Thursday, December 10, 2015

राजधानी के जानवर

देश की राजधानी से सटा हुआ है ग्रेटर नोएडा। अच्छी-खासी उद्योग नगरी है। आकाश छूती इमारतों की लम्बी कतारें हैं। भीड-भाड से २४ घण्टे आबाद रहती है यह चमचमाती नगरी। थो‹डे ही फासले पर स्थित है सलेमपुर गुर्जर गांव। शहर भले ही बदल गये हैं, पर गांव नहीं बदले। सुबह का समय था। गांव में सन्नाटा पसरा था। एक लडका गांव के बाहर के कुएं के करीब से गुजर रहा था। उसे 'बचाओ-बचाओ' की आवाजें सुनायी दीं। यह किसी लडकी की दर्दभरी पुकार थी, लेकिन लडके को लगा कि कुएं में कोई भूत है। वह डर के मारे सरपट वहां से भाग खडा हुआ। उसने गांव के लोगों को बताया कि कुएं में भूत है। गांव वाले तुरंत कुएं तक पहुंचे। कुएं में एक लडकी को बुरी तरह से कराहता देख सभी हैरान रह गए। कुएं में रस्सी डाली गयी। लहुलूहान लडकी रस्सी को पकड कर बडी मुश्किल से ऊपर आ पायी। ल‹डकी ने आपबीती बतायी तो गांववालों का खून खौल उठा। वह बारह घण्टे से कुएं में पडी थी। दिल्ली के उत्तम नगर में रहने वाली इस लडकी को पडोस के तीन लडके कार में जबरन खींचकर नोएडा के इस गांव में ले आए। तेरह दिनों तक नराधम उस पर सामूहिक बलात्कार करते रहे। वह किसी तरह से आततायियों के चंगुल से भागने में कामयाब भी हो गयी, लेकिन उसे फिर दबोच लिया गया और उसकी छाती पर गोलियां दाग दी गयीं। शहरी बलात्कारी उसे मृत समझकर कुएं में फेंक बेखौफ चलते बने।
ताराचंद तांत्रिक है। दिल्ली में रहता है। लोग उसे 'गुरुजी' के नाम से जानते हैं। यह सम्बोधन जिस मान-सम्मान का प्रतीक है उसका अंदाजा तांत्रिक ताराचंद को भी रहा होगा। उसकी तंत्र-मंत्र की दुकान ठीक-ठाक चल रही थी। कुछ दिन पहले की बात है। एक युवती की ताराचंद से मुलाकात हुई। वह रहने वाली तो अफगानिस्तान की है, लेकिन फिलहाल दिल्ली में रहकर मॉडलिंग के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्षरत है। ताराचंद ने पहली मुलाकात में ही युवती को हाथ की सफाई का ऐसा खेल दिखाया कि वह उसकी मुरीद हो गयी। ताराचंद ने विदेशी युवती को यकीन दिलाया कि वह अपनी तंत्र-मंत्र की विद्या से उसकी हर समस्या का समाधान कर देगा। वह ऐसा गुप्त अनुष्ठान करेगा जिससे वह रातों-रात देश की जानी-मानी मॉडल बन करोडों में खेलने लगेगी। युवती को मॉडलिंग के क्षेत्र में छाने की जल्दी थी इसलिए वह उसके झांसे में आ गयी। तांत्रिक अनुष्ठान के नाम पर उससे रकम एेंठने लगा। युवती ने पहले अपनी जमा पूंजी लुटायी, फिर अपने दोस्तों से कर्ज लेकर तांत्रिक की धन लिप्सा शांत करने की कोशिश करती रही। यह आंकडा दस लाख से भी ऊपर चला गया। अनुष्ठान के दौरान ही एक दिन उसने भरमायी युवती को नशीला पदार्थ पिलाकर उसकी अस्मत भी लूट ली। धन और देह के भोगी तांत्रिक की लालसाएं बढती चली जा रही थीं। संघर्षरत मॉडल को ठगी का अहसास हो गया। वह अपने रुपये वापस मांगने लगी। तांत्रिक को मॉडल का सजग होना भारी पडने लगा। उसने उसे ठिकाने लगाने की धमकी-चमकी दे डाली। आखिरकार त्रस्त मॉडल ने दिल्ली पुलिस की शरण ली। इसी दौरान देश की राजधानी में एक फैशन डिजाइनर भी गैंगरेप का शिकार हो गयी। मुख्य आरोपी को पुलिस के हत्थे चढवाने में उसकी पत्नी ने ही अहम भूमिका निभायी। इस बलात्कारी की कुछ महीने पहले ही शादी हुई थी। इस बलात्कार कांड में एक नाबालिग शामिल था। युवती जब अपने घर में अकेली सो रही थी तब उसे बेहोश कर निर्मम बलात्कार के दंश से घायल किया गया। जब उसे होश आया तो पकडे जाने के डर से उसका गला दबाकर पेशेवर हत्यारों की तरह उसकी हत्या कर दी गयी। नाबालिग ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया।
२५ साल की फैशन डिजाइनर के बलात्कार और हत्या के इस कांड में नाबालिग की प्रमुख भूमिका ने फिर 'निर्भया कांड' को ताजा कर दिया। १६ दिसंबर २०१२ की वो काली सर्द रात थी जब बलात्कारी दरिंदों ने चलती बस में निर्भया पर बलात्कार करते हुए अमानवीय यातनाओं का भयावह कहर ढाया था और फिर उसके बाद उसे और उसके दोस्त को तडप-तडप कर मरने के लिए चलती बस से सडक पर फेंक दिया था। इस सामूहिक बलात्कार में एक नाबालिग भी शामिल था जिसने खूंखार कुकर्मी की तरह निर्भया के साथ नृशंस बलात्कार किया था। इस दानवी कांड ने समूचे देश को हिलाकर रख दिया था। निर्भया ने तेरह दिनों तक अथाह पीडा झेलने के बाद प्राण त्याग दिए थे। तब देश भर में बलात्कारियों के खिलाफ जो गुस्सा भडका था, वह भी अभूतपूर्व था। राजधानी के जानवरों और हैवानों का शिकार हुई निर्भया पूरे देश को जगा गयी।  बलात्कारियों को भरे चौराहे पर लटका कर फांसी दिये जाने या फिर उन्हें नापुंसक बनाने की मांग ने ऐसा जोर पकडा था कि लगने लगा था कि अब बलात्कारियों की खैर नहीं। जो भी नारी पर जुल्म ढायेगा, किसी भी हालत में बच नहीं पायेगा। जनता के बेकाबू रोष ने सरकार की चूलें हिलाकर रख दीं थीं। नाबालिग बलात्कारी के साथ किसी भी तरह की सहानुभूति दर्शाने वालों को भी जमकर लताडा गया था। लेकिन कानून तो कानून है। नाबालिग को मात्र तीन साल की सजा हुई। १६ दिसंबर २०१५ को उसकी सजा खत्म होने जा रही है। अब उसकी उम्र २१ वर्ष की हो चुकी है। खबरें आ रही हैं कि उसे एक एनजीओ के हवाले कर दिया जायेगा। फिर एक साल बाद वह कहीं भी घूमने और मनमानी करने को स्वतंत्र होगा। बिलकुल वैसे ही जैसे अफगानी युवती की इज्जत लूटने वाला तांत्रिक और उत्तमनगर की लडकी के साथ लगातार १३ दिन तक मुंह काला करने वाले हत्यारों जैसे तमाम दुष्कर्मी बेखौफ कानून को ठेंगा दिखाते हुए 'आजादी' का भरपूर जश्न मनाते फिरते हैं।

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