Thursday, October 26, 2023

पापा अभी जिन्दा हैं...

    आहूजा शहर के अरबपति कारोबारी हैं। कपड़े के थोक व्यापार के साथ-साथ होटल भी चलाते हैं। अत्यंत मिलनसार धार्मिक सोच वाले आहूजा के रिश्तेदारों तथा मित्रों का खासा विस्तृत दायरा है। नेताओं के साथ भी उठना-बैठना है। कोई भी नया काम करने से पहले खूब सोच-विचार करते हैं। अनुभवी लोगों से सलाह लेना भी नहीं भूलते, लेकिन अपनी इकलौती बेटी को ब्याहने में उन्होंने ज्यादा दिमाग नहीं खपाया। किसी तरह से हाईस्कूल पास कर चुकी शारदा को मोटापा विरासत में मिला था। जो भी लड़का उसे देखने के लिए आता उसके भारी डीलडौल को देख असमंजस में पड़ जाता। वर्ष-दर-वर्ष बीतते देख आहूजा की तो रातों की नींद गायब होने लगी थी। काम-धंधे में भी कम मन लगता था। दिन-रात बस यही चिंता घेरे रहती कि, बेटी तीस की हो चली है। यदि शीघ्र शादी नहीं हुई तो लोग क्या कहेंगे? मेरा मज़ाक उड़ेगा। अरबपति बाप बेटी के हाथ पीले नहीं कर पाया! जैसी चाह हो, वैसी राह भी निकल ही आती है। एक सुबह मार्निंग वॉक के दौरान आहूजा से उनकी जान-पहचान वाले शामलाल टकरा गये। शामलाल ने ही बेटी के बारे में पूछा-पाछी शुरू कर दी। आहूजा ने अपनी पीड़ा और चिन्ता का प्याला छलकाने में ज़रा भी देरी नहीं की। रिश्ते करवाने में माहिर शामलाल ने तुरंत अपने पर्स से एक फोटो निकाल आहूजा के सामने कर दी। आहूजा ने तस्वीर पर सरसरी नज़र घुमाते हुए कहा, ‘शाम भाई इतना खूबसूरत फिल्मी हीरो-सा दिखने वाला लड़का मेरी बेटी की किस्मत में कहां! यह तो उसे देखते ही भाग खड़ा होगा।’ ‘आहूजा साहब लड़के और उसके परिवार को राजी करने की जिम्मेदारी मेरी रही। तुम तो बस एक बार हां कर दो। और हां, नोटों की बरसात करने में ज़रा भी कंजूसी मत करना। बिन मांगे ही उनका घर भर देना। वहीं खड़े-खड़े लड़के तथा उसके माता-पिता से मिलने-देखने की तारीख भी पक्की कर ली गयी। 

    नागपुर शहर से लगभग डेढ़ सौ किमी की दूरी पर स्थित बड़े से गांव में शामलाल के साथ आहूजा और उनकी धर्मपत्नी ने हवेलीनुमा विशाल घर में कदम रखा तो उनका खूब स्वागत सत्कार किया गया। चाय-पान के दौरान लड़का भी हाजिर हो गया। आहूजा दंपत्ति को घर भी भाया और लड़का भी। आहूजा ने लड़के के पिता को सपरिवार नागपुर आकर लड़की को देखने के लिए आमंत्रित किया तो उन्होंने कहा कि, ‘‘हमें शामलाल पर पूरा भरोसा है। इन्होंने लड़की देख रखी है। हमें सौ टक्का रिश्ता मंजूर है। आप बेफिक्र रहें, आपकी बेटी हमारे यहां राज करेगी।’’ तीन महीने में सगाई तथा शादी संपन्न हो गई। बेमेल सी जोड़ी ने सभी को अचंभित किया। सुगबुगाहट भी हुई कि आहूजा का धन बड़ा काम आया। आहूजा ने दहेज में महंगी कार के साथ-साथ वो सबकुछ दिया, जिसकी कल्पना लड़के वालों ने तो नहीं की थी। शादी समारोह में लगभग दो हजार मेहमान शामिल हुए। जिनमें बड़े-बड़े उद्योगपति, व्यापारी, अधिकारी और नेता शामिल थे। उनसे मिले कीमती उपहारों से ही ट्रक भर गया। बेटी की विदायी के तीसरे दिन आहूजा पत्नी के संग हरिद्वार गंगा-स्नान के लिए चले गए। उन्होंने दामाद-बेटी के लिए महंगी सर्व सुविधायुक्त विदेश यात्रा की टिकटें पहले ही बुक करा ली थीं। हवाई यात्रा के दौरान दुल्हन खुशी से झूमती रही। ऐसे आकर्षक खूबसूरत जीवनसाथी की तो उसने कभी कल्पना ही नहीं की थी। हमेशा मन में यही विचार आता था कि उसी की तरह कोई मोटल्ला, आम चेहरे वाला युवक ही उसे अपनायेगा। बढ़ती उम्र के साथ-साथ उसने तो दुल्हन बनने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। आकाश में उड़ते हवाई जहाज में अपनी सहेलियों की सुहागरातों के किस्सों में याद करती दुल्हन की नींद गायब थी। दूल्हा गहरी निद्रा में लीन था। उसके खर्राटे गूंज रहे थे, लेकिन यह क्या? सेवन स्टार होटल के आलीशान कमरे में दूल्हे को बेजान गुड्डे की तरह बिस्तर पर बस समय काटते देख दुल्हन पर बिजली-सी गिर पड़ी। वह गहन सोच में पड़ गई। सुहागरात के जिस आनंद, सुख और रोमांच की नवविवाहिता ने जो कल्पना की थी, उनका कहीं अता-पता नहीं था। फिर भी पूरी यात्रा के दौरान दुल्हन के अंदर रंग-बिरंगी तितलियां उड़ती रहीं और दुल्हा गुमसुम रहा। उमंगों-तरंगों के झूले में झूलती दुल्हन ने बिस्तर पर एक-दो बार स्त्री लज्जा को किनारे रख पहल भी की, उसके जिस्म को बार-बार टटोला, लेकिन दुल्हा बस बर्फ की चादर-सा सिमटा रहा। दुबक कर पड़ा रहा। विदेश के सेवन स्टार होटल और क्रूज में अपने पंद्रह दिन जाया करने के बाद दुल्हन जान गई कि उसका किसी नपुंसक से पाला पड़ा है। भारत लौटते ही उसने फोन पर मां को अपना दुखड़ा सुनाया। मां को कोई फर्क नहीं पड़ा। उलटे उसने बेटी को पति परमेश्वर के चरणों में समर्पित रहने का लंबा-चौड़ा पाठ पढ़ाने के साथ-साथ किसी अच्छे डॉक्टर से मिलने की सलाह दे डाली। डॉक्टर ने भी साफ-साफ बता दिया कि उसका पति बेदम है। दिन बीतते रहे। आहूजा दंपत्ति अपनी दिनचर्या में व्यस्त रहे। बेटी ने भी मुंह नहीं खोला। शादी के साल भर बाद बेटी ने खुदकुशी कर ली। आहूजा को यह खबर अखबारों के माध्यम से पता चली:

    ‘‘तुरही गांव में एक अत्यंत ही शर्मनाक और दुखद मामला सामने आया हैं, जहां पर ससुर ने अपनी ही बहू के साथ बलात्कार कर दिया। बहू ने इस शर्मनाक घटना की जानकारी जब अपने पति को दी तो उसने पिता से कुछ कहने की बजाय पत्नी को तीखे स्वर में कहा, अब जब पिता से तुम्हारे शारीरिक संबंध बन ही गये हैं, अब तुम उन्हीं को अपना पति मानो। इसके साथ ही उसे यह धमकी भी दे दी कि किसी बाहरी व्यक्ति को खबर लगने दी तो काट कर फेंक देंगे। पीड़िता ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने के बाद फांसी के फंदे पर झूलकर आत्महत्या कर ली। ध्यान रहे कि खुदकुशी करने वाली महिला नागपुर के रईस कारोबारी आहूजा की बेटी है।

    रांची के प्रेमचंद ने अपनी बेटी साक्षी की एक इंजीनियर से बड़ी धूमधाम से शादी की। लगभग 50 लाख रुपये खर्च किए। शादी के कुछ हफ्तों के बाद सचिन साक्षी को तरह-तरह से प्रताड़ित करने लगा। साक्षी के विरोध के बावजूद सचिन और उग्र होता चला गया। पहले गाली-गलौच करता था, फिर मारपीट का सिलसिला प्रारंभ कर दिया। साक्षी के मां-बाप को भी कम दहेज देने के ताने कसता था। दरअसल सचिन साक्षी को अत्याधिक तंग कर अपने घर से बाहर करना चाहता था। साक्षी का पल-पल भय और असमंजस में गुजर रहा था। इसी दौरान साक्षी से एक युवती मिली, जिसने उसे बताया कि सचिन हद दर्जे का धन लोलुप तथा चरित्रहीन है। उसकी चालबाजी की वह भी शिकार हो चुकी है। उसने कुछ वर्ष पूर्व उससे शादी की थी। साक्षी ने दोनों की शादी की तस्वीरें देखकर माथा पकड़ लिया। उस युवती ने यह भी बताया कि मेरे से पहले उसने एक अन्य लड़की के साथ सात फेरे लिए थे। साक्षी उसकी तीसरी शिकार है। साक्षी ने फोन कर अपने पापा को सबकुछ बताने में देरी नहीं की। कैंसर की जानलेवा बीमारी से लड़ रहे पिता ने गंभीरता से सोचने-विचारने के पश्चात बेटी को अपना निर्णय सुनाया, ‘‘बेटी तुम चिंता मत करो। मैं अभी जिन्दा हूं। अपनी दुलारी का बाल भी बांका नहीं होने दूंगा। अब तो बस तुम अपना सारा जरूरी सामान फौरन समेट लो। हमारे परिवार ने जिस तरह से डेढ़ वर्ष पूर्व खुशी-खुशी बारातियों के साथ तुम्हें विदा किया था, वैसे ही अब मैं बैंड, बाजे और बारातियों के साथ तुम्हें वापस लेने आ रहा हूं।’’ प्रेमचंद ने अपने शुभचिंतकों को भी सूचित कर दिया। नवरात्रि के शुभ अवसर पर जब लड़के वालों के यहां आतिशबाजी, बैंडबाजे के साथ बाराती पहुंचे तो वे भौंचक रह गये। उनके साथ गये बारातियों ने दहेज में दिये गये सामान को समेटकर ट्रक में भरा। कार की भी चाबी ले ली। लड़के वाले देखते रह गये। उनका मुंह ही नहीं खुल पाया। साक्षी के चेहरे की चमक देखते बनती थी। ऐसा लग रहा था जैसे वो बड़ी मुश्किल से जेल से छूटी हो। उसे अपने पापा पर गर्व है। वह कहती है कि यदि सभी पिता ऐसे ही बेटी का साथ दें तो न तो कोई बेटी मारी जाएगी न खुदकुशी करने को विवश होगी। 

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