Thursday, October 1, 2015

इस हकीकत को समझो...

आजकल अच्छी खबरों का तो जैसे अकाल पड गया है। ऐसा भी लगता है कि सकारात्मक खबरों को ज्यादा अहमियत नहीं दी जाती। राजनीति, सेक्स और अपराधकर्म से जुडी खबरों से अखबार भरे नजर आते हैं। न्यूज चैनल वाले भी यही मानते हैं कि लोग मनोरंजन चाहते हैं। उन्हें गंभीर विषय पसंद नहीं आते। इसलिए वे भी सनसनी मचाये रहते हैं। फिर भी जब आशा के दीप जलाने वाली खबरें सुर्खियां पाती हैं तो बहुत अच्छा लगता है। कल जब अखबार के पन्ने पलटने शुरू किये तो एक खबर के इस शीर्षक ने बरबस आकर्षित कर लिया : 'राधास्वामी की शरण में पहुंचे फोर्टिस के शिवेंदर' आकर्षित होने की एक वजह यह भी थी कि अखबारों में छोटे-मोटे लोगों के बारे में इस तरह से खबरें नहीं छपतीं जिस तरह से यह खबर छापी गयी थी। मन में एकाएक जिज्ञासा जागी कि आज के इस दौर में जब आश्रमों और डेरों को लेकर जबरदस्त अविश्वास का माहौल है और साधु-साध्वियों के नकाब उतर रहे हैं, तब ऐसे में सत्संगी होने जा रहा यह शिवेंदर नामक शख्स कौन है और उसने आखिर ऐसा निर्णय क्यों लिया?
वाकई शिवेंदर बहुत बडी हस्ती हैं। वे फोर्टिस अस्पताल के मालिक हैं। देश के १५ शहरों में मरीजों को इलाज की बेहतरीन सुविधा उपलब्ध करवाने के कारण अच्छी-खासी ख्याति अर्जित कर चुके इस अस्पताल की पूंजी पांच हजार करोड रुपये से ज्यादा है। उनके अस्पतालों की ये चेन दुनिया भर के दस देशों में अपनी सेवाएं देती चली आ रही है। देश और दुनिया में अरबों-खरबों का साम्राज्य खडा कर चुके ४० वर्षीय शिवेंदर ने फोर्टिस हेल्थ केयर कंपनी को चलाने और जमाने के लिए बीस वर्ष तक अथक मेहनत की और खूब पसीना बहाया। जब धन-दौलत का सुख भोगने का वक्त आया तो शिवेंदर ने सुविधा भोगी उद्योगपतियों और व्यापारियों के पदचिन्हों पर चलने के बजाय अपने जमे-जमाये कारोबार से किनारा कर राधा स्वामी सत्संग ब्यास के सेवक बनने का ऐलान कर देश और दुनिया को हैरत में डाल दिया। यकीनन उनके महाराजा से जन सेवक बनने की खबर ने करोडों लोगों के दिल को भी छू लिया। शिवेंदर ने संन्यास लेने की वजह इन शब्दों में बतायी: 'मेरा संकल्प रहा है कि हम जिन्दगी को बचाएं और उसे और बेहतर बनाएं। पिछले कुछ समय से मैं महसूस कर रहा हूं कि मुझे जो कुछ मिला है उसे समाज को सीधे सेवा के जरिए लौटाना चाहिए।' अपने इसी उद्देश्य के लिए उन्होंने राधास्वामी सत्संग ब्यास का दामन थामा है। गौरतलब है कि राधास्वामी का मतलब होता है... आत्मा के भगवान। सत्संग का मतलब होता है सच्चाई से अवगत कराना। ब्यास एक कस्बा है, जो पंजाब की पवित्र नगरी अमृतसर के पास स्थित है। इसकी स्थापना १८९१ में की गयी थी। राधास्वामी का मूल उद्देश्य धार्मिक संदेश देकर लोगों की जीवन में सुधार और मानवता की सेवा करना है। भारतवर्ष के साथ-साथ दुनियाभर के ९० देशों में सक्रिय इस आध्यात्मिक और दार्शनिक संस्था का किसी भी राजनीतिक दल और व्यावसायिक संगठन से कोई वास्ता नहीं है। किसी ने सच कहा है कि इस विशाल सृष्टि में सबसे ज्यादा रहस्यमय अगर कोई है तो वह इंसान है। उसे पूरी तरह से समझ पाना बहुत मुश्किल है। वह कब क्या कर जाए उसे खुद पता नहीं होता। धन-दौलत से हर किसी को आत्मिक खुशी नहीं मिलती। प्रसन्नता और संतुष्टि भी किसी भी बाजार में नहीं बिकती। इन्हें खुद ही खोजना पडता है। अपने मन की करने के लिए किसी की सलाह और इंतजार में समय क्यों गंवाना?
अपने देश में पति, पत्नी के बीच मनमुटाव, तनातनी और फिर तलाक की नौबत आ जाना कोई नयी बात नहीं है। बबलू सिंह और उसकी पत्नी सोनू अरोरा को जब लगा कि अब उन दोनों का साथ रह पाना मुश्किल है तो उन्होंने जबलपुर के कुटुंब न्यायालय में तलाक के लिए अर्जी दायर कर दी। आपसी कटुता की वजह से दोनों को एक-दूसरे का चेहरा देखना गवारा नहीं था। कोर्ट के चक्कर काटते-काटते छह माह बीत गये। इस बीच बबलू सिंह की किडनी खराब हो गयी। बीते मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान मीडिएटर जब दोनों पक्षों को समझाइश दे रहे थे तभी बबलू ने बताया कि उसकी एक किडनी खराब हो चुकी है और उसे लगातार डायलिसिस की जरूरत पडती है। यह सुनते ही सोनू को एक झटका-सा लगा। उसकी आंखें भर आयीं। वह तलाक लेने के इरादे को भूल मौत के कगार पर खडे पति का उदास और बीमार चेहरा ताकने लगी। वह एक ही झटके में पति के निकट जा पहुंची और उसे आश्वस्त करते हुए कहा कि तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हें अपनी किडनी दूंगी। तुम्हें कुछ भी नहीं होगा। कल तक तलाक के लिए अडी पत्नी की इस आत्मीयता ने कोर्ट में मौजूद सभी लोगों को स्तब्ध कर दिया। उनकी आंखों से झर-झर कर आंसू गिरने लगे। इसे आप क्या कहेंगे? जिन्दगी का यही असली सच है। जीवन की हकीकत को किसी कवि ने इन शब्दों में बयां किया है:
कभी कभी
आप अपनी जिन्दगी से
निराश हो जाते हैं
जबकि
दुनिया में उसी समय
कुछ लोग
आपकी जैसी जिन्दगी
जीने का सपना देख रहे होते हैं।
घर पर खेत में खडा बच्चा
आकाश में उडते हवाई जहाज को देखकर
उडने का सपना देख रहा होता है,
परन्तु
उसी समय
उसी हवाई जहाज का पायलट
खेत और बच्चे को देख
घर लौटने का सपना
देख रहा होता है
यह जिन्दगी है।
जो तुम्हारे पास है, उसी का मजा लो।
अगर धन-दौलत
रुपया पैसा ही
खुशहाल होने का सीक्रेट होता,
तो अमीर लोग नाचते दिखायी पडते,
लेकिन गरीब बच्चे
ऐसा करते दिखायी देते हैं।
इसलिए दोस्तो
यह जिन्दगी...
सभी के लिए खूबसूरत है
इसको जी भरकर जीयो
इसका भरपूर लुत्फ
उठाओ
क्योंकि
जिन्दगी ना मिलेगी दोबारा।

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