सामने आयी और उसने वासना में डूबे बाप-बेटे का काला चिट्ठा खोलकर रख दिया।
आसाराम के प्रवचनों के सम्मोहन के कट्टर कैदियों के अभी भी होश ठिकाने नहीं आए हैं। राम जाने, इस शख्स ने उन्हें ऐसी कौन सी अफीम खिलायी है जो उनका नशा टूटने का नाम ही नहीं ले रहा है। जैसे-जैसे वक्त बीत रहा है भुक्तभोगियों और प्रत्यक्ष दर्शियो की संख्या बढती चली जा रही है। हवस के पुजारियों ने कितनी नारियों की अस्मत लूटी इसका असली आंकडा तो शायद ही कभी सामने आ पाए। पर क्या यह कम चौंकाने वाली बात है कि आसाराम किसी भी युवती को भोगने से पहले उसे अफीम और अन्य उत्तेजक नशों का गुलाम बनाता था। 'पंचेड बूटी' के आदी एक तथाकथित संत का यह भोगी चेहरा यकीनन भयभीत करता है। पैरों तले की जमीन खिसकने लगती है। आसाराम ने अपने भक्तों के साथ जो अक्षम्य विश्वासघात किया है उसकी तो कभी कोई कल्पना ही नहीं कर सकता था। खुद को कृष्ण-कन्हैया दर्शाते हुए बाप-बेटे भोली-भाली युवतियों को अपनी अंधी और दंभी वासना का शिकार बनाते रहे। अंध भक्त भी अनदेखी कर तालियां बजाते रहे। चढावा चढाते रहे और जाने-अनजाने में अपनी बहू-बेटियो को भोगियों के निशाने पर लाते रहे। किसी ने सच ही कहा है कि पाप का घडा एक न एक दिन भरकर ही रहता है और पापी को अपना मुंह दिखाना भी मुश्किल हो जाता है। फरेबी आसाराम और उसके परिवार की जो दुर्गति हुई है और एक तथाकथित संत का जो शैतानी चेहरा सामने आया है उससे उन लोगों को यकीनन सबक लेना चाहिए जो मुखौटेधारियों की शिनाख्त किये बिना फौरन उनके अंधभक्त बन जाते हैं। यह उम्मीद भी की जा सकती है कि देश को ऐसे धूर्तो से मुक्ति मिलेगी। आसाराम जैसे सभी पाखंडी जेल में नजर आएंगे...।
भारतवर्ष तो एक ऐसा देश है जहां कोई भी वफादार पत्नी अपने बदचलन पति को बर्दाश्त नहीं कर पाती। उसका बेटा अगर बलात्कारी और घोर व्याभिचारी हो तो उसे अपना जीवन ही व्यर्थ लगने लगता है। उसके लिए लोगों को अपना मुंह दिखाना भी मुश्किल हो जाता है। समाज में सिर उठाकर चलने की गुंजाइश ही खत्म हो जाती है। चमगादड का सूरमा लगाने वाले आसाराम का तो पूरा परिवार ही मुखौटेबाज लगता है। अपने भक्तों को अनुशासन, शालीनता और मर्यादा का पाठ पढाने वाले आसाराम ने पतन का जो काला इतिहास लिखा है उसे कोई भी शरीफ आदमी पडना नहीं चाहेगा। भोगी और विलासी आसाराम ने जैसा बोया, वैसा ही काटा है। उसकी लम्बी जेल यात्रा के बाद कुकर्मी बेटे का भी जेल जाना तय है। अफीमची आसाराम ने अपने बेटे का नाम नारायण तो रखा पर वह उसे इंसान भी नहीं बना पाया। उसमें ऐसे-ऐसे कुसंस्कार भर दिये कि वह भोगी और विलासी बन सेविकाओं के साथ बलात्कार कर अपनी मर्दानगी दिखाने लगा। तथाकथित संत से शैतान बने बाप-बेटे ने यह भ्रम पाल लिया था कि उनकी लीलाएं हमेशा पर्दे में ढकी रहेंगी। यह तो अच्छा हुआ कि एक बहादुर लडकी सामने आयी और उसने वासना में डूबे बाप-बेटे का काला चिट्ठा खोलकर रख दिया।
आसाराम के प्रवचनों के सम्मोहन के कट्टर कैदियों के अभी भी होश ठिकाने नहीं आए हैं। राम जाने, इस शख्स ने उन्हें ऐसी कौन सी अफीम खिलायी है जो उनका नशा टूटने का नाम ही नहीं ले रहा है। जैसे-जैसे वक्त बीत रहा है भुक्तभोगियों और प्रत्यक्ष दर्शियो की संख्या बढती चली जा रही है। हवस के पुजारियों ने कितनी नारियों की अस्मत लूटी इसका असली आंकडा तो शायद ही कभी सामने आ पाए। पर क्या यह कम चौंकाने वाली बात है कि आसाराम किसी भी युवती को भोगने से पहले उसे अफीम और अन्य उत्तेजक नशों का गुलाम बनाता था। 'पंचेड बूटी' के आदी एक तथाकथित संत का यह भोगी चेहरा यकीनन भयभीत करता है। पैरों तले की जमीन खिसकने लगती है। आसाराम ने अपने भक्तों के साथ जो अक्षम्य विश्वासघात किया है उसकी तो कभी कोई कल्पना ही नहीं कर सकता था। खुद को कृष्ण-कन्हैया दर्शाते हुए बाप-बेटे भोली-भाली युवतियों को अपनी अंधी और दंभी वासना का शिकार बनाते रहे। अंध भक्त भी अनदेखी कर तालियां बजाते रहे। चढावा चढाते रहे और जाने-अनजाने में अपनी बहू-बेटियो को भोगियों के निशाने पर लाते रहे। किसी ने सच ही कहा है कि पाप का घडा एक न एक दिन भरकर ही रहता है और पापी को अपना मुंह दिखाना भी मुश्किल हो जाता है। फरेबी आसाराम और उसके परिवार की जो दुर्गति हुई है और एक तथाकथित संत का जो शैतानी चेहरा सामने आया है उससे उन लोगों को यकीनन सबक लेना चाहिए जो मुखौटेधारियों की शिनाख्त किये बिना फौरन उनके अंधभक्त बन जाते हैं। यह उम्मीद भी की जा सकती है कि देश को ऐसे धूर्तो से मुक्ति मिलेगी। आसाराम जैसे सभी पाखंडी जेल में नजर आएंगे...।
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