Thursday, August 1, 2019

सच तो सच है

हम लोग बहुत कुछ छुपाकर रखने की कला में सिद्धहस्त हैं। हम किसी भी हालत में यह नहीं चाहते कि हमारी कोई ऐसी कमजोरी जगजाहिर हो, जिससे बदनामी हो। अपने यहां के कई घरों-परिवारों में बहुत कुछ आपत्तिजनक घटता रहता है, जिसे अपराध की श्रेणी में भी रखा जा सकता है। फिर भी मुंह बंद रखा जाता है। अनदेखी का नाटक किया जाता है। अपने आसपास रहने वाले अपराधियों और अपराधों को भी नजरअंदाज करने के अभ्यस्त हो चुके है हम। लोकायुक्त की टीम ने बीते हफ्ते मध्यप्रदेश के सीधी जिले के सिंचाई विभाग के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर के भोपाल और सीधी स्थित ठिकानों पर छापे मारे। करोडों की जमीनें, फार्म हाऊस, फ्लैट, कारें और लाखों के शेयर मिले। इसके साथ ही उसके यहां इतना अधिक सोना-चांदी था कि जिसे तोलने के लिए टीम को तराजू मंगाना पडा। ज्वैलरी में कई तरह के सोने के हार और अंगुठियां थीं। इसके साथ सोने-चांदी की मूर्तियों और सोने के सिक्कों के अंबार के साथ सोने के गिलास, चांदी के डिनर सेट और दर्जनों चमकती चांदी की कटोरियां भी मिलीं। वर्षों से भ्रष्टाचार में लिप्त इंजीनियर साहब इन्हीं सोने-चांदी के बर्तनों में ठाठ से खाना खाते थे। अपने खास मेहमानों को भी वे इन्हीं सोने-चांदी के बर्तनों में खाना खिलाते थे। उनके घर में अक्सर सजने वाली महफिलों में मंत्री, विभिन्न विभागों के उच्च अधिकारी, उद्योगपति, पत्रकार, संपादक शामिल होते थे, जो सोने के गिलासों में विदेशी स्कॉच भर-भर के पीते थे और भ्रष्ट इंजीनियर की मेहमाननवाजी का भरपूर मज़ा लूटा करते थे।
राजस्थान की गुलाबी नगरी जयपुर में बीते दिनों एक ६५ वर्षीय पिता अपने कुकर्मी बेटे की शिकायत करने के लिए कलेक्ट्रेट जा पहुंचा। इस उम्रदराज सजग पिता ने बाकायदा लिखित अर्जी दी, जिसमें बेटे की शर्मनाक कारस्तानियों का स्पष्ट उल्लेख किया। उन्होंने लिखा कि उनका तीस वर्षीय नालायक बेटा तमाम गंदी आदतों के दलदल में धंस चुका है। महिलाओं का सम्मान करने में उसे तौहीन महसूस होती है। घोर आपराधिक मानसिकता वाले अपने इस बेटे के कारण मैं बेहद शर्मसार हूं। राह चलती लडकियों के साथ अश्लील हरकतें करने वाले इस बदमाश से उसकी बहनें भी खौफ खाने लगी हैं। उन्हें अपनी अस्मत लुटने का भय सताने लगा है। चौबीस घण्टे डरी-सहमी रहती हैं। गली-मुहल्ले की लडकियों का तो इसने वर्षों से जीना-दुश्वार कर रखा है। जिस तरह से उसकी करतूतें बेलगाम होती चली जा रही हैं, उससे मुझे यकीन है कि वह कभी भी किसी भयावह काण्ड को अंजाम दे सकता है। वैसे भी देश में महिलाओं पर बलात्कार और तरह-तरह के अत्याचार बढते चले जा रहे हैं। इसलिए मेरी आपसे हाथ जोडकर विनती है कि उसे फौरन गिरफ्तार करें। जब तक वह सुधर न जाए तब तक जेल की सलाखों में ही रहने दें। ऐसे खतरनाक लोगों के स्वतंत्र घूमने-फिरने से समाज और परिवार में जो भय बना रहता है, उसे इस अर्जी में बयां कर पाना बेहद मुश्किल है। ऐसी पथभ्रष्ट औलादें असंख्य हंसते-खेलते परिवार बर्बाद कर चुकी हैं। जन्मदाताओं के नाम पर बट्टा लगाने वाली संतानें किसी के घर में भी पैदा हो सकती हैं। पर कितने लोग हैं जो अपनी शैतान औलाद के खिलाफ पाती लिखकर प्रशासन तक पहुंचाने की हिम्मत रखते हैं?
महात्मा गांधी का एक बेटा बेहद नालायक था। उसके शराबी-कबाबी होने के कारण बापू को बेहद पीडा होती थी। इसी बेटे ने जब इस्लाम धर्म अपना लिया तो बापू और बा के दिन का चैन और रातों की नींद पूरी तरह से लुट गई थी। पंजाब केसरी के यशस्वी संपादक श्री अश्विनी कुमार लिखते हैं कि 'कलकत्ते के कुछ मुसलमान मौलाना बापू के मुसलमान बने बेटे को उठाकर ले गए।  उन दिनों बापू और बा दिल्ली की हरिजन कालोनी वाल्मीकि भवन, जिसे आज बापू निवास कहा जाता है, में एक झोंपडी में रहा करते थे। बापू और बा के समक्ष यह एक विकट समस्या थी कि आखिर करें तो क्या करें। उन दिनों दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा यानी आर्य समाज के अध्यक्ष श्री रामगोपाल शालवाले हुआ करते थे। उधर लाला जगत नारायण पूरे पंजाब के आर्य समाज के अध्यक्ष थे। बापू को लगा कि ये आर्य समाजी ही उनके बेटे को वापिस हिंदू धर्म में ला सकते हैं। चुनांचे आनन-फानन में गांधी जी ने लालाजी और रामगोपाल शालवाले को बुलावा भेजा। दोनों ही नेता कांग्रेसी थे। लालाजी तो पंजाब प्रदेश कांग्रेस पार्टी के बेहद शक्तिशाली सीनियर जनरल सेक्रेटरी थे। जब ये दोनों महात्मा की कुटिया में पहुंचे तो गांधीजी और बा ने उनके समक्ष फूट-फूट कर रोना शुरू कर दिया। उन्हें अपने बेटे की पूरी दास्तां सुनाई और प्रार्थना करने लगे कि हमारे बेटे को किसी भी तरह से मुसलमानों के चंगुल से छुडाओ और हिंदू धर्म में वापिस लाओ। लालाजी और शालवाले अपने करीब ५० समर्थकों के साथ कलकत्ता रवाना हो गए। वहां उन्होंने उस जगह का पता लगाया जहां महात्मा गांधी के बेटे को कैद कर रखा गया था। बस लालाजी और रामगोपाल शालवाले के नेतृत्व में आर्य सेना मुसलमानों पर पिल पडी, काफी मारधाड हुई, लेकिन आर्यों ने महात्मा के बेटे को सकुशल बरामद कर लिया और उसे अपने साथ कलकत्ता से दिल्ली ले आए। दिल्ली के ऐतिहासिक मंदिर मार्ग के आर्य समाज मंदिर में पहले उसकी मुस्लिम दाढी काटी गई, फिर उसे गंगा जल से नहलाया गया। यज्ञ करके उसे यज्ञोपवीत पहनाया गया। उसके माथे पर चन्दन का तिलक लगाया गया और उसकी मुस्लिम सलवार-कमीज उतार कर खादी का सफेद कुर्ता-पायजामा पहनाया गया। फिर उससे १० बार गायत्री मंत्र का उच्चारण करवाया गया। बाद में लालाजी और शालवाले उसको लेकर गांधी जी की हरिजन कालोनी वाली कुटिया में आए। पूज्य लालाजी बताते थे, फिर उन्होंने गुमसुम पडे गांधीजी और बा के समक्ष उनके बेटे को झटके से फेंका और बोले गांधी जी आज के बाद हिन्दू-मुसलमान भाईचारे की बातें छोड दो, हम आपके बेटे को इस्लामी फंडा मैंटल्स के चंगुल से वापिस ले आए हैं। लालाजी यहां भी नहीं रुके। महात्मा गांधी को बोले ये जो आप हिन्दू और मुस्लिम मेरे दाहिने और बाएं हाथ हैं यह बातें करनी छोड दें। अगर हिन्दू और मुस्लिम आपके दो बच्चे हैं तो फिर अगर आपके बेटे ने इस्लाम धर्म अपना लिया था तो आप इतना रो क्यों रहे हो? गौरतलब है कि अश्विनी कुमार के दादाश्री लाला जगत नारायण ने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, सुभाषचंद्र बोस आदि के साथ कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था।

No comments:

Post a Comment