आज दुनिया के कई लोग जब हंसना भूल गये हैं, तब कुछ कलाकार दूसरों को खूब हंसा और गुदगुदा रहे हैं। उन्हीं में से एक बड़ा नाम है, कपिल शर्मा। कहते हैं कि दुनिया का सबसे मुश्किल काम है लोगों को हंसाना। यह काम कपिल ने बड़ी महारत के साथ कर दिखाया है और कॉमेडी किंग का खिताब पाया है। लेखकों और विभिन्न कलाकारों से हमेशा यह उम्मीद की जाती है कि उनका चरित्र और व्यवहार उनके लेखन और प्रस्तुतिकरण के अनुकूल हो। जो प्रवचनकार, कवि, कथाकार, अभिनेता दोहरे चरित्रवाले होते हैं, उन्हें लोगों की निगाह से गिरने में देरी नहीं लगती। दरअसल, यह तो अपने पेशे के प्रति बेवफाई है। अच्छा और निर्भीक आचरण और रहन-सहन हर अच्छे कलाकार की पहचान भी है और अटूट पूंजी भी। दूसरों को मुसीबतों का सामना करने की सीख और खुद पर ़जरा-सी विपत्ति आते ही भाग खड़े होना कायरों, कपटियों और धोखेबाजों की फितरत है। कपिल के कॉमेडी मंच पर हास्य की फुलझड़ियां छोड़ लोगों को जीभरकर जीना सिखाने वाले कॉमेडियन तीर्थानंद ने भी दोबारा खुदकुशी करने की कायराना हरकत कर मीडिया की सुर्खियां बटोरी हैं। उसकी किस्मत अच्छी थी, कुशल डॉक्टरों की मेहनत से वह बच गया। कॉमेडी सर्कस में दर्शकों को हंसाने की कलाकारी दिखा चुके तीर्थानंद ने फेसबुक पर लाइव जाकर अपनी खुदकुशी का तमाशा दिखाया। लाइव वीडियो में कॉमेडियन ने किसी महिला के साथ लिव-इन में रहने के बाद मिले धोखे और छल का पहले तो जीभर कर रोना रोया। फिर इसके तुरंत बाद एक गिलास में ़जहर डालकर उसे गटक लिया। फेसबुक पर दिखायी गई इस ‘सर्कस’ को जब उनके कुछ दोस्तों ने देखा तो वे भागे-भागे उसके घर जा पहुंचे। तीर्थानंद फर्श पर बेहोश पड़ा था। दोस्तों ने तुरंत अस्पताल पहुंचाकर अपना फर्ज निभाया। तीर्थानंद ने पहले भी दिसंबर, 2021 में फेसबुक लाइव के दौरान इसी तरह का कायराना धमाका कर अपने चाहने वालों की धड़कनें बढ़ायी थीं और सवालों के घने जंगल में भटकाने के लिए छोड़ दिया था। दर्शकों के चेहरे पर चमक लाने वाला कॉमेडियन खुद अंदर से कितना कमजोर और खोखला है, यह उसने दूसरी बार तमाशा कर बता दिया है। यह शख्स किसी भी दृष्टि से ‘हीरो’ कहलाने का हकदार नहीं। इसकी करनी और कथनी के अंतर से ही इसके घटिया कलाकार होने का पता चलता है।
वास्तविक नायक के तमगे के हकदार तो ये चेहरे हैं, जो जिद और जुनून की जीती-जागती मिसाल हैं। इन्हें बार-बार सलाम करने की इच्छा होती है। गुजरात के शहर अहमदाबाद में अपने 16 साल के सफल कार्यकाल के दौरान एक वकील ने लगभग 140 दंपत्तियों का तलाक रुकवाने का इतिहास रच दिया। इन वकील महोदय को किसी टूटते घर-परिवार को उजाड़ने की बजाय बसाने में अपार खुशी मिलती है। इसी सफलता को वकील साहब अपनी असली फीस मानते हैं। जो मिला ठीक, नहीं मिला तो भी ठीक। कभी भी किसी को फीस के लिए परेशान नहीं करते। कहावत है कि घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खायेगा क्या? लेकिन, वकील साहब ऐसी किसी भी चिन्ता में नहीं पड़ते। तय है कि गुजरात हाईकोर्ट में वर्षों से प्रैक्टिस कर रहे वकील साहब की उतनी आमदनी नहीं, जितनी अन्य वकीलों की। उनकी इस परोपकारी आदत से उनकी पत्नी शुरू से ही बहुत परेशान रहती थीं। वह उन्हें बार-बार कहतीं कि ज़रा दूसरे वकीलों को भी देखो जो आज करोड़ों में खेल रहे हैं। उनके पास कार, कोठी, बंगले तथा दुनियाभर की सुख-सुविधाएं हैं। उनका परिवार हर तरह के मौज-मजे कर रहा है। दूसरी तरफ तुम हो, जिसने वकालत जैसे कमाई के धंधे को जनसेवा का माध्यम मान लिया है। हमारे भी बाल-बच्चे हैं। उनके कई तरह के खर्चे हैं। लेकिन, संतोषी प्रवृति वाले वकील साहब सुनकर भी अनसुना कर देते। घर में कलह-क्लेश बढ़ता चला गया। पत्नी उनका साथ छोड़ अलग रहने लगी। अदालत में भी तलाक का केस चलने लगा। दूसरों के घर को उजड़ने से बचाने वाला वकील अपनी पत्नी को समझाने में नाकामयाब रहा। अंतत: अब तलाक भी हो गया है। दोनों की एक बेटी है, जो लॉ की पढ़ाई कर रही है। बेटी अपने पिता को अपना आदर्श मानती है। तलाक होने के बाद वह अपने रोल मॉडल के साथ खुशी-खुशी रह रही है। वह भी अपने ईमानदार वकील पिता की राह पर चलते हुए टूटते घर-परिवारों को किसी भी तरह से बचाने की प्रबल पक्षधर और आकांक्षी है...।
राजस्थान के गौरव योगी को आंख की बीमारी है। उन्हें माइनस 12 नंबर का चश्मा लगा है। नाममात्र ही देख पाते हैं। यही नहीं गौरव का बायां हाथ भी पूरी तरह से काम नहीं करता। आंख और हाथ से लाचार होने के बावजूद उसने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की सीनियर सेकेंडरी डीफ, डंब एंड सीडब्ल्यूएसएन परीक्षा-2023 में सभी विषयों में 100 में से 100 अंक हासिल कर असली हीरो होने का पुरजोर डंका बजाया है। अपनी लगन और मेहनत से दिव्यांगता को मात देने वाले गौरव ने इस सच को आत्मसात कर लिया है कि शारीरिक कमियां और विविध परेशानियां उस रूई से भरे झोले की तरह होती हैं, जिसे दूर से बस देखते रहोगे तो बहुत भारी दिखेगा और यदि उठा लोगे तो एकदम हल्का-फुल्का लगेगा। दूरदर्शी और विचारवान गौरव को भविष्य में आईएएस अधिकारी बनना है। नागपुर की 16 वर्षीय साची बोखर ऐसी दिव्यांग बेटी हैं, जिनके हाथ बिलकुल काम नहीं करते। फिर भी साची ने अपने पैरों से लिखकर दसवीं कक्षा की परीक्षा में 80 प्रतिशत अंक प्राप्त कर इन पंक्तियों को चरितार्थ कर दिखाया हैं,
‘‘मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं,
जिनके सपनों में जान होती है,
सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता,
हौसलों से उड़ान होती है।’’
सांची को पढ़ाई के साथ-साथ ड्राईंग एवं डांस का शौक है। उसकी भविष्य में सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने की चाहत है।
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