इस देश के अधिकांश नेताओं की राजनीति के अंदाज बडे ही निराले हैं। जब अर्श पर होते हैं, तो सीधे मुंह बात ही नहीं करते। फर्श पर गिरते ही अपना चोला उतार फेंकते हैं और गिरगिट को मात देने लगते हैं। मेरे पाठक मित्र वसुंधरा राजे के नाम से बखूबी वाकिफ हैं। सिंधिया परिवार की यह दबंग बेटी राजस्थान की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं। इनके भ्राता माधवराव सिंधिया कांग्रेस के वफादार साथी थे। इसलिए उन्हें वर्षों तक केंद्र की सत्ता का उपभोग करने का सुअवसर मिलता रहा। उनकी माताश्री विजया राजे सिंधिया उस जमाने की जनसंघ और वर्तमान भारतीय जनता पार्टी की ऐसी सिपाही थीं जिनकी वफादारी पर कभी भी किसी ने उंगली नहीं उठायी। अलग-अलग पार्टियों में अपने-अपने करतब दिखाने के चलते मां-बेटे में कभी नहीं निभ पायी। माधवराव के पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए सत्ता का सुख भोगते चले आ रहे हैं। वसुंधरा राजे अपनी मां का अनुसरण कर भारतीय जनता पार्टी के रथ की सवारी का मज़ा लेती चली आ रही हैं। जब तक राजस्थान की कुर्सी हाथ में थी तब तक तो सब ठीक था। कुर्सी छिनते ही वे नदी से बाहर फेंक दी गयी मछली की तरह फडफडा रही हैं। सत्ता खोने की बेचैनी ने उनकी नींद उडा रखी है। वे येन-केन-प्रकारेण राजस्थान की मुख्यमंत्री बनने को बेचैन हैं। उन्होंने यह दिखाने की कोशिशे भी शुरू कर दी हैं कि लोगों ने उनके बारे में जो धारणा बना रखी है वह तो विरोधियों के षडयंत्र का परिणाम है। वे तो एकदम सीधी और सरल महिला हैं जिनका अहंकार से कई कोई नाता नहीं है। हमेशा आलीशान कारों के काफिले के साथ चलने वाली इस बगावती नेत्री के मन में बीते सप्ताह जयपुर के हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की इच्छा जागी। वैसे भी चुनावी मौसम के निकट आते ही नेताओं का धर्म-कर्म के प्रति झुकाव बढ जाता है। उन्हें गरीबों और असहायों की भी याद हो आती है। इसी वेदना के वशीभूत कोई राजनेता किसी आदिवासी के यहां रात बिताता है और उसके यहां का रूखा-सूखा खाना खाता है। किसी को कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों की एकाएक चिंता-फिक्र सताने लगती है और वह उसकी उजडी चौखट पर संवेदना की थैली लेकर पहुंच जाता है। तभी तो इस देश के राजनेताओं को दुनिया का सबसे बडा अजूबा प्राणी भी कहा जाता है। वसुंधरा तो उस पार्टी की सहयात्री हैं जिसकी राजनीति ही धर्म की नींव पर टिकी हुई है। पवन पुत्र हनुमान के दर्शन करने के लिए वसुंधरा एक रिक्शे पर सवार हो गयीं। भरी धूप में पूर्व मुख्यमंत्री को रिक्शे की सवारी करते देख लोग स्तब्ध रह गये। यही तो वे चाहती थीं। दिलशाद नामक रिक्शे वाला भी गदगद हो गया। उन्होंने उसे मंदिर पहुंचाने की ऐवज में पंद्रह सौ एक रुपये की बख्शीश भी दी। मैडम ने उसका मोबाइल नंबर भी लिया जिसे अपने मोबाइल में फौरन सेव कर लिया। रिक्शा चालक की खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था। एक मुश्त डेढ हजार की कमायी और उस पर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री को अपने रिक्शे पर बैठाकर मंदिर पहुंचाने का अद्भुत मौका और आनंद! गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी इन दिनों खुद को आम आदमी का संगी-साथी दिखाने का भूत सवार है। उन्हें देश की बेटियों और महिलाओं की चिंता कुछ ज्यादा ही सताने लगी है। छत्तीसगढ के राजनांदगांव में ४५ डिग्री की सुलगती धूप में मोदी ने जनता से सीधे संवाद की शैली में प्रधानमंत्री पर प्रहार करते हुए कहा कि मेरी आप सबसे गुजारिश है कि अपनी जवान बेटियों को दिल्ली न भेजें क्योंकि वहां मनमोहन सिंह बैठे हुए हैं। भारतवर्ष के प्रधानमंत्री बनने को बेताब नरेंद्र मोदी के पक्ष में भी जबर्दस्त माहौल बनाया जा रहा है। न्यूज चैनल वालों ने तो मोदी को भविष्य का प्रधानमंत्री घोषित कर दिया है। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को मोदी की तुलना में काफी बौना बताया जाने लगा है। जो काम देश के मतदाताओं को करना है उसे न्यूज चैनलवालों ने अपने हाथ में ले लिया है। चैनली भविष्यवक्ता जिस तरह से मोदी के पक्ष में हवा बना रहे हैं उससे तो यही लग रहा है कि इस देश के मतदाताओं ने मोदी को ही अपना एकमात्र मसीहा मान लिया है जो चुटकी बजाते ही उनकी तमाम तकलीफें दूर कर देगा। दूसरी तरफ मनमोहन सरकार ने अपने कार्यकाल के चार साल पूर्ण करने के उपलक्ष्य में जश्न मनाया। भले ही सरकार ने भ्रष्टाचार और घोटालों का कीर्तिमान रचा हो पर उसने भी यह भ्रम पाल लिया है कि देशवासियों की याददाश्त बेहद कमजोर है।
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने यूपीए-२ का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए कहा कि विपक्ष की तो शोर मचाने की पुरानी आदत है। हमने जब सत्ता की कमान संभाली थी तब देश की हालत जर्जर हो चुकी थी। दरअसल हमें तो खाली गिलास ही मिला था। इस गिलास को भरने के लिए समय तो लगेगा ही। पर हमारे विरोधी सब्र करने को तैयार ही नहीं हैं। हमारी सरकार ने ही तो भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल पेश किया। बीते ९ साल में गरीबी घटी है। महंगाई पर काबू पाया गया है। हमने व्यवस्था को पारदर्शी बनाया है और हमारे ही कार्यकाल में दुनिया के दूसरे देशों से अच्छे और बेहतर रिश्ते बने हैं। कांग्रेस की सुप्रीमों सोनिया गांधी ने भी सरकार की उपलब्धियां गिनाने में अपनी पूरी ताकत लगा दी और भारतीय जनता पार्टी को जी भरकर कोसते हुए कहा कि यह पार्टी संसद ही नहीं चलने देती। इसके कारण कई अहम कानून पास नहीं हो पाए। हम तो बहुत कुछ करना चाहते थे पर इस पार्टी ने हमारा रास्ता रोक लिया। दरअसल आम आदमी को किसी की भाषा समझ नहीं आ रही है। वह बेचारा तो हैरान और परेशान है कि जो सरकार खाली गिलास को पूरे नौ साल तक सत्ता-सुख भोगने के बाद भी नहीं भर पायी उसके कहे को सच मानें या उनकी सुनें जो केंद्र की सत्ता पाने के लिए मजमें लगा रहे हैं और उछल-कूद रहे हैं...।
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने यूपीए-२ का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए कहा कि विपक्ष की तो शोर मचाने की पुरानी आदत है। हमने जब सत्ता की कमान संभाली थी तब देश की हालत जर्जर हो चुकी थी। दरअसल हमें तो खाली गिलास ही मिला था। इस गिलास को भरने के लिए समय तो लगेगा ही। पर हमारे विरोधी सब्र करने को तैयार ही नहीं हैं। हमारी सरकार ने ही तो भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल पेश किया। बीते ९ साल में गरीबी घटी है। महंगाई पर काबू पाया गया है। हमने व्यवस्था को पारदर्शी बनाया है और हमारे ही कार्यकाल में दुनिया के दूसरे देशों से अच्छे और बेहतर रिश्ते बने हैं। कांग्रेस की सुप्रीमों सोनिया गांधी ने भी सरकार की उपलब्धियां गिनाने में अपनी पूरी ताकत लगा दी और भारतीय जनता पार्टी को जी भरकर कोसते हुए कहा कि यह पार्टी संसद ही नहीं चलने देती। इसके कारण कई अहम कानून पास नहीं हो पाए। हम तो बहुत कुछ करना चाहते थे पर इस पार्टी ने हमारा रास्ता रोक लिया। दरअसल आम आदमी को किसी की भाषा समझ नहीं आ रही है। वह बेचारा तो हैरान और परेशान है कि जो सरकार खाली गिलास को पूरे नौ साल तक सत्ता-सुख भोगने के बाद भी नहीं भर पायी उसके कहे को सच मानें या उनकी सुनें जो केंद्र की सत्ता पाने के लिए मजमें लगा रहे हैं और उछल-कूद रहे हैं...।
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