Thursday, July 26, 2018

असहमति, शरारत, अफवाह और गुंडागर्दी

बहुत आम शब्द हो गया है... मॉब लिचिंग। बच्चे भी इसका अर्थ समझने लगे हैं। 'भीड तंत्र' ने देशवासियों की नींद उडा दी है। ऐसा लग रहा है... जैसे अफवाहों, शरारतों, गुंडागर्दी और वैमनस्यता का दौर चल रहा है। हिंसक भीड में शामिल लोगों की पहचान करना मुश्किल हो गया है। अगर कहीं पहचान भी लिए जाते हैं तो उनके खिलाफ गवाही देने के लिए कोई सामने नहीं आता। नेता, मंत्री उन्हें मालाएं पहनाने के लिए पहुंच जाते हैं। राजस्थान के अलवर जिले में गो तस्करी के संदेह में रकबर खान नाम के युवक को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। अस्पताल पहुंचने तक उसने दम तोड दिया। इस मामले में पुलिस का व्यवहार भी कई सवाल छोड गया। लहुलूहान युवक का इलाज करवाने से ज्यादा उसे गायो की चिन्ता थी। इसलिए उसका सारा ध्यान गायों को गो-शाला पहुंचाने में लगा रहा और युवक को समय पर अस्पताल पहुंचाने की जरूरत नहीं समझी गई। इस अमानवीय घटना से कुछ दिन पहले ही विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश के साथ कथित तौर पर भाजपा, भारतीय जनता युवा मोर्चा एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सौ से अधिक कार्यकर्ताओं ने मारपीट की और उनके कपडे तार-तार कर डाले। इन दोनों घटनाओं ने फिर से यह सवाल खडा कर दिये हैं कि लोग इतने बेलगाम कैसे हो जाते हैं। उन्हें कानून को अपने हाथ में लेने से भय क्यों नहीं लगता? कोई अगर अपराध करता भी है तो उसे सजा देने के लिए भीड स्वनिर्मित कानून का झंडा लहराते हुए क्यों और कैसे हत्यारी बन जाती है? किसी की विचार धारा भिन्न होने से क्या किसी भीड तंत्र द्वारा हमले को न्यायोचित कहा जा सकता है? देश में बेलगाम भीड ने पिछले वर्षों में कितनी हत्याएं कीं और कितनों को किसी न किसी कारण तथा शंका के चलते मार-मार कर अधमरा कर दिया इसका सटीक आंकडा अनुपलब्ध है, लेकिन जितने भी मामलों ने मीडिया में जगह पायी, सभी दिल को दहलाने वाले हैं। वर्ष २०१५ में उत्तर प्रदेश के दादरी में मोहम्मद अखलाक को भीड ने घर में बीफ रखने के शक में मौत के घाट उतार दिया था। तब देश और दुनिया में ऐसी हैवानियत के खिलाफ पुरजोर आवाजें उठी थीं। इसके बाद भी गो-तस्करी, बीफ रखने और जादू-टोने की शंका में भीड के द्वारा बेखौफ होकर मारपीट और हत्याएं करने का जैसे सिलसिला ही चल पडा।
वर्ष २०१६ में महाराष्ट्र के लातुर में एक पुलिस कर्मी को इसलिए मार डाला गया क्योंकि उसने 'जय भवानी' का नारा लगाने से इनकार कर दिया था। २०१७ में झारखंड में बच्चा चोरी के संदेह के चलते भीड ने सात लोगों की निर्मम हत्या कर दी। जादू-टोने का आरोप लगाकर देश के विभिन्न शहरो और ग्रामों में सैकडों निर्दोष महिलाओं और पुरुषों को मौत के घाट उतारा जा चुका है। एक रिपोर्ट बताती है कि सिर्फ असम में ही पिछले सात-आठ वर्षों में लगभग १२० महिलाओं और ८५ पुरुषों को डायन और ओझा होने के शक में मौत के हवाले कर दिया गया। लगभग ऐसे ही हालात देश के अन्य प्रदेशों के हैं जहां अंधविश्वास अपना कहर ढाते हुए बेकसूरों को मौत के मुंह में सुलाता चला आ रहा है। पिछले कुछ महीनों से सोशल मीडिया पर ऐसे लोग काफी सक्रिय हो गये हैं जो अफवाहें फैलाकर जनता को गुमराह करने में लगे हैं। सोशल मीडिया का असर नगरों, महानगरों के साथ-साथ गावों की फिज़ा को भी विषैला बना रहा है। लोग एक-दूसरे को अविश्वास की निगाह से देखने लगे हैं। यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं है कि महज दो महीनों के भीतर वॉट्सऐप में चली अफवाहों के कारण पूरे देश में २९ से अधिक लोगों की भीड के हाथों हत्या हो गई।
बीते दिनों महाराष्ट्र के आमगांव के निकट स्थित ग्राम बोथली में एक अजनबी को पीट-पीटकर इसलिए लहुलूहान कर दिया गया क्योंकि भीड को शक था यही वह शख्स है जो बच्चों को चाकलेट देकर गायब करता है और बाद में उनकी किडनी चोरी कर ली जाती है। बाद में पता चला कि भीड की मारपीट का शिकार हुआ व्यक्ति किडनी चोर नहीं बल्कि मानसिक रूप से कमजोर यानी पागल है। इसी तरह से किडनी चोर होने के संदेह के वशीभूत होकर भीड ने कचरा व शराब की खाली बोतलें जमा कर पेट पालने वाली औरत और उसके पति पर बेरहमी के साथ लात-घूसे और डंडे बरसाये। दोनों को बहुत अधिक चोटें लगने की वजह से उपचारार्थ निकट स्थित गोंदिया शहर के अस्पताल में भर्ती कराया गया। कई दिनों के इलाज के बाद कहीं उनकी जान बच पायी।
मध्यप्रदेश के सिंगरोली जिले के मोरबा इलाके में १९ जुलाई २०१८ की रात कुछ लोगों ने एक अजनबी औरत को घूमते हुए देखा। उसे बच्चा चोर समझ कर लोग जमा हो गए और सबने मिलकर उसपर कुल्हाडियां और लाठियां बरसायीं जिससे उसने वहीं पर दम तोड दिया। महाराष्ट्र के भंडारा के निकट स्थित एक गांव में २२ जुलाई की रात जादू-टोने के संदेह में एक ही परिवार के चार लोगों को लोहे की कटारी से अंधाधुंध वार कर घायल कर दिया गया। दिल्ली से सटे गाजियाबाद में एक मुस्लिम युवक उन्मादी भीड के हाथों बुरी तरह से पिट गया। उसका कसूर था कि वह हिन्दू लडकी से शादी करने के लिए कोर्ट में पहुंचा था। इसमें दोनों की सहमति थी। भीड और कट्टरवाद के कारण भारत का नाम विश्व में बदनाम हो रहा है। सजग देशवासियों की नींद उड चुकी है। उन्हें अपने सिर पर भी खतरे के बादल मंडराते नजर आने लगे है।

No comments:

Post a Comment