Thursday, April 28, 2011

इन्हें कोई फर्क नहीं पडता

फिर एक चप्पल चल गयी। कुछ दिन पूर्व बाबा रामदेव पर भी नारंगी नगर नागपुर में जूता बरसा था। किसी योगी पर भरी सभा में जूता उछाले जाने की यह पहली घटना थी। नेताओं पर तो अक्सर जूते-चप्पल चलते ही रहते हैं। यही वजह है कि वे इस तरह के स्वागत कार्यक्रमों के अभ्यस्त हो जाते हैं। कुछ तो इन्हें खाते-खाते निर्लज्ज भी हो जाते हैं। कांग्रेस के धुरंधर नेता सुरेश कलमाडी जब भरी अदालत में चप्पल की सलामी से रूबरू हुए तो न तो उन्हें कोई हैरानी हुई और न ही देशवासियों को अचंभा हुआ। अरबों रुपये के भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों से घिरे राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के पूर्व अध्यक्ष सुरेश कलमाडी पर जिस युवक ने चप्पल फेंकी वह बेरोजगार है। उसके और उसके जैसे असंख्य युवकों के मन में भ्रष्ट व्यवस्था और भ्रष्टाचारियों के प्रति जो आक्रोश भरा पडा है उसी की देन है यह सौगात जो कलमाडी के हिस्से में आयी है। कलमाडी जैसे और भी कई नेता हैं जिनके प्रति आम जनता में रोष भरा पडा है। यह सच्चाई भी कम चौंकाने वाली नहीं है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड रहे अन्ना हजारे की तरह सुरेश कलमाडी भी कभी सेना में थे। सेना की नौकरी छोडने के बाद अन्ना ने तन-मन से समाज सेवा की राह पकड ली और कलमाडी राजनीति में आ गये। कलमाडी ने राजनीति में आने के बाद अरबों-खरबों कमाये और तरह-तरह के खेल खेले और अन्ना सिर्फ अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर बढते रहे। आज अन्ना भले ही फकीर हैं पर पूरा देश उनके साथ है। देश के करोडों लोग हैं जो उनके एक इशारे पर कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। वे जहां भी जाते हैं लोग उन्हें हार-फूलों से लाद देते हैं। बडे-बडे ज्ञानी-ध्यानी उनके समक्ष नतमस्तक होते हैं। दूसरी तरफ कलमाडी हैं जिन पर देशवासी थू...थू करते नहीं थकते। राजनीति के मैदान में भ्रष्टाचार के झंडे गाड चुके कलमाडी की जब गिरफ्तारी हुई तब उन्हें एक अनजान युवक ने जहां चप्पल की सलामी दी तो दूसरी तरफ पूणे, जहां के वे सांसद हैं, में भी वो सब कुछ हो गया, जिसकी इस भ्रष्ट नेता को कल्पना ही नहीं थी। नेताजी को तो अपने कार्यकर्ताओं की अंधभक्ति पर बेहद भरोसा था। पर वे यह भूल गये थे कि जब भरोसा टूटता है तो वही होता है जो उनके साथ हुआ। उन्हीं के कार्यकर्ताओं और करीबियों ने उनके पूणे के कार्यालय को तहस-नहस कर यह जता दिया है कि भ्रष्टाचारियों के साथ कैसा सलूक किया जा सकता है। हवालात की हवा खा रहे कलमाडी का पूणे में काफी दबदबा रहा है। वहां की जनता बडे फख्र और विश्वास के साथ कलमाडी को अपना सांसद चुनकर दिल्ली भेजती रही है और कलमाडी ने क्या-क्या गुल खिलाये हैं उसका पता भी हर किसी को चल गया है। ऐसे में अब जब कलमाडी पूणे पहुंचेंगे तो लोग पता नहीं उनका क्या हश्र करेंगे? वोटरों के साथ जो धोखाधडी की गयी है उसका खामियाजा उन्हें भुगतना ही पडेगा। जैसी करनी वैसी भरनी का दौर आ गया है इसलिए कलमाडी जैसे राजनेताओं को सावधान हो जाना चाहिए। ऐसे नेताओं का हर तबके को बहिष्कार करना चाहिए। जो राजनेता वाकई ईमानदार हैं वे अगर इनसे दूरी बनाते हैं तो देश की जनता में काफी अच्छा संदेश जा सकता है।स्वामी नित्यानंद का नाम देशवासी कभी भूल नहीं सकते। इस शख्स ने साधू के भेष में महिलाओं के शील हरण का जो खेल खेला वह मीडिया में अच्छी खासी सुर्खियां बटोर चुका है। यही नित्यानंद जब हाल ही में आध्यात्मिक गुरु सत्य साई बाबा के अंतिम दर्शनों के लिए पहुंचे तो उन्हें देखते ही लोगों ने उनसे किनारा करना शुरू कर दिया। सेक्स स्कैंडल में फंसे स्वामी को यकीन था कि राजनेताओं और गणमान्य व्यक्तियों की तरह उन्हें भी वीवीआईपी प्रवेश द्वार से भीतर जाने की अनुमति मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गणमान्य व्यक्तियों के बीच स्वामी को खडे देखकर वहां उपस्थित कई लोग आगबबूला हो उठे। जो लोग आश्रम की देखरेख और व्यवस्था में लगे थे उन्होंने लोगों की भावनाओं को तुरंत समझ लिया और नित्यानंद को वीवीआईपी प्रवेश द्वार से अंदर जाने से रोक दिया। नित्यानंद को ऐसे व्यवहार की कतई उम्मीद नही थी। वे तो यह मानकर चल रहे थे कि उनके भक्तों को उनकी बदचलनी की खबरों से कोई फर्क नहीं पडा है। लोग तो उन्हें आज भी भगवान मानते हैं। यकीनन नित्यानंद की यह बहुत बडी भूल थी। वे आम आदमी के मनोविज्ञान को समझ ही नहीं पाये और अंतत: शर्मसार होकर उस कतार से हट गये जहां राजनेता और अन्य सेलेब्रिटी खडे थे। वे चुपचाप आम लोगों के लिए निर्धारित रास्ते से अंदर गये और फिर चुपचाप बाहर भी निकल गये। किसी ने भी उन्हें कोई भाव नहीं दिया। हर किसी ने देख कर भी उन्हें अनदेखा कर दिया। भ्रष्टाचारी और दुराचारी राजनेताओं के साथ भी जिस दिन ऐसा बर्ताव होना शुरू हो जायेगा तो यकीन मानिए देश की राजनीति का चेहरा-मोहरा ही बदल जायेगा...। राजनीति में जडें जमा चुके भ्रष्टाचारियों के घरों और कार्यालयों में तोडफोड करने और उन पर जूते-चप्पल बरसाने से कोई फर्क नहीं पडने वाला...।

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