Thursday, January 28, 2021

इनसे काहे की हमदर्दी!

    संतरा नगरी नागपुर में रहता है यह भरा-पूरा परिवार। कोरोना संक्रमण काल के मई महीने में इस परिवार की नाबालिग लडकी की तबीयत खराब हुई तो अस्पताल बंद होने के कारण मेडिकल स्टोर से गोली लाकर उसे खिलाते रहे, लेकिन उसकी तबीयत नहीं सुधरी। बिगडती ही चली गयी। उस चिन्ताजनक दौर में अपने ही घर में कैदी बने सभी परिवार के सदस्य परेशान हो गये। ऐसे असहाय और असंमजस भरे वक्त में उनके एक परिचित तंत्र-मंत्र करने वाले बाबा ने उनके कान में मंत्र फूंका कि किशोरी भूत-प्रेत की शिकार हो चुकी है। कोई दवाई काम नहीं आने वाली। इसका इलाज सिर्फ मेरे ही पास है। मात्र इक्कीस दिनों में लडकी को भूतप्रेत के चंगुल से मुक्त कराकर ऐसा भला चंगा कर दूंगा कि फिर से हंसने, खेलने, कूदने, फांदने लगेगी। इतना ही नहीं उनके घर में भी खुशहाली आ जाएगी। चारों तरफ से धन बरसने लगेगा। वे मालामाल हो जाएंगे। भूत-प्रेतों को तो मैं जूते, डंडे और गर्म-गर्म सलाखें दाग-दाग कर ऐसा पस्त कर दूंगा कि बच्ची तो क्या उनके परिवार के किसी भी सदस्य की ओर भी वे ताकने की जुर्रत नहीं कर पायेंगे।
    तांत्रिक का तीर निशाने पर लगा और नाबालिग का इलाज प्रारंभ हो गया। घर की तीन महिलाएं किशोरी को तांत्रिक के पास इलाज के लिए ले जाने लगीं। इस दौरान वह पूजा-पाठ के नाम पर चारों को चंद्रपुर, डोंगरगांव ले गया। जहां पर उसने उन्हें बेहोशी की दवा पिलायी और सभी के साथ बार-बार दुष्कर्म किया। किशोरी का मुंह बंद रखने के लिए पाखंडी उसे डराता रहा कि यदि मुंह खोला तो उसके माता-पिता चल बसेंगे। उसकी मां, चाची और दादी को भी अलग-अलग तरह से भयभीत कर उसने बडी आसानी से उनके जिस्म को भोगा। तीनों इस बात से अनजान थीं कि धूर्त ने किसी को भी नहीं छोडा है। वो तो एक दिन जब अचानक एक महिला ने उसे दूसरी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाते देखा तो भांडा फूट गया। उसके बाद चारों ने एक-दूसरे को अपनी-अपनी आपबीती बताई तो माथा पीटने की नौबत आ गईं। इस खबर को पढने के बाद मुझे जितना गुस्सा तांत्रिक पर आया उससे कहीं ज्यादा किशोरी की दादी, मां और चाची पर आया। दादी साठ वर्ष की हैं। इस शर्मनाक घटना को अगर पच्चीस-तीस वर्ष पूर्व अंजाम दिया गया होता तो निश्चय ही यह कलम मुखौटेधारी बलात्कारी को दुत्कारती, फटकारती। उसे कडी से कडी सजा देने की मांग करते हुए उसकी वासना की शिकार महिलाओं के प्रति सहानुभूति दर्शाती।
    तांत्रिक को अधिकतम कडी से कडी सज़ा तो मिलनी ही चाहिए, लेकिन उसके जाल में बडी आसानी से फंसने वाली महिलाओं को कौन सी सज़ा मिलनी चाहिए, जिन्होंने किशोरी की जिन्दगी तबाह करने में बहुत बडी भूमिका निभायी है। इनके प्रति नर्मी क्यों दिखायी जाए? यह इसी दुनिया में ही तो रहती हैं, जहां रोज़ दुष्कर्म हो रहे हैं। अखबार लगभग प्रतिदिन इनका पर्दाफाश करते रहते हैं। न्यूज चैनल भी इनसे सतर्क रहने को कहते रहते हैं। घर-घर में टीवी हैं। अखबार भी किसी की पहुंच से दूर नहीं। चलो, एकबारगी मान लेते हैं कि यह महिलाएं अखबार नहीं पढती होंगी। टीवी भी इनकी पहुंच से दूर होगा, लेकिन उन झाड-फूंक करने वाले ठगों, लुटेरों, बलात्कारियों के बारे में तो जरूर सुना होगा, जिन्हें जेल भेजा जा चुका है। तब भी उनके दिमागों पर ताले जडे रहे। उन्होंने उस शख्स पर भरोसा कर लिया, जिसकी रोजी-रोटी ही छल-कपट और लूटमारी पर चलती है। तंत्र-मंत्र से अगर मरीज दुरुस्त हो जाते तो फिर अस्पतालों की तो जरूरत ही नहीं होती। यह कलम यह लिखने को विवश है कि कई मामलों में नारियां भी पुरुषों से कम कसूरवार नहीं हैं, लेकिन पूरा दोष पुरुषों पर ही मढ दिया जाता है। देश में बलात्कारों, दुराचारों की झडी लगी रहती है। लोगों को गुस्सा आता है। सोशल मीडिया के इस सतर्क दौर में खबर कहां से कहां पहुंच जाती है। भाषण और बहसें शुरू हो जाती हैं। न्यूज चैनलों पर परिचर्चाएं और अखबारों में लिखना-लिखाना चलने लगता है। राजनेता बलात्कारियों को कडी से कडी सजा देने का वादा करते हैं, लेकिन हकीकत में होता यह चला आ रहा है कि दुराचारों की पुनरावृत्ति होनी कम नहीं हुई है। अधिकांश पीड़िताओं को न्याय नहीं मिला है। यह सच है कि नारी की कमजोरी का फायदा भी उठाया जाता रहा है, लेकिन क्या यह भी सच नहीं कि कई औरतें खुद-ब-खुद कमजोर बन जाती हैं। उनकी महत्वाकांक्षा, स्वार्थ उन्हें बहका देता है और इस कदर भटका देता है कि खुद के मान-सम्मान को भूल जाती हैं। फिसलन कहां नहीं। नारी देह के शिकारी पुरुष भी जहां-तहां हैं। सतर्क रहना क्या नारी का दायित्व नहीं?
    एक गायिका ने एक मंत्री पर बलात्कार का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि २००६ में जब उसकी गर्भवती बहन प्रसव के लिए इंदौर गई थी तब वह देखरेख के लिए उसके साथ थी। इसी दौरान मीठी-मीठी बातें कर उसे फंसाया गया। तब वे मंत्री-वंत्री तो नहीं थे, लेकिन राजनीति में तेजी से कदम बढा रहे थे। हालांकि नेताजी से उसका परिचय १९९७ से ही था। १९९८ में उसकी बहन ने उनसे प्रेम विवाह किया था। युवा नेता को पता था कि मैं गायिका बनकर नाम कमाना चाहती हूं। मेरी इस तमन्ना को पूरा करने में भरपूर सहायता देने का प्रलोभन देकर उन्होंने मेरे साथ बलात्कार कर डाला। उसके बाद यह रोजमर्रा की बात हो गई। हर दो-तीन दिन के अंतराल में मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाने के साथ-साथ वीडियो भी बनाये गये। बार-बार फोन कर वासना के जाल में फांसने की ऐसी मोहक चालें चली गईं कि मैं खुद को बचा नहीं पाई। मुझे जहां बुलाया गया वहां मैं पहुंचती रही और अपना सर्वस्व लुटाती रही। इसके बदले बस मेरी यही चाहत थी कि मेरे जिस्म का लुटेरा मुझे चोटी की गायिका बनवा दे। उसने हर बार बिस्तरबाजी करते वक्त यही आश्वासन दिया कि शीघ्र ही वह मुझे नामी-गिरामी फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों से मिलवायेगा और जल्द ही वो दिन आयेगा जब फिल्मों और जहां-तहां मेरे गाये गीत गूंजेंगे। मैं भोली नारी सतत लुटती रही। जहां थी वहीं ही थमी रही और यह कहां से कहां पहुंच गया। यह खबर भी जब अखबारों में छपी और न्यूज चैनलों का तीखा मसाला बनी तो कलमकार चिंतन-मनन करता रहा कि कौन ज्यादा कसूरवार है। मेरे विचार से गायिका भी कहीं कम दोषी नहीं, जिसने अपने सपने को साकार करने के लिए उस नेता बिरादरी के एक कामरोगी चेहरे का साथ चाहा, जहां के कम ही नेता भरोसे तथा मान-सम्मान के अधिकारी हैं। कौन नहीं जानता कि अपने यहां के अधिकांश राजनेताओं ने भले ही खादी के वस्त्र धारण कर लिये हों, लेकिन हैं तो हद दर्जे के झूठे, लुच्चे और टुच्चे, जिनकी किस्म-किस्म की बदमाशियां समय-समय पर उजागर होकर तहलका मचाती रहती हैं।
    जब तक नेता मंत्री नहीं बना था, तब तक वह चुप्पी साधे रही। सोचिए यदि नेता सेलेब्रिटीज से मिलवाकर गायिका की तमन्ना पूरी करवा देता तो फिर भी क्या वह उस पर बलात्कार काआरोप लगाती? जवाब है कदापि नहीं। फिर तो वह अपनी नयी दुनिया में मस्त हो जाती। उसे तो यह याद भी नहीं रहता कि उसने सफल होने के लिए उस शख्स के साथ हंसी-खुशी शारीरिक रिश्ते बनाये जो उसकी बहन से प्रेम विवाह कर चुका था।
    मायानगरी की एक उभरती फिल्म अभिनेत्री अपने प्रेमी के साथ खुशी-खुशी दो वर्ष तक 'लिव इन' में रही। दूसरे-तीसरे रईस के साथ गुलछर्रे भी उडाती रही। जब प्रेमी ने अपना करो‹डों का फ्लैट उसके नाम करने से इनकार कर दिया तो रिश्ते में खटास आ गयी। प्रेम, नफरत में बदल गया। अभिनेत्री ने थाने में जाकर रिपोर्ट दर्ज करा दी कि उसके साथ रेप हुआ है। बार-बार, पूरे दो साल! देश की अदालतें भी कहती रहती हैं कि 'लिव इन' में रहने के बाद दुष्कर्म के आरोप लगाना अनुचित है। पर इन युवतियों को कौन समझाए...! कुछ लोग जब गायिका और अभिनेत्री के प्रति सहानुभूति जताते हैं तो कलमकार को तो हैरत ही होती है...। गुस्सा भी आता है।
    हां स्तब्ध कर देने वाली एक बात और... मंत्री पर बलात्कार का आरोप लगाकर सुर्खियां बटोरने वाली गायिका ने दस-बारह दिन बाद अपनी शिकायत वापस लेते हुए कहा कि मैंने मंत्री के खिलाफ बलात्कार का जो आरोप लगाया था उसके लिए मैं स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि मेरी बहन और उनके बीच कुछ समय से दरार आने और कोर्ट में केस शुरू होने के कारण मैं तनाव व दबाव में थी। खबर छपने के बाद विरोधी भी उनके पीछे पड गये। कुछ नेता मेरे कंधे पर बंदूक रखकर उन्हें अपना निशाना बनाने लगे थे। इसलिए परिवार की इज्जत को बचाने के लिए मैंने यह फैसला लिया है... कि अपने कदम वापस खींच लूं और चुप ही रहूं तो बहुत अच्छा है...।

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