Wednesday, September 27, 2023

समय के सुर

    भारत की राजधानी दिल्ली के हवाई अड्डे से नागपुर के लिए हवाई जहाज को शाम साढ़े सात बजे रवाना होना था। सभी यात्री समय पर पहुंच चुके थे, लेकिन पायलट का कोई अता-पता नहीं था। वक्त बीतने के साथ-साथ यात्रियों की बेचैनी बढ़ती चली जा रही थी। विमान पर सवार यात्रियों में नागपुर के एक विधायक महोदय भी घड़ी पर अपनी निगाह टिकाये थे। उनकी पूछताछ और नाराजगी का एयर होस्टेज के पास भी कोई पुख्ता जवाब नहीं था। दो घंटे बीतने के पश्चात जब वो पायलट नहीं पहुंचा तो किसी अन्य पायलट के जरिए रात 11 बजे हवाई जहाज नागपुर पहुंचा। पायलट के न पहुंचने से यात्रियों को हुई मानसिक और शारीरिक अशांति और पीड़ा को लेकर कई तरह के कमेंट किए गये और जीभर कर कोसा गया। विधायक महोदय ने इंडिगो एयरलाइन पर सवाल दागा कि जब यात्रियों के किंचित भी देरी से पहुंचने पर उन्हें एंट्री नहीं दी जाती, तो ऐसे में फ्लाइट के डिपार्चर में जो दो घंटे देरी की गई उसकी जवाबदारी कौन लेगा? दरअसल, अपने यहां बहुत कुछ भगवान भरोसे चल रहा है। 

    उत्तरप्रदेश के मुरशदपुरा में ड्यूटी के दौरान अत्याधिक शराब चढ़ा लेने के कारण अपने होश गंवा बैठे स्टेशन मास्टर के द्वारा रेलवे लाइन क्लीयर न दिए जाने के कारण चार महत्वपूर्ण एक्सप्रेस ट्रेनें और दो माल गाड़ियां जहां-तहां खड़ी हो गईं। स्टेशन मास्टर के साथ अनहोनी की आशंका से मुरादाबाद कंट्रोल में खलबली मच गई। कंट्रोल के निर्देश पर नजीबाबाद से किसी दूसरे स्टेशन मास्टर को भेजकर ट्रेनों का संचालन शुरू कराया गया। शराबी स्टेशन मास्टर अभी भी गहरी निद्रा में मदमस्त था। बेंच के नीचे पड़ी खाली शराब की बोलत उस पर खिलखिला रही थी। कई पायलट और एयर होस्टेस और कू-मेंबर ऐसे हैं, जो हवाई जहाजों को टेकऑफ कराने से पहले नशे में एयरपोर्ट पहुंचते हैं। इसी वर्ष 40 से अधिक ऐसे पायलट पकड़े गए जो नशे की हालत में हवाई जहाज उड़ाने पहुंचे थे। कुछ तो ऐसे थे जो ठीक से चल भी नहीं पा रहे थे। फिर भी उन्हें कहीं न कहीं यह भरोसा था कि वे पकड़ में नहीं आयेंगे, लेकिन हवाई जहाजों की सेफ्टी और सिक्योरिटी की पैनी जांच से बच नहीं पाये। जांच कर उन्हें अपने-अपने घर भेज दिया गया। 

    वर्ष 2022 में 43 तो 2021 में जहां 19 पायलट नशे की हालत में पकड़ में आये थे, वहीं 108 एयर होस्टेस भी ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट में पाजिटिव पायी गई थीं। यानी उन्होंने भी शराब पी रखी थी। हवाई जहाज में बैठने वाला हर यात्री आश्वस्त होता है कि उसकी यात्रा में कोई व्यवधान और संकट नहीं आयेगा। पायलट वह शख्स होता है, जिसे विमान उड़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उसके कंधों पर होती है। ऐसे में यदि वह नशे में विमान उड़ाता है तो यकीनन कुछ भी हो सकता है। नियम तो यही है कि पायलटों को उड़ान भरने से 8 घंटे पहले तक शराब नहीं पीनी चाहिए, लेकिन पीने वाले नियम-कायदों को कहां मानते हैं। उन्हें यही भ्रम रहता है कि उनके नशे में होने की किसी को खबर नहीं होगी। पीने के शौकीन पायलट अक्सर अपनी सफाई में यह कह कर खुद को बचाने की कोशिश करते हैं कि हमारी थकाने वाली यह नौकरी हमें कभी-कभार शराब पीने को मजबूर कर देती है। यह नशा उन्हें आराम और राहत देता है। कोई भी इंसान पहले शौक तथा संगत में पीना शुरू करता है, फिर धीरे-धीरे उसे पीने की लत लग जाती है, जबकि हकीकत यह है कि इस चक्कर में उसे अपनी इज़्जत, समय और कर्तव्य का भी ध्यान नहीं रहता। 

    यह सौ फीसदी सच है कि जो समय की कद्र नहीं करते उनकी बेकद्री होने में देरी नहीं लगती, जिन्हें अपने मूल दायित्व का भान नहीं रहता उन्हें वक्त भी नहीं सहता और वे लोगों की नजरों से भी गिरा देता है। जो समय की कीमत नहीं जानने, पहचाननें वालों का अंतत: कैसा हश्र होता है इसे जानने-समझने के लिए राजेश खन्ना से बेहतर कोई और उदाहरण नहीं हो सकता। 

    राजेश खन्ना हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार थे। महिलाएं उनकी एक झलक पाने को तरसती थीं। कॉलेज की लड़कियां अभिनेता की कार को चूम-चूम कर लाल कर देती थीं। उनके अभिनय का अंदाज ही बड़ा दिलकश और निराला था, लेकिन जैसे-जैसे सफलता उनके कदम चूमनी गई, उनमें अहंकार और लापरवाही घर करती गयी। सर्वप्रिय राजेश खन्ना को देर रात तक यार-दोस्तों के साथ शराब की महफिलें सजाते और दोपहर में बड़ी मुश्किल से बिस्तर छोड़ पाते। सुपर स्टार को देर रात तक शराब की महफिलें जमाने और चम्मचों की वाहवाही सुनने की ऐसी लत लगी कि अभिनय के प्रति कम और नशे से लगाव बढ़ता चला गया। अत्याधिक देरी से जागने के कारण सेट पर समय पर पहुचना उनके बस में नहीं रहा। उनकी इस आदत से परेशान फिल्म निर्माता जब घड़ी देखने को कहते तो उनका जवाब होता कि घड़ी की सुइयों से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। वक्त मेरे इशारे पर नाचता है। खुद को राजा समझने वाले अहंकारी राजेश खन्ना को दूसरों को ठेस पहुंचाने में बड़ा मज़ा आता था। उनकी इस आदत के कारण फिल्म निर्माता तथा उनके करीबी दोस्त भी धीरे-धीरे उनसे दूर होते चले गये। अपनी सफलता के चरम पर चम्मचों के घेरे में मदमस्त रहने वाले राजेश खन्ना के होश ठिकाने तब आए जब उनकी हां में हां मिलाने वाले भी उनसे दूर हो गये, लेकिन तब तक बहुत देरी हो चुकी थी। किसी की भी राह न देखने वाला समय अपने सुर बदल चुका था। हर नशे से मुक्त अनुशासित और समय के पाबंद अमिताभ बच्चन ने करोड़ों दर्शकों के दिलों में अपने सजीव अभिनय की बदौलत अमिट छाप छोड़नी प्रारंभ कर दी थीं। उनकी फिल्मों को देखने के लिए दर्शकों का हुजूम उमड़ने लगा था और सुपरस्टार की फिल्में लगातार पिटने लगी थीं। प्रशंसकों की भीड़ भी गायब हो चुकी थी। वक्त का उपहास उड़ाने वाले आत्ममुग्धता के रोगी अभिनेता के जीवन में एक वक्त ऐसा भी आया जब लोग उन्हें अपने बंगले के दरवाजे पर सफेद कुर्ता-पायजामा में सजधज कर खड़ा देख कर भी चुपचाप आगे बढ़ जाते थे।

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