Thursday, January 4, 2018

कामांधों के चक्रव्यूह

वह एक मॉडल है। तय है कि खूबसूरत है। २०१७ के दिसंबर महीने में वह दिल्ली के एक चौराहे पर खडी थी। राजधानी के चौराहे पर कोई हसीना खडी हो और लोग उसे देखे बिना निकल जाएं ऐसा कम ही होता है। एक सज्जन जिनका नाम सतीश है वे उसे लगातार घूर रहे थे। कहां जाना है, वह यह भी भूल गए थे। जब मॉडल ने लगातार अश्लील हाव-भाव के साथ घूरने का विरोध किया तो सतीश ने कहा कि  मैडम आप बेहद खूबसूरत हैं... आपको तो फिल्मों में होना चाहिए। यहां क्या कर रही हैं! अपनी प्रशंसा के बोल सुन मॉडल गदगद हो गई। वह वर्षों से हिंदी फिल्मों के पर्दे पर चमकने के सपने देखती चली आ रही थी। सतीश ने उसे बताया कि उसकी बॉलीवुड में अच्छी-खासी पहचान है। कई फिल्म डायरेक्टरों से उसकी करीबी यारी है। वह उसे चुटकी में बॉलीवुड में फिल्में दिला देगा। इसके बाद दोनों ने एक दूसरे के नम्बर ले लिए और आपस में मिलने-जुलने लगे। कई बार बाहर खाना खिलाने के बाद सतीश ने उसे एक होटल में बुलाया जहां उसने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर सामूहिक दुष्कर्म को अंजाम दे डाला। इसी दौरान मॉडल को दोस्ती और सुनहरे भविष्य का हवाला देकर शराब भी पिलायी गयी। सामूहिक दुष्कर्म का दंश झेलने वाली १८ वर्षीय मॉडल गहरे सदमें में चली गई। उसके लिए बोल पाना मुश्किल हो गया। सतीश और उसके साथी आरोपियों का तर्क था कि मॉडल का आरोप निराधार है। सबकुछ उसकी रजामंदी से हुआ। इसमें उनका कोई दोष नहीं है। मॉडल दर्जनों भोजपुरी संगीत एलबम व भजनों की एल्बम में काम कर चुकी है। कई एल्बम में उसने डांस भी किया है। बॉलीवुड फिल्मों में काम पाने के लालच में तथाकथित बलात्कार का शिकार होने वाली मॉडल की तरह कई युवतियां प्रलोभन का जाल फेंकने वाले शिकारियों के चंगुल में फंसती रहती हैं। सवाल यह भी उठता है कि क्या इसके लिए सिर्फ शिकारी ही दोषी हैं, क्या अपने सपनों और इच्छाओं को पूरा करने के लालच का इसमें कोई योगदान नहीं है?
दिल्ली में एक ऐसे आध्यात्मिक आश्रम का पर्दाफाश हुआ जहां पर लडकियों और महिलाओं को सात तालों के पीछे जानवरों की तरह रखा जाता था। इस आश्रम का कर्ताधर्ता बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित खुद को शिव का अवतार मानता है। जब आश्रम का काला सच बाहर आया तो देशवासी एक बार फिर से हतप्रभ रह गए। सवाल उठा कि आखिर इस देश में कितने आसाराम, राम रहीम भरे पडे हैं? ढोंगी संतों की शर्मनाक दास्तानें सुनने और पढने के बाद भी लोग क्यों नहीं जागते? कौन से कारण हैं जो इतनी बडी संख्या में लडकियां और महिलाएं इनकी शरण में खुशी-खुशी पहुंच जाती हैं। माता-पिता भी अपनी बेटियों को इन अय्याशों के यहां रहने के लिए भेज देते हैं? दीक्षित के देश में एक नहीं अनेकों आश्रम हैं जहां पर कई माता-पिता अपनी बच्चियों को इसलिए छोड जाते हैं कि उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान मिलेगा। वे ज्ञानवान बनेंगी। समाज में उनकी प्रतिष्ठा बढेगी। बेटियों की पढाई-लिखाई का खर्चा भी बचेगा। यह भी घोर ताज्जुब की बात है कि जब यह नकाबपोश पकडे जाते हैं तब ही लोगों की जुबानों पर लगे ताले टूटते हैं और नई-नई चौंकाने वाली कहानियां सामने आती हैं। राजनेता तो देख कर भी अनदेखी करने का धर्म निभाते रहते हैं। प्रशासनिक अमला भी अंधे की भूमिका निभाता है। ७४ वर्षीय वीरेंद्र देव दीक्षित आध्यात्मिक विश्व विद्यालय के नाम पर आसाराम, राम रहीम जैसे कपटियों की तर्ज पर नारियों का यौन शोषण कर इंसानियत की धज्जियां उडाता चला आ रहा था। पडोसियों ने यह खुलासा भी किया कि रात के समय कामुक बाबा के आश्रम की गतिविधियों में बेहद तेजी आ जाती है। आधी रात के समय लडकियां बाहर भेजी जाती हैं। दिल्ली पुलिस के एक हवलदार ने कई बार यहां की लडकियों को आलीशान गाडियों में बाहर जाते देखा, लेकिन तब उसने इसका किसी से जिक्र करना जरूरी नहीं समझा। यकीनन इसकी यह वजह भी रही होगी कि पुलिस के कई उच्च अधिकारी बाबा पर मेहरबान थे। इस मेहरबानी का प्रतिफल भी उन्हें मिलता ही रहा होगा। इसी वरदहस्त के चलते वह वर्षों तक कुकर्म करता रहा। छापा मार कर छुडायी गई १०० से अधिक लडकियां बदहवास हालत में मिलीं। यानी उन्हें ड्रग्स का आदी बना कर भोग की वस्तु बना दिया गया था। कुकर्म के इस आश्रम में लडकियों और महिलाओं के लिए खुली हवा में सांस लेने का अधिकार भी छीन लिया गया था। कमरों में धूप ही नहीं पहुंचती थी। इसलिए कई तरह की बीमारियों ने उन्हें जकड लिया था। आश्रम की दीवारें इतनी ऊंची कि पडोसियों को कभी पता ही नहीं चल पाता था कि भीतर कौन-सा कारोबार चल रहा है। कई अभिभावक अपनी बेटियों को लेने आते तो उन्हें भगा दिया जाता। मारपीट भी की जाती। आश्रम से मुक्त करायी गई कुछ महिलाओं ने बताया कि यहां लडकियों का ब्रेनवाश कर दिया जाता था। बाबा उन्हें कहता था कि अगर वे उससे शारीरिक संबंध बनाएंगी तो वे पार्वती और जगदंबा बन जाएंगी। उन्हें स्वर्गीय आनंद मिलेगा और मोक्ष की प्राप्ति होगी। वीरेंद्र देव दीक्षित महिलाओं को झांसा देता था कि मैं ही भगवान कृष्ण हूं। जैसे उनकी कई रानियां थीं, वैसे ही मेरी भी हैं। तुम मेरी रानी बन कर रहोगी तो दुनिया की सभी खुशियां तुम्हारे कदमों तले होंगी।
उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक मदरसे में पढने वाली नाबालिग लडकियों के साथ यौन शोषण किये जाने की खबर ने इस सच पर एक बार फिर से मुहर लगा दी है कि अय्याशी और पाखंड के कारोबार में हर धर्म के व्याभिचारी शामिल हैं। पवित्र स्थानों पर गंदे और कपटी लोग काबिज हो गए हैं। मदरसे में यौन शोषण का शिकार होने वाली लडकियों को देहभोगी प्रबंधक की करतूतों को उजागर करने के लिए पर्चियों का सहारा लेना पडा। कुछ लोगों को मदरसे के पास से गुजरते हुए मुडी-तुडी पर्चियां पडी नजर आर्इं तो उन्होंने उठाकर पढा तो उन्हें मदरसे के प्रबंधक कारी तैयब जिया की शर्मसार करतूतों का पता चला। एक पर्ची में किसी पीडित आठवीं क्लास में पढने वाली लडकी ने लिखा था- "अस्लाम वालेकुम, एक रात कारी ने एक लडकी को बुलाया और उसके साथ बहुत बुरा किया। ये रोज किचन में जाता है और लडकियों को बुलाता है।" ऐसी ही और भी कई पर्चियां मिलीं जिनमें कारी के द्वारा डरा-धमकाकर लडकियों का यौन शोषण किये जाने की आपबीती बयान की गई थी। इन पर्चियों के सामने आते ही कई लोग आग बबूला हो गये। बात पुलिस तक पहुंची। ५१ लडकियों को मदरसे के हॉस्टल से मुक्त कराया गया। कुछ लोगों ने मुंह खोला कि प्रबंधक का एक फार्म हाऊस है, जहां पर वह लडकियों को अपनी कार में बैठाकर ले जाता है। उसके रसूख के चलते तब कभी किसी ने मुंह खोलने की हिम्मत नहीं की। यह सोचने की बात है कि जब देश और प्रदेश की राजधानी में अस्मत लूटने वाले इस कदर बेखौफ सक्रिय हैं तो देश के शहरों और ग्रामों में धर्म और शिक्षा की आड में कैसे-कैसे व्याभिचारी अपनी मनमानी कर रहे होंगे। यह भी सच है कि महानगरों में होने वाले दुष्कर्म तो कभी-कभार उजागर हो जाते हैं, लेकिन गांवो-कस्बों के पाखंडियों का असली चेहरा बहुत कम सामने आ पाता है।

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