Thursday, June 15, 2017

कैसे-कैसे नमकहराम

लालू प्रसाद यादव का पूरा खानदान भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा है। बीते हफ्ते लालू के बडे बेटे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने 'दुश्मन मारण जाप' नाम की तांत्रिक क्रिया करवायी। यह क्रिया दुश्मनों के आक्रमणों से बचाव के लिए की जाती है। शत्रुओं का सदा-सदा के लिए खात्मा करने के लिए सात दिन तक किये जाने वाले 'दुश्मन मारण जाप' में रोज चार घण्टे तक तंत्रक्रिया की जाती है। तेज प्रताप ने अपने सरकारी बंगले के कम्पाउंड में बनायी गयी झोपडी में तांत्रिक द्वारा बताये गये मंत्रों का जाप किया। इस दौरान किसी को भी झोपडी के पास फटकने की इजाजत नहीं थी। सारा देश जानता है कि इन दिनों पूरा लालू परिवार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी के 'पोल-खोल कार्यक्रमों' से त्रस्त है। मोदी पता नहीं कहां-कहां से उनकी नामी-बेनामी सम्पत्तियों का पता लगाकर जगजाहिर करने में लगे हैं। तय है कि उन्हें और उन्हीं के जैसे सभी बैरियों का अंत करने के लिए ही लालू-पुत्र को प्राचीन तंत्र-मंत्र विद्या का सहारा लेने की जरूरत आन पडी है।
बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और लालू की धर्मपत्नी राबडी देवी को अपने बेटे तेज प्रताप पर बहुत नाज़ है। उनका कहना है कि मेरा यह दुलारा बहुत सीधा-सादा और धर्म-कर्म का पालन करने वाला एक बेहद संस्कारी इंसान है। वह कोई गलत काम कर ही नहीं सकता। तेज प्रताप बिहार के स्वास्थ्य मंत्री हैं। उन्हें प्रदेश के लोगों की सेहत की उतनी चिन्ता नहीं रहती जितनी कि अपने पिता लालू की। इस संस्कारी मंत्री का मानना है कि हजारों मरीज भले ही डॉक्टरों के अभाव में तडप-तडप कर मर जाएं, लेकिन उनके पिता पर किसी बीमारी की छाया भी नहीं पडनी चाहिए। तीन सरकारी डॉक्टर और दो-तीन नर्सें लालू की सेवा में लगी रहती हैं। तेज प्रताप जनता से नमकहरामी कर सकते हैं, लेकिन अपने पिता से नहीं जिन्होंने उन्हें हर तरह से संस्कारित किया है। पतिव्रता राबडी अपने पतिदेव को भगवान मानती हैं। उनकी निगाह में देश में उनसे बढकर और कोई ईमानदार नेता अभी तक नहीं जन्मा। राजनीतिक शत्रु बेवजह उनके पीछे पडे रहते हैं।
लालू प्रसाद यादव को तो चारा घोटाले में सजा भी हो चुकी है। चुनाव लडने की पात्रता तक खो चुके हैं। फिर भी जब-तब यही हल्ला मचाते रहते हैं कि भाजपा का विरोधी होने के कारण उन्हें और उनके परिवार को परेशान किया जा रहा है। आरजेडी के इस सर्वेसर्वा ने भ्रष्टाचार के नये-नये तरीके इजाद किए हैं। जब वे रेलमंत्री थे तब उन्होंने न जाने कितने बेरोजगारों की जमीन-जायदाद अपने तथा अपनों के नाम करवाकर उन्हें सरकारी नौकरी बख्शी। चुनावी टिकट के बदले भी कई लोगों के बंगले-घर और जमीनें अपने नाम लिखवा लीं। अभी हाल ही में पटना में एक पत्रकार सम्मेलन में भाजपा नेता सुशील मोदी ने कुछ दस्तावेज दिखाए जिसमें यह बात सामने आई कि लालू के नौकर ललन चौधरी ने वर्ष २०१४ में राबडी देवी और बेटी हेमा यादव को एक करोड की सम्पति गिफ्ट में दी थी। ललन पिछले २० वर्षों से लालू के यहां जानवरों को चारा खिलाने का काम करता चला आ रहा है। वह खुद बेहद गरीब है। ऐसे में सवाल उठता है कि उसने राबडी और उसकी बेटी को एक करोड की सम्पत्ति कैसे उपहार में दे दी? सुशील मोदी ने दस्तावेजी सबूत दिखाते हुए खुलासा किया कि २००८ में लालू जब रेल मंत्री थे तो उन्होंने विशुन राय नाम के एक व्यक्ति के परिवार के सदस्य को रेलवे में नौकरी दिलवाई थी और उसके बदले उनकी पटना वाली जमीन ले ली थी। हालांकि उस वक्त जमीन की रजिस्ट्री लालू के नौकर ललन चौधरी के नाम पर हुई थी। बाद में यही जमीन राबडी और बेटी के नाम कर दी गई। हेराफेरी और भ्रष्टाचार की कमाई के मामले में लालू की बेटी मीसा भारती और उसके पति शैलेस कुमार भी पीछे नहीं हैं। पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ८००० करोड रुपये का काला धन सफेद करने के मामले में उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) राजेश अग्रवाल को गिरफ्तार किया। मीसा भारती ने भी आडी-टेडी कमायी से महंगे फार्महाऊस और कई महंगी जमीनें खरीदी हैं। लालू और उनके परिवार के लिए राजनीति महज एक धंधा है। उनका जनसेवा से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। लालू ने अपने दोनों नाकाबिल बेटों को राज्य में नीतीश कुमार की पार्टी जद(यू) के साथ चुनाव जीतकर बडी आसानी से मंत्री बनवा दिया और अपनी पुत्री को राज्यसभा पहुंचा दिया। प्रदेश की लालू भक्त जनता ने तो इनसे अच्छी उम्मीदें लगार्इं थीं, लेकिन ये तो अपने बाप के भी बाप निकले। तीनों ने अल्पकाल में ही भ्रष्टाचार के ऐसे-ऐसे कीर्तिमान रच डाले कि बिहार के लोग अपना माथा पीटने को विवश हैं। माता-पिता के आज्ञाकारी तेज प्रताप ने प्रदेश का स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद यह दर्शाते हुए कि वे बेरोजगार हैं, एक पेट्रोल पम्प अपने नाम करा लिया। छोटे चिराग तेजस्वी यादव की पटना में बन रहे आलीशान मॉल में बहुत बडी हिस्सेदारी है। तेजस्वी बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं। बहन मीसा भारती की तरह तेजस्वी के भी करोडों की बेनामी सम्पत्तियों में हाथ रंगे हैं। घपलों और घोटालों के शहंशाह लालू प्रसाद यादव  २७ अगस्त को पटना में विपक्षी दलों की एक बडी रैली का नेतृत्व करने जा रहे हैं। लालू जैसे भ्रष्टों और बेशर्मों ने ही भारतीय राजनीति के चेहरे को दागदार बनाया है। ताज्जुब है ऐसे जगजाहिर बिकाऊ नेताओं का साथ देने के लिए भी बडे-बडे नेता(?) खडे हो जाते हैं। मतदाता भी इनके झांसे में आ जाते हैं।
आज का सच यह भी है कि विपक्षी पार्टियों और दलों का एक ही ध्येय है किसी भी तरह से नरेंद्र मोदी और भाजपा को शिकस्त देना। इसके लिए उन्हें लालू जैसे उस दागी का साथ लेने में भी झिझक नहीं होती जो हत्यारे-लुटेरे शहाबुद्दीन जैसों का जन्मजात संगी-साथी है। लालू पर जब-जब भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं तो विपक्षी दलों के कुछ नेता बिना कुछ सोचे-समझे उनकी पैरवी करने लगते हैं। ऐसे ही एक बडबोला नेता है शत्रुघ्न सिन्हा। कल का यह पिटा हुआ अभिनेता आज भाजपा की बदौलत सांसद है, लेकिन केंद्र सरकार में मंत्री न बनाये जाने के कारण अक्सर नमकहरामी पर उतर आता है। इसे लालू में ऊपर से नीचे तक ईमानदारी ही नजर आती है। यदि इसे केंद्र में मंत्री बना दिया गया होता तो कभी भी यह लालू चालीसा पढते नजर नहीं आता। दरअसल ऐसे ही बिन पेंदी के लोटे भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद करते हैं और अपनी दुकानदारी चलाते रहते हैं। इनसे देशवासियों को तुरंत सावधान हो जाना चाहिए।

No comments:

Post a Comment