Thursday, July 1, 2021

क्या हो रहा है आसपास?

    हम कहां से चले थे, कहां जाना था और कहां आ गये हैं! सम्मान, इज्ज़त, मान-मर्यादा, शालीनता, संवेदनशीलता को तो जैसे अपराधी की तरह चौराहे पर खड़ा कर दिया गया है। जिन्हें थूकना है जीभरकर थूकें। वस्त्रहरण करना है तो बेखौफ होकर करते चले जाएं। कोई रोकने-टोकने वाला नहीं। आज़ाद देश के पूरी तरह से आज़ाद नागरिक जो हैं। दूसरों का मान-सम्मान और अधिव्यक्ति की स्वतंत्रता जाए चूल्हे में...।
    इन दिनों के डरावने नजारे कह रहे हैं कि दोषी तो वही है जो सबसे कमजोर कड़ी है। जितना जुल्म ढाना है, ढा लो, कोई कुछ नहीं बोलेगा। तमाशा देखने के लिए हजारों खड़े हो जाएंगे। बीती रात मैंने एक असहाय लड़की के साथ बलात्कार का वीडियो देखा। लाख कोशिशों के बाद भी भूल नहीं पा रहा हूं। इस वीडियो में पांच शैतान एक लड़की को दबोचे हुए हैं। इनमें एक औरत भी शामिल है। मासूम लड़की को शैतानी जोर-जबर्दस्ती के साथ वस्त्रहीन किया जा रहा है। एक उसके गुप्तांग में अंगूठा तो दूसरा बीयर की बोतल डाल रहा है। पीड़ा से तड़पती लड़की की चीख को दबाने के लिए उसके मुंह में कपड़ा भी ठूंस दिया जाता है। बेबस लड़की को पूरी तरह से अपने बस में करने के बाद उनकी हरकतें और अनियंत्रित होती चली जाती हैं। पगलाये सांड की तरह वे उसे गंदी-गंदी गालियां बकने लगते हैं। इस हैवानियत को देखकर बड़ा गुस्सा आया। नारी को पूजे जाने वाले देश में बेटियों को कैसे-कैसे हवस के भूखे भेड़ियों केे जुल्मों का शिकार होना पड़ रहा है। कुछ ‘प्रबुद्धजनों’ को लड़की के साथ हुई घोर अमानवीयता के इस शाब्दिक चित्रण पर आपत्ति हो सकती है, कहा जा सकता है कि बलात्कारियों ने तो निर्लज्जता की धज्जियां उड़ा दीं, लेकिन लिखने और बताने में भाषा का संयम तो रखा ही जा सकता है। खुल्लम खुला लिखने की क्या जरूरत?  ऐसे चरित्रवानों से यह सवाल कि जब तुम्हारी आंखों के सामने नंगा नाच हो रहा है, तुम सबकुछ देख रहे हो और चुप्पी इसलिए साधे हो कि तुम्हें मज़ा आ रहा है। तुम्हारे लिए तो यह तमाशा है। लेखक इस खून खौला देने वाले सच को लिखने-बताने में क्यों संकोच करे! जिन्हें नहीं मालूम उन्हें भी तो पता चले कि हम कैसे जंगल में रह रहे हैं, जहां जरा सी चूक हमारी बहन-बेटियों को हिंसक पशुओं का निवाला बना सकती हैं।
    क्या ये सच नहीं कि हिंसा, मारपीट और गंदी-गंदी गालियां तो आज हमारे घरों में घुसपैठ कर चुकी हैं। जो अश्लील गालियां कभी छुप-छुपाकर दागी जाती थीं और यह कोशिश भी होती थी कि बच्चों और महिलाओं तक उनकी तैजाबी आंच न पहुंचे, लेकिन आज चीख-चीखकर बकी और बकवायी जा रही हैं। कोविड-19 ने जो खालीपन और जबरन छुट्टियां दीं उस दौरान से वेब सीरीज़ का जो तूफानी दौर शुरू हुआ उसने तो पता नहीं कितनी मर्यादाओं के जिस्म को छलनी करके रख दिया। पहली बार ओटीटी प्लेटफार्म पर देखी एक सीरीज में जब धड़ाधड़ बलात्कार, मारकाट और सड़क छाप गालियां सुनीं तो दिल की धड़कनें बेकाबू होने लगीं। कुछ भी समझ में नहीं आया। इसे वेब सीरीज के निर्माता कौन सी दुनिया से ताल्लुक रखते हैं! क्या इनके घर में मां, बहनें और बच्चे, बुजुर्ग नहीं हैं? इस लेखक ने तय कर लिया कि ऐसी वेब सीरीज परिवार के साथ तो नहीं देखी जाएंगी। अश्लील गालियों के साथ-साथ और भी बहुत कुछ ऐसा है जिससे सिर्फ गुस्सा तथा शर्मिंदगी ही हासिल हुई। भरे पूरे परिवार की हर औरत का सम्मान और गरिमा होती है, लेकिन उसी नारी को बेटे और ससुर के साथ बिस्तर बाजी करते देख नज़रें झुका लेनी पड़ीं। इसके साथ ही इस सच को भी स्वीकारने को विवश होना पड़ा कि हमें उस दौर के द्वार पर पहुंचाया जा चुका है। जिसके अंदर ऐसे नाटकों का मंचन चल रहा है जिन्हें देखने से पहले निहायत ही बेशर्म होना जरूरी है ताकि आप अपने परिवार के साथ नंगा नाच देखकर भी तालियां पीटते रहें। सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के बीच नफरत की आग जलाने वाले महा गालीबाज ‘भाऊ हिंदुस्तानी’ जैसे कई चेहरे छाये हुए हैं। उसी की तरह कुछ बदतमीज नेता भी छाये हुए हैं। उन्हीं में से एक हैं गांधी परिवार की महान नेता,  मेनका गांधी कमजोरों की इज्ज़त से कैसे खेला जाता है, कोई इनसे सीखे। वे पशुप्रेमी तथा पर्यावरण प्रेमी हैं। उन्हें पशुओं के साथ क्रूर बर्ताव करने वालों पर गुस्सा आता है, लेकिन इस स्वयंभू महारानी ने किसी के भी कपड़े उतारने का ठेका ले रखा है। उन्हें याद ही नहीं रहता कि वे लोकसभा की सदस्य हैं। देश के जाने-माने राजनीतिक परिवार की बहू हैं। मेनका को बस याद हैं, वो भद्दी-भद्दी धमकियां और घटिया गालियां जो अपने कुछ चम्मचों को खुश करने के लिए बकती और रचती रहती हैं। इस गांधी परिवार की महारानी ने हाल ही में एक पशु चिकित्सक को ऐसे धमकाया जैसे कोई गली का बदमाश अपना दबदबा बनाये रखने के लिए गुंडागर्दी पर उतर आता है। चिकित्सक से किसी के पालतू कुत्ते के इलाज में कोई चूक हो गई थी। कुत्ता इस पूर्व केंद्रीय मंत्री के किसी करीबी का था। उस करीबी ने जानवरों से बेइंतहा (?) प्रेम करने वाली इस गुस्सैल नारी को कुत्ते के साथ हुई बेइंसाफी की जानकारी क्या पहुंचायी कि यह महान नारी अच्छे-खासे डॉक्टर की ऐसी-तैसी करते हुए उसकी नौकरी ही खा जाने की धमकियां देने लगी। मेनका के आतंकी गालीबाज चेहरे को देखकर इस प्रश्न का जवाब भी मिल गया है कि हिंसा और गाली-गलौच से भरपूर वेब सीरीज बनाने वालों को आखिर इतना हौसला और प्रेरणा कहां से मिलती है...।

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