Thursday, October 31, 2019

संत और सत्ता

आज मेरे सामने देश के विभिन्न अखबारों में छापी दो खबरें हैं। एक खबर है, समीना बानो के बारे में, जिन्होंने गरीब बच्चों को शिक्षा देने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनी से नाता तोड लिया। पुणे की रहने वाली समीना जो कि पेशे से कम्प्यूटर इंजीनियर हैं, अमेरिका में अच्छी-खासी पगार वाली नौकरी कर रही थीं। जिन्दगी काफी अच्छी दौड रही थी। तब भी समीना के मन में अक्सर यह विचार आता कि माता-पिता ने मुझे इतनी अच्छी शिक्षा दी, जिसकी बदौलत आज मैं यहां तक पहुंची हूं, लेकिन मेरे ही देश भारत के कई हिस्सों में अब भी बहुत सारे ऐसे बच्चे हैं, जिनको अच्छी शिक्षा मिलना तो दूर, वे तो स्कूल भी नहीं जा पाते। अचानक एक दिन समीना अपने देश लौटीं और गरीब बेसहारा बच्चों को पढाने-लिखाने लगीं। उन्होंने अपने इस काम की शुरुआत झुग्गी-झोपडियों में रहने वाले बच्चों से की है।
दूसरी खबर यानी दास्तान है क्लर्क से भगवान बन सैकडों करोड की बेहिसाबी दौलत जुटाने वाले विजय कुमार नायडू की जो कभी चेन्नई की बीमा कंपनी में था तो अदना-सा क्लर्क, लेकिन बिना मेहनत किए करोडों-अरबों कमाने की उसकी हसरत थी। वह चौबीस घण्टे धनवान बनने के रास्ते ढूंढता रहता था। इसी दौरान उसने श्रीमद् भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण के कहे इन शब्दों को पढा तो वह खुशी के मारे नाचने लगा, "जब कलयुग में अधर्म बढ जाएगा तब धर्म की स्थापना के लिए मैं यानी विष्णु भगवान कल्कि के रूप में अवतार लूंगा। अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करूंगा।" विजय कुमार ने तय कर लिया कि उसे अब खुद को विष्णु का दसवां अवतार भगवान कल्कि घोषित कर अपने सभी मायावी सपनों को पूरा करके ही दम लेना है।
शातिर विजयकुमार अच्छी तरह से जानता-समझता था कि देश और दुनिया में धर्म और अध्यात्म का रंगीन चोला ओढ कर कई धूर्तों ने अथाह माया बटोरने में सफलता पायी है। चाहे कुछ भी हो जाए, लेकिन धर्म का धंधा कभी मंदा नहीं होता। धोखे-पर-धोखे खाने के बाद भी अंधभक्त श्रद्धालुओं की आंखें नहीं खुलतीं। एक धूर्त का नकाब उतरता है तो दो-चार और 'उद्धारकर्ता' जन्म ले लेते हैं। हिन्दुस्तान तो वैसे भी देवी-देवताओं की धरती है, जहां इंसान कम और 'भगवान' ज्यादा हैं। आसाराम, रामपाल, राम-रहीम जैसे धूर्तों की तरह ही देखते ही देखते विजय कुमार ने देश और विदेश में भोले-भाले लोगों को सीधे मोक्ष यानी भगवान से मिलवाने का दावा करने वाली दुकानें शुरू कर दीं। बडे-बडे उद्योगपति, व्यापारी, राजनेता, मंत्री, अभिनेता उसके चरणों में माथा टेकते हुए चढावा चढाने लगे। करोडों श्रद्धालुओं के मन में यह बात बिठा दी गयी कि यह आधुनिक भगवान उनके सभी कष्टों का निवारण कर सकता है। वे भी दिल खोलकर धन की बरसात करने लगे। कुछ ही वर्षों में वह इतना मालामाल हो गया कि जमीनों की अंधाधुंध खरीदी करने लगा और टैक्स चोरी के लिए विदेशी कंपनियों में धन का निवेश करने लगा। चंद ही वर्षों में देश और विदेश में अपने लूट तंत्र का मायाजाल फैलाने वाले इस भगवान के देशभर के ४० आश्रमों में १६ अक्टूबर २०१९ को आयकर विभाग ने छापामारी की तो ५०० करोड से अधिक की बेनामी संपत्ति उजागर होने के साथ-साथ ४४ करोड नगदी, २५ लाख अमेरिकी डालर, पांच करोड के हीरे तथा और भी बहुतेरा चौंकाने वाला ऐसा कीमती सामान मिला।
इतिहास गवाह है कि अपने देश में धनलोभी, सौदागर प्रवृत्ति के प्रवचनकारों, योग गुरुओं, तांत्रिकों और तथाकथित भगवानों को सत्ता और राजनेताओं का भरपूर साथ मिलता है। जेल में बंद आसाराम के प्रवचनों के कार्यक्रमों के मंचों पर बडे-बडे राजनेता, मुख्यमंत्री, मंत्री और प्रधानमंत्री तक शोभायमान होकर उसकी तारीफों के पुल बांधा करते थे। आसाराम उनके साथ ली गई तस्वीरों का विज्ञापन की तरह इस्तेमाल कर अपने कारोबार का विस्तार करता था। कहीं न कहीं यह काम योग गुरु बाबा रामदेव और श्री श्री रविशंकर ने भी बडी चालाकी से किया है और अरबों-खरबों का व्यावसायिक साम्राज्य खडा कर देश और विदेश के नामी-गिरामी उद्योगपतियों, व्यापारियों को चिंता और हैरत में डाल दिया है। गनीमत है कि यह धुरंधर दवाएं, बिस्कुट, टूथपेस्ट, शैम्पू, साबुन, क्रीम, पाउडर, तेल, घी, शर्बत, चाकलेट, च्यवनप्राश, यौनवर्धक कैप्सूल आदि बनाते और बेचते हैं। जबकि इनके असली प्रेरणास्त्रोत योग गुरु धीरेंद्र ब्रम्हचारी तो बंदूकें बनाया और बेचा करते थे। जम्मू में उनकी गन बनाने की फैक्टरी थी। यह अनोखे स्वामी स्व. प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के खास राजदार और राजनीतिक गुरु थे। साउथ दिल्ली में स्थित फ्रेंडस कॉलोनी में धीरेंद्र की आलीशान कोठी थी, जहां पर उस जमाने के शक्तिशाली नेताओं, मंत्रियों, उद्योगपतियों, अभिनेताओं का दिन-भर आना-जाना लगा रहता था। उन्हें पता होता था कि ब्रह्मचारी प्रधानमंत्री के खास हैं। मुश्किल से मुश्किल काम को आसानी से करवा सकते हैं। उस दौर में प्रधानमंत्री आवास सफदरजंग रोड तक उन जैसी किसी और की पहुंच नहीं थी। वे प्रतिदिन सुबह इंदिरा गांधी को योग करवाने जाते थे। इसी दौरान उन्हें दूसरे 'हाल-चाल' से अवगत करवाकर उन कामों की भी स्वीकृति हासिल कर लेते थे, जिनसे उन्हें करोडों की दक्षिणा मिलती थी। उस जमाने में जहां नाम-मात्र के लोग ही हवाई सफर किया करते थे, वहीं इस सत्ता के दलाल के पास अपना लग्जरी जेट था। तब के उद्योगपति, व्यापारी और सेलिब्रिटीज उनके आलीशान जीवन जीने के तौर-तरीकों के सामने खुद को काफी बौना पाते थे और उनसे मिलना अपना सौभाग्य समझते थे।

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