कोई भी देश भक्त राष्ट्र को तोडने की नहीं सोच सकता। हर देशप्रेमी की यही सोच होती है कि देश पहले है... बाकी सब कुछ बाद में। पर कुछ नेता इस सच से सहमत नहीं दिखते। उनपर तो जैसे भाई-भाई को आपस में लडाने और देश को तोडने और छलनी करने का अंधा जुनून सवार है। उनके लिए सत्ता ही सर्वोपरि है। यही लोग शब्दों की तेजाबी बरसात कर रहे हैं जो सजग हिंदुओं और मुसलमानों को झुलसा रही है। यह भी सच है कि भाजपा के ही कुछ नेता नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के सपने को पलीता लगाने पर आमादा हैं। बिहार के एक भाजपाई नेता हैं गिरीराज सिंह जो जहर उगलने के मामले में कुख्यात रहे हैं। वे नवादा संसदीय क्षेत्र से पार्टी के प्रत्याशी हैं। उन्होंने एक चुनावी मंच से भीड को चेताया कि जो लोग नरेंद्र मोदी के समर्थक नहीं हैं वो सावधान हो जाएं। मोदी के पीएम बनने पर सिर्फ भाजपा समर्थक ही मजे में रहेंगे, बाकियों की तो खैर नहीं। उन्हें तो चुनावों के नतीजो के बाद पाकिस्तान ही जाना होगा। जिस मंच से मुसलमानों को यह चेतावनी दी जा रही थी उसी मंच पर भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी भी विराजमान थे। यह महाशय भी कम नहीं हैं। उन्हें तो बिहार के खून में ही जातिवाद के रचे-बसे होने का महाज्ञान मिला है। भाजपा के घोर शुभचिंतक और साथी विश्व हिन्दु परिषद के नेता प्रवीण तोगडिया ने भी एक ही झटके में अपनी तालिबानी मंशा उजागर कर दी। मोदी के गुजरात के भावनगर में आयोजित एक सभा में उन्होंने हिन्दु बहुल इलाकों में बसे मुसलमानों को खदेडने की तरकीब सुझाते हुए कहा कि मुस्लिम परिवारों से ४८ घंटे में घर खाली करने को कहो। अगर वे इसके लिए तैयार न हों तो उनके घर पर कब्जा कर लो और बजरंग दल की तख्ती टांग दो।
बताते हैं कि तोगडिया जब सभा के लिए पहुंचे थे तभी कुछ महिलाएं उनसे मिलने के लिए आयीं। उन्होंने तोगडिया को शिकायती अंदाज में बताया कि उनके मोहल्ले में एक ऐसे मुस्लिम परिवार ने घर खरीदा है जो मांसाहारी है। इससे उन्हें बहुत तकलीफ होती है। तोगडिया वैसे भी मुसलमानों के खिलाफ बोलने के मामले में सुर्खियां पाते रहते हैं। यहां भी उन्होंने हाथ आये मौके को ऐसे लपका कि बवाल मचा कर रख दिया। देश में पहले भी लोकसभा के चुनाव हुए हैं, लेकिन इस तरह से संयम और मर्यादा की धज्जियां उडती नहीं देखी गयीं। शिवसेना के नेता रामदास कदम ने नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में जिस अंदाज में विष उगला उससे यही साबित होता है कि जाति और धर्म की राजनीति करने वालों ने देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नेस्तनाबूत करने की कसम खायी है। रामदास देश को बेहाल कर चुकी सभी समस्याओं को भूल गये। उनके दिमाग में भी पाकिस्तान और मुसलमान छाये रहे। उन्होंने तो ऐलान तक कर डाला कि प्रधानमंत्री बनते ही मोदी बदला लेंगे...। यह तो सरासर गुंडागंर्दी है। ऐसी भाषा तो आतंकी बोला करते हैं। क्या यह मान लिया जाए कि मोदी को लेकर जो कई देशवासियों में भय है वह निराधार नहीं है? फिर भी ऐसे नेता इस सच को जान लें कि इस मुल्क के लोग अमन-चैन के साथ मिलजुलकर रहने के हिमायती हैं। उन्हें जहरीली भाषा बोलने वाले कतई रास नहीं आते। नेता इस हकीकत को कब समझेंगे? यह देश हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, यहुदी आदि सभी का है। इसे आजाद करवाने में सभी का योगदान रहा है। किसी ने भी कुर्बानी देने में कोई कमी नहीं की। इस सच्चाई को जिन्होंने भूला दिया है या भुलवाने का षडयंत्र रचा है वे भारत माता के शत्रु हैं। यह लोग चुनाव भले जीत जाएं पर देशवासियों के दिलों पर कभी भी राज नहीं कर सकते। यह जिस गर्त में डूबे हैं वहां इन्हें थूक और दुत्कार के सिवाय और कुछ भी नहीं मिलने वाला। देश का युवा जाग चुका है। उसके लिए जाति और धर्म कोई मायने नहीं रखते। यह टुच्चे नेता ही हैं जो बार-बार हिन्दु-मुसलमान के बीच दूरियां बनाने के षडयंत्र रचते हैं। इन्हें शायद यह खबर नहीं है कि देश के असंख्य मुसलमान वक्त आने पर हिंदुओं के रक्षा कवच बन जाते हैं। ऐसे हिन्दु भी भरे पडे हैं जो अपने मुसलमान भाईयों के लिए बडी से बडी कुर्बानी देने को तत्पर रहते हैं। विषैले नेताओं से कोई भी खुश नहीं। उनके कारण देश का अमन-चैन खतरे में पडता लग रहा है। खुली हवा में सांस लेने वाले आम नागरिकों के साथ-साथ जेलों में सजा काट रहे कैदी तक नेताओं की भेदभाव की नीति और आतंकी चलन से खफा हैं। एशिया की सबसे बडी जेल तिहाड में बंद कैदी चाहते हैं कि यह टुच्चे नेता जाति और धर्म की राजनीति करने से बाज आएं। जेल में कैद रवि घई की कविता की पंक्तियां हैं :
'धर्म को बांटने वाले इंसान बता तेरी रज़ा क्या है?
तूने ईश्वर को भी ना छोडा, बता तेरी सजा क्या है?
जातिवाद के नाम पर क्यों फैलाते हो आग?
क्षेत्रियता का क्यों अलापते हो राग?
छोड दो इंसानियत का खून करना,
मानवता को तो रहने तो बेदाग।'
हो सकता है कि साहित्य के क्षेत्र के विद्वानों को यह कविता अनगढ लगे। लेकिन जरूरत तो इसके भावार्थ को समझने की है। कई और कैदियों ने भी अपनी चिन्ता और पीडा कविता के माध्यम से व्यक्त की है। उन्हें भी देश के टूटने और बिखरने का खतरा चैन से सोने नहीं देता। वजह हैं यही नेता जो सत्ता के लिए देश की एकता, अखंडता और भाईचारे की बलि चढाने के लिए कमर कस चुके हैं। ऐसे नेता किसी के भी वोट के हकदार नहीं हैं। हम सबको मिलकर इन्हें हराना और सबक सिखाना है। यह मिलजुलकर रहने वालों का देश है जिसका अनुसरण दुनिया के दूसरे देश करते हैं। हर धर्म में अच्छे लोग भी हैं और बुरे भी। धर्म विशेष को अपना निशाना बनाने वालों के मंसूबे कभी सपने में भी पूरे नहीं हो पाएंगे।
बताते हैं कि तोगडिया जब सभा के लिए पहुंचे थे तभी कुछ महिलाएं उनसे मिलने के लिए आयीं। उन्होंने तोगडिया को शिकायती अंदाज में बताया कि उनके मोहल्ले में एक ऐसे मुस्लिम परिवार ने घर खरीदा है जो मांसाहारी है। इससे उन्हें बहुत तकलीफ होती है। तोगडिया वैसे भी मुसलमानों के खिलाफ बोलने के मामले में सुर्खियां पाते रहते हैं। यहां भी उन्होंने हाथ आये मौके को ऐसे लपका कि बवाल मचा कर रख दिया। देश में पहले भी लोकसभा के चुनाव हुए हैं, लेकिन इस तरह से संयम और मर्यादा की धज्जियां उडती नहीं देखी गयीं। शिवसेना के नेता रामदास कदम ने नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में जिस अंदाज में विष उगला उससे यही साबित होता है कि जाति और धर्म की राजनीति करने वालों ने देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नेस्तनाबूत करने की कसम खायी है। रामदास देश को बेहाल कर चुकी सभी समस्याओं को भूल गये। उनके दिमाग में भी पाकिस्तान और मुसलमान छाये रहे। उन्होंने तो ऐलान तक कर डाला कि प्रधानमंत्री बनते ही मोदी बदला लेंगे...। यह तो सरासर गुंडागंर्दी है। ऐसी भाषा तो आतंकी बोला करते हैं। क्या यह मान लिया जाए कि मोदी को लेकर जो कई देशवासियों में भय है वह निराधार नहीं है? फिर भी ऐसे नेता इस सच को जान लें कि इस मुल्क के लोग अमन-चैन के साथ मिलजुलकर रहने के हिमायती हैं। उन्हें जहरीली भाषा बोलने वाले कतई रास नहीं आते। नेता इस हकीकत को कब समझेंगे? यह देश हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, यहुदी आदि सभी का है। इसे आजाद करवाने में सभी का योगदान रहा है। किसी ने भी कुर्बानी देने में कोई कमी नहीं की। इस सच्चाई को जिन्होंने भूला दिया है या भुलवाने का षडयंत्र रचा है वे भारत माता के शत्रु हैं। यह लोग चुनाव भले जीत जाएं पर देशवासियों के दिलों पर कभी भी राज नहीं कर सकते। यह जिस गर्त में डूबे हैं वहां इन्हें थूक और दुत्कार के सिवाय और कुछ भी नहीं मिलने वाला। देश का युवा जाग चुका है। उसके लिए जाति और धर्म कोई मायने नहीं रखते। यह टुच्चे नेता ही हैं जो बार-बार हिन्दु-मुसलमान के बीच दूरियां बनाने के षडयंत्र रचते हैं। इन्हें शायद यह खबर नहीं है कि देश के असंख्य मुसलमान वक्त आने पर हिंदुओं के रक्षा कवच बन जाते हैं। ऐसे हिन्दु भी भरे पडे हैं जो अपने मुसलमान भाईयों के लिए बडी से बडी कुर्बानी देने को तत्पर रहते हैं। विषैले नेताओं से कोई भी खुश नहीं। उनके कारण देश का अमन-चैन खतरे में पडता लग रहा है। खुली हवा में सांस लेने वाले आम नागरिकों के साथ-साथ जेलों में सजा काट रहे कैदी तक नेताओं की भेदभाव की नीति और आतंकी चलन से खफा हैं। एशिया की सबसे बडी जेल तिहाड में बंद कैदी चाहते हैं कि यह टुच्चे नेता जाति और धर्म की राजनीति करने से बाज आएं। जेल में कैद रवि घई की कविता की पंक्तियां हैं :
'धर्म को बांटने वाले इंसान बता तेरी रज़ा क्या है?
तूने ईश्वर को भी ना छोडा, बता तेरी सजा क्या है?
जातिवाद के नाम पर क्यों फैलाते हो आग?
क्षेत्रियता का क्यों अलापते हो राग?
छोड दो इंसानियत का खून करना,
मानवता को तो रहने तो बेदाग।'
हो सकता है कि साहित्य के क्षेत्र के विद्वानों को यह कविता अनगढ लगे। लेकिन जरूरत तो इसके भावार्थ को समझने की है। कई और कैदियों ने भी अपनी चिन्ता और पीडा कविता के माध्यम से व्यक्त की है। उन्हें भी देश के टूटने और बिखरने का खतरा चैन से सोने नहीं देता। वजह हैं यही नेता जो सत्ता के लिए देश की एकता, अखंडता और भाईचारे की बलि चढाने के लिए कमर कस चुके हैं। ऐसे नेता किसी के भी वोट के हकदार नहीं हैं। हम सबको मिलकर इन्हें हराना और सबक सिखाना है। यह मिलजुलकर रहने वालों का देश है जिसका अनुसरण दुनिया के दूसरे देश करते हैं। हर धर्म में अच्छे लोग भी हैं और बुरे भी। धर्म विशेष को अपना निशाना बनाने वालों के मंसूबे कभी सपने में भी पूरे नहीं हो पाएंगे।
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