Thursday, April 4, 2024

सेलिब्रिटी

     हर बार के चुनाव मेंं कुछ चेहरे अपने अंदर की गंदगी को बड़ी बेशर्मी से उगलने लगते हैं। उनकी विषैली भड़ास हंगामा खड़ा कर देती है, लेकिन उन्हें बड़ा मज़ा आता है। उनका मकसद जो पूरा हो जाता है। ये इतने शातिर हैं कि अपना थूका चाटने में भी नहीं लज्जाते। अपनी कमीनगी का दोष दूसरे पर मढ़ कर खिसक जाते हैं। 2024 का आम चुनाव भी इस कालिमा और कलंक से अछूता नहीं।

    फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत को भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। वह यहीं की रहने वाली हैं। मायानगरी मुंबई उनकी कर्मभूमि है। किस्म-किस्म की फिल्मों में प्रभावी अभिनय करने के साथ-साथ किसी से भी टकराने का साहस रखने वाली कंगना को जैसे ही टिकट मिली, कुछ लोग भौचक्के रह गये। उन्हें कंगना में हजारों कमियां नज़र आने लगीं। उनकी आंखों के सामने कंगना का फिल्मी चेहरा कौंधने लगा। उन्होंने इस सच को भुला दिया कि किसी भी अभिनेत्री को फिल्म में कहानी के पात्रों को साकार करना होता है। वेश्या और कालगर्ल की भूमिका निभाते समय जिस्म को अधनंगा तो किसी किरदार में बदन को ढक कर रखना पड़ता है। अभिनेत्री का यह असली चेहरा नहीं होता, लेकिन कुछ लोग इस सच को दरकिनार कर अपने मन-मस्तिष्क में कीचड़ भर लेते हैं, जिससे वे कभी भी मुक्त नहीं हो पाते। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत न्यूज चैनलों पर होने वाली विभिन्न परिचर्चाओं में कांग्रेस का पक्ष बड़ी होशियारी से रखती देखी जाती हैं। धारा प्रवाह बोलने का उनका निर्भीक अंदाज दर्शकों को बहुत भाता है, लेकिन  इस राजनीतिक नारी ने लोकसभा का टिकट मिलने के कुछ घण्टों के बाद अपने इंस्टाग्राम अकाउंट में कंगना की अर्धनग्न तस्वीर डालते हुए लिखा, ‘क्या भाव चल रहा है मंडी में कोई बताएगा?’ सुप्रिया राजनीति में आने से पहले टाइम्स गु्रप में कार्यकारी संपादक रह चुकी हैं। 2019 में पत्रकारिता छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गईं। उसी वर्ष हुए आम चुनाव में कांग्रेस ने इन्हें उत्तरप्रदेश के महाराजगंज निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा, लेकिन जीत नसीब नहीं  हुई। सुप्रिया श्रीनेत का कंगना के प्रति विष उगलना समझ में आता है। राजनीति में पतन की कोई सीमा  नहीं होती, लेकिन नामी-गिरामी उपन्यासकार, कहानीकार, संपादक मृणाल पांडे इतनी स्तरहीन क्यों हो गईं? उन्होंने एक्स पर लिखा, शायद यूं कि मंडी में सही रेट मिलता है। लेखिका की निगाह में कंगना वेश्या हैं और शहर मंडी कोई वेश्यालय है। भाजपा ने चुनाव जीतने के लिए खूबसूरत अभिनेत्री को बाज़ार में सजा-धजा कर खड़ा कर दिया है! कभी सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले विख्यात हिन्दी दैनिक हिंदुस्तान की संपादिका रहीं मृणाल पाण्डे वर्तमान में कांग्रेसी मुखपत्र नेशनल हेराल्ड की संपादिका हैं। मृणाल पाण्डे ने भी सुप्रिया की तरह अपने कांग्रेसी नेताओं को प्रभावित करने के लिए यह घटिया रास्ता चुना। यह अलग बात है कि चौतरफा छीछालेदर होने के बाद मृणाल ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया। दूसरी तरफ सुप्रिया को अपने बचाव में यह कहते ज़रा भी शर्म नहीं आई कि किसी ने मुझे बदनाम करने के लिए यह षडयंत्र रचा है। झूठ बोलने के जितने तौर-तरीके सुप्रिया जैसे सेलेब्रिटी औरतों को आते हैं उतने आम औरतों को नहीं आते। 

    कुछ बौखलाये राजनीतिक पुरुषों ने भी कंगना को नीचा दिखाने कोई मौका नहीं छोड़ा। अपने तीखे तेवरों के साथ-साथ खुले विचारों वाली कंगना को भाजपा की टिकट मिलना और भी कई तथाकथित बुद्धिजीवी महिलाओं को रास नहीं आया। कंगना लोकप्रिय अभिनेत्री हैं। बड़ी-बड़ी हस्तियों से टकराने की उनकी हिम्मत को देखकर ही भाजपा ने बहुत सोच-समझ कर उन पर दांव लगाया है। अपने देश में आज भी फिल्मी कलाकारों के प्रति लोगों में आकर्षण और आदर-सम्मान है। दक्षिण भारत में तो सिने कलाकारों को लोग भगवान मानते हैं। इसी हकीकत को भांपते हुए एनटीआर, एमजीआर, जयललिता, करुणानिधि जैसे कई कलाकारों ने राजनीति का दामन पकड़ कई वर्षों तक सत्ता का सुख भोगा। भारतीय जनता पार्टी सितारों पर दांव लगाने के इस खेल में अग्रणी है। 

    भाजपा ने इस बार दूरदर्शन के रामायण सीरियल में भगवान श्रीराम का किरदार निभाकर घर-घर में अपनी पहचान बनाने वाले अरुण गोविल को मेरठ से टिकट दी है। सच तो यह है कि इसमें भी भाजपा की गहरी रणनीति है। चुनावों में वह हर हाल में राम के मुद्दे को जिन्दा रखना चाहती है। तृणमूल कांग्रेस ने लोकप्रिय फिल्मी चेहरे शत्रुघ्न सिन्हा को आसन सोल से टिकट देकर मैदान में उतारा है। शत्रुघ्न सिन्हा ने दूसरे सितारों की तरह राजनीति को हलके में लेने की भूल नहीं की। अभिनेता धर्मेंद्र 2014 में बीकानेर से लोकसभा के लिए चुने गए थे, लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने अपने चुनाव क्षेत्र को झांक कर भी नहीं देखा। यही हाल उनके पुत्र सनी देओल का रहा, जिन्हें 2019 में भाजपा ने गुरुदासपुर से टिकट दिया। चुनाव जीतने के बाद वे भी गायब रहे। गुस्सायी जनता को अपने सांसद के गुमशुदा होने के जगह-जगह पोस्टर लगाने पड़े। अभिनेत्री और नृत्यांगना हेमामालिनी ने अपने चुनावी क्षेत्र की कभी अवहेलना नहीं की। 

    अक्सर कहा और पूछा जाता है जब महिलाओं को हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर अवसर देने के ढोल पीटे जाते हैं, तो उन्हें लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अहमियत क्यों नहीं दी जाती? अपने देश में प्रतिभावान नारियों की कहीं कोई कमी नहीं। सभी क्षेत्रों में उन्होंने खुद को स्थापित करने के कीर्तिमान रचे हैं। समुचित अवसर मिलने पर उन्होंने पुरुषों को बार-बार पछाड़ा भी है। अपनी इच्छा के अनुसार मतदान करने वाली जागरूक महिलाएं अपना हक चाहती हैं। वो जमाना गया जब भारतीय नारी अपने पिता, पति, भाई, चाचा, मामा आदि के इशारे पर ईवीएम का बटन दबाती थी। विभिन्न राजनीतिक दलों में महिला कार्यकर्ताओं की जो भीड़ नजर आती है, वह सिर्फ शोपीस बने रहना नहीं चाहती। उनके द्वारा जब टिकट की मांग की जाती है तब सेलिब्रिटी बाजी मार ले जाती हैं। संसद से पारित 33 फीसदी महिला आरक्षण विधेयक हवा-हवाई नज़र आता है...।

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