Thursday, July 5, 2018

यह कौन-सा हिन्दुस्तान है?

मध्यप्रदेश के मंदसौर में एक आठ साल की बच्ची के साथ हुई दिल दहला देने वाली हैवानियत ने कहीं न कहीं यह संदेश दिया है कि सरकारें कितने भी कडे कानून बनायें, लेकिन दुष्कर्मियों को इससे कोई फर्क नहीं पडता। उनकी कुत्सित सोच दूसरों के ही नहीं, अपने बच्चों को भी अंधी वासना का शिकार बनाने से नहीं हिचकिचाती। इन राक्षसी प्रवृत्ति के बलात्कारियों के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती। तीन-चार-पांच-सात-आठ साल की अबोध बच्चियों के साथ दुष्कर्म पर दुष्कर्म करने की जो खबरें आ रही हैं वे इस सर्वे को भी बल प्रदान करती हैं कि भारत महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश बन चुका है। हम पाकिस्तान को कोसते नहीं थकते, लेकिन महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देशों की सूची में पाकिस्तान को भारत ने पीछे रखा गया है। २५ जून २०१८ को तीसरी कक्षा में पढने वाली बच्ची को दो युवक मिठाई खिलाने का लालच देकर स्कूल से अपने साथ झाडियों में ले गये। वहां पर दोनों ने उसे लड्डू खिलाया और फिर न सिर्फ उस पर बलात्कार किया बल्कि उसके गुप्तांग को नुकसान पहुंचाने के लिए उसमें रॉड या लकडी जैसी वस्तु भी डाली। जिससे उसकी आंतें तक बाहर निकल आर्इं। उसका गला काटकर मारने की भी कोशिश की गई। बेहोश हो चुकी बालिका को मरा समझकर दोनों दरिंदें अपने-अपने घर चले गए। इस घटना के विरोध में मंदसौर शहर पूरी तरह से बंद रहा। मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने बलात्कारियो को फांसी की सजा देने की मांग करते हुए यह घोषणा भी की, कि इन बर्बर जानवरों को कब्रिस्तान में भी जगह नहीं दी जाएगी। मंदसौर के वकीलों ने ऐलान कर दिया कि कोई भी वकील इन हैवानों का साथ नहीं देगा। जो वकील इनका केस लडने की जुर्रत करेगा, मंदसौर बार असोसिएशन द्वारा उसका बहिष्कार किया जाएगा। मासूम को जब इलाज के लिए अस्पताल में लाया गया तो डॉक्टरों की आंखें भी भीग गर्इं।
मेरे पाठक मित्रों को यह जानकर हैरानी होगी कि देश के चार राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में बारह साल से कम की बच्चियों के साथ बलात्कार पर फांसी की सजा का प्रावधान है इसके बावजूद इन प्रदेशों में बच्चियां सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। यौन हिंसा और उत्पीडन ने ऐसी रफ्तार पकड ली है कि संवेदनशील जनता स्तब्ध है।
हरियाणा के पलवल में एक तीस वर्षीय युवक ने पांच साल की बच्ची का अपहरण कर उस पर बलात्कार किया। गन्नोर थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक गांव में बारह वर्षीय बच्ची के साथ उसके पडौसी ने हैवानियत की जिस पर उसके परिवार वालों को भरपूर भरोसा था। गोहाना में मात्र साढे तीन साल की बच्ची के साथ उसके नाबालिग चचेरे भाई ने दुष्कर्म कर डाला। बच्ची की मां ने बताया कि उसके जेठ का लडका उसकी मासूम अबोध बच्ची को खाने का सामान दिलाने के बहाने दुकान के पडोस में स्थित एक खाली मकान में ले गया और वहां वो कर दिया जिसकी कल्पना ही नहीं की जा सकती। यह तो मात्र चंद उदाहरण हैं। यहां पर सभी बलात्कारों का आंकडा दे पाना संभव नहीं है। वैसे भी बच्चियों के साथ होने वाले हर बलात्कार की रिपोर्ट थाने में दर्ज नहीं होती। जब भी किसी तीन-पांच-सात-आठ साल की बच्ची का चेहरा इन पंक्तियों के लेखक के सामने घूमता है तो उसके छोटे-छोटे हाथों में एक नन्हा-सा खिलौना नज़र आता है जिसके टूटने के भय से वह कभी-कभी असमंजस में रहती है। उसे यह यकीन भी रहता है कि अगर यह टूट गया तो पापा नया ला देंगे। प्रफुल्लित बच्ची को दुनिया के किसी दस्तूर का पता नहीं होता। वह सभी को अपना समझती है। ऐसी मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म! यह कौन-सा हिन्दुस्तान है जहां हैवानियत सभी हदें पार करती जा रही है?
बीते हफ्ते नई दिल्ली में स्थित सरिता विहार इलाके में बैग व कार्टन में एक महिला का शव मिला। महिला के शरीर के सात टुकडे किये गए थे। पहचान मिटाने के लिए उसका चेहरा भी चाकू से गोद दिया गया था। पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद महिला के पति ने बेखौफ होकर बताया कि वह दूसरी शादी करना चाहता था, इसलिए उसने अपने दो भाइयों के साथ मिलकर उस पत्नी की बडी बेरहमी के साथ टुकडे कर डाले जिससे २०१४ में उसने प्रेम विवाह किया था। यह हमारे समाज का असली चेहरा है। रिश्ते तब तक निभाये जाते हैं जब तक स्वार्थ सधता रहे। मनचाहा सुख मिलता रहे। हमारे देश में औरतों को इंसानी राक्षसों से बचाने के लिए न तो सरकार कोई ठोस कदम उठा रही है और ना ही समाज। माना कि महिलाएं पढ रही हैं, आगे बढ रही हैं, लेकिन अधिकांश पुरुषों का उन्हें कमतर आंकने और शोषण का सामान मानने का नजरिया नहीं बदला है। तभी तो यौन हिंसा और घरेलू हिंसा की खबरें प्रतिदिन सुनने-पढने को मिल रही हैं।
मंदसौर कांड की पीडिता को जब विधायक और सांसद देखने के लिए पहुंचे तो उनकी संवेदनहीनता स्पष्ट नजर आयी। विधायक ने बच्ची के परिजनों से बडी बेशर्मी से यह कहा कि सांसदजी को धन्यवाद दो कि वे बच्ची को देखने के लिए अस्पताल में आये हैं। दरअसल यह नकाब उतरने का दौर है। सजग देशवासी बेहद गुस्से में हैं। प्रख्यात रचनाकार श्री अविनाश बागडे के लिखे यह दोहे कितना कुछ कह जाते हैं :
"बलात्कार की चीख से, दहला हिन्दुस्तान।
पौरुष-हीन समाज को, कहते पुरुष प्रधान।।
पीट रहा हर धर्म है, संस्कारों के ढोल।
प्रश्न अस्मिता नार की, उत्तर सारे गोल।।"

इधर के कुछ वर्षों में असंवेदनशील नेताओं की तरह कपटी बाबाओं का जो सच सामने आया है उससे देश वासियों को बहुत आघात लगा है। लोग असमंजस के जाल में उलझ कर रह गये हैं। किस संत पर यकीन करें, किस पर नहीं। कौन संत है और कौन असंत। देश में जो सच्चे संत हैं उन्हें भी संदेह की निगाहों से देखा जाने लगा है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ हिन्दू धर्म के तथाकथित संतों ने भक्तों की आस्था को गहरी चोट दी है, दूसरे धर्मों में भी कपटी भरे पडे हैं। अभी पिछले दिनों केरल के कोट्टाय में एक चर्च के पांच पादरियों का वासना की कालिख से पुता काला-चेहरा सामने आया। एक महिला के इस आरोप ने सुर्खियां पायीं कि... उसे ब्लैकमेल कर चर्च के यह पादरी लगातार उसका यौन शोषण करते रहे। देहभोगी कपटी संतों की लिस्ट में पिछले दिनों दाती महाराज नाम के एक और बाबा का नाम जुड गया। इस बाबा ने खुद को पाक-साफ बताने के लिए यह तक कहने में देरी नहीं लगायी कि वह तो शारीरिक संबंध बनाने में सक्षम ही नहीं है। ऐसे ही कर्नाटक का स्वामी नित्यानंद जब एक फिल्म अभिनेत्री के साथ हमबिस्तरी करते हुए रंगे हाथ पकडाया था तब उसने भी यही पासा फेंका था कि वह तो नामर्द है। ऐसे में वह किसी नारी के साथ कुकर्म कैसे कर सकता है! इस सदी के सबसे बद और बदनाम प्रवचनकार आसाराम ने भी अपने बचाव में कुछ ऐसा ही कहा था। मन में कई बार यह विचार आता है कि अपने आलीशान आश्रमों में अपने ही आस्थावान भक्तों, शिष्याओं के साथ छलावा करने वाले ढोंगी बाबाओं का अगर समय-समय पर नकाब नहीं उतरा होता तो देशवासी कितने घने अंधेरे में रह रहे होते। भला हो उन बेटियों का जिन्होंने खतरों में सांस लेकर भी ऐसे दुराचारियों का पर्दाफाश किया जो भगवान कहलाते थे। कितने सर श्रद्धावत उनके कदमों में झुक-झुक जाते थे।
अब यह सच जगजाहिर हो चुका है कि सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी मानव तस्करी पर रोक नहीं लग पा रही है। कई धनपशुओं ने बच्चों और महिलाओं की तस्करी को धंधा बना लिया है। मानव तस्करो से सावधान रहने के लिए कई जनसेवी संस्थाएं विभिन्न कार्यक्रम करती रहती हैं। कई संवेदनशील कलाकार मानव तस्करी के विरोध में नुक्कड-नाटक कर लोगों को जागृत करने के अभियान में लगे हैं। १९ जून २०१८ कुछ कलाकारों का दल कोचांग के आरसी चर्च परिसर स्थित आरसी मिशन स्कूल में नुक्कड नाटक करने हेतु पहुंचा था। इस दल में पांच युवतियां भी शामिल थीं। दोपहर के समय अचानक वहां कुछ हथियार बंद लोग पहुंचे और उन पांचों युवतियों को जबरन गाडी में बिठा लिया। जब युवतियों का अपहरण किया जा रहा था तब वहां पर एक पादरी भी मौजूद थे। युवतियां उनके सामने गिडगिडाती रहीं, लेकिन उन्होंने उनकी कोई मदद ना करते हुए उलटे गुंडो के साथ जाने की सलाह देते हुए कहा कि घबराओ मत कुछ ही घंटे में यह लोग तुम्हें आजाद कर देंगे। बदमाशों ने जंगल में ले जाकर पांचों युवतियों के साथ बर्बर बलात्कार किया। इतना ही नहीं इस कुकृत्य का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में भी डाल दिया। युवतियों का आरोप है कि जब बलात्कारी उन्हें वापस स्कूल छोड गए तो पादरी ने इस कांड को हमेशा-हमेशा के लिए भूल जाने और पुलिस के पास न जाने को कहा। उन्होंने युवतियों को चेताया कि यदि वे पुलिस से शिकायत करेंगी तो उनके परिजनों की भी जान को खतरा हो सकता है।

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