Thursday, July 2, 2020

अपनी-अपनी भूख

राजधानी दिल्ली के एक छोर पर घनी आबादी से मीलों दूर स्थित 'जलतरंग फार्महाऊस' में दोनों पुराने मित्र रसरंजन में लीन थे। दोनों ने वर्षों की मेहनत से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जो जगह बनायी है, उससे ईर्ष्या  करने वाले ढेरों हैं। रविन्द्र और जलतरंग नाम है उनका। जलतरंग ने कुछ साल पूर्व पांच करोड में फार्महाऊस खरीदा था। जलतरंग और रविन्द्र का जाम से जाम टकराने के लिए फार्महाऊस में आना-जाना लगा रहता है। रविन्द्र ने भी गुरुग्राम के निकट कई एकड में फैले फार्महाऊस को खरीदने का सौदा कर लिया है। दोनों अलग-अलग नामी-गिरामी न्यूज चैनल के प्रतिष्ठित एंकर हैं, उन्हें एक-दूसरे का कट्टर विरोधी माना जाता है। एक मोदी भक्त है तो दूसरा राहुल और सोनिया का। उनके प्रशंसक सोच भी नहीं सकते कि यह दोनों हस्तियां कभी एक साथ बैठती-खाती-पीती तथा हर तरह की मस्ती में तैरती-डूबती होंगी। दोनों ने जब दो-दो पैग हलक में उतार लिये तब उनकी बातचीत प्रारंभ हुई। हमेशा की तरह शुरुआत की जलतरंग ने, "मित्र, अब तो महंगी से महंगी स्कॉच का भी असर नहीं होता। वो भी क्या दिन थे, जब मुफ्त की मिलती थी और हम नशे में टुन्न होकर सारी दीन-दुनिया को भूल जाते थे। देश की सत्ता बदलने के बाद सब गुड गोबर हो गया है। एक हमारे वो प्रधानमंत्री थे, जो हर विदेश यात्रा में हम जैसे धाकड एंकरों, संपादकों को बडे आदर- सम्मान के साथ अपने साथ ले जाते थे। हवाई जहाज में हंसते मुस्कराते हुए खुलकर बातें होती थीं। मनमोहक प्रधानमंत्री भले ही बोलते कम थे, लेकिन अहंकार से कोसों दूर थे। उनके साथ की गई विदेश यात्राओं को मीडिया वाले आज भी याद कर गदगद हो जाते हैं। यात्रा के दौरान शराब-कबाब का तो भरपूर आनंद मिलता ही था। लौटते समय भी शराब की बोतलों और महंगे तोहफों से लाद दिया जाता था। एक यह पीएम हैं, जिन्होंने विदेश यात्राओं का रिकॉर्ड ही तोड दिया है, लेकिन जाते अकेले हैं। इन्हें तो मीडिया से ही चिढ है। यह महापुरूष तो धांसू पत्रकारों से मिलना तथा प्रेस कॉफ्रेंस करना तक अपना अपमान समझते हैं। ऐसे अकडबाज सूखे किस्म के शासक की लोकप्रियता का राज़ अपनी तो समझ में नहीं आता...?"
"मित्र तुम अपने दर्द का इलाज क्यों नहीं करते? पिछली बार भी कुछ ऐसी ही बातों में अपना कीमती वक्त बिता दिया था हमने। क्यों न कोई नयी चर्चा छेडी जाए...?"
"जिस पर बीतती है वही अपने 'कष्ट' को समझता है। मेरी समझ में नहीं आता कि देश के पीएम के खिलाफ कुछ भी कहने, बोलने से तुम और तुम्हारे जैसे तमाम अंध भक्त आग बबूला क्यों हो जाते हो! सोशल मीडिया में जहां-तहां फैली उनकी भक्त मंडली गाली-गलौच और धमकियां देने पर उतर आती है। मेरा तो खून ही खौल उठता है। इच्छा होती है एक-एक की गर्दन दबोचूं और कुत्ते की मौत मार डालूं।'
"देखो मित्र, बुरी तरह से आहत करने वाली प्रतिक्रियाओं के लिए आप भी कम दोषी नहीं। जब देखो तब सरकार और असरदार के पीछे पडे रहते हो। आपने कुछ दिन पहले सोशल मीडिया में यह शिकायत दर्ज करायी थी कि यह अलबेला प्रधानमंत्री मेरे जैसे तीखे सवाल करने वाले एंकर से खौफ खाता है और अक्षय कुमार जैसे फिल्मी 'जोकरों' को साक्षात्कार देने के लिए खासतौर पर अपने निवास पर आमंत्रित करता है। आपके लिखने भर की देरी थी कि लाखों लोगों ने आपकी धज्जियां उडा कर रख दी थीं। किसी ने आपको पिछली सरकार का गुलाम तो किसी ने भ्रष्टाचारी, बिकाऊ तथा विदेशी शराब और महंगे तोहफों का लालची कहा था। कई ने तो जबरन भाव दिये जाने की चाह रखने वाले बददिमाग, सनकी, मनोरोगी एंकर की पदवी देते हुए थू...थू की थी! यार, अब तो कम-अज़-कम एकतरफा चलना और सोचना बंद करो। यह रट लगाना छोडो कि आपके विरोध में बोलने, लिखने वाले किसी के अंधभक्त हैं। सच तो यह है कि आम जनता को भी सच की समझ है। अगर ऐसा नहीं होता तो मेरी भी ऐसी-तैसी नहीं की जाती। आपको उनके और मुझे इनके चाटूकारों में नहीं गिना जाता। सच को स्वीकारो और मस्त रहो...बंधु। मुझे अब तुम्हारी हालत देखकर चिन्ता सताने लगी है। चौबीस घण्टे आज के राजा को कोसने और भूतपूर्व महाराजा और महारानी की यशगाथा का बखान कर खिल्ली उडवाते और गालियां खाते रहते हो। पहले की तरह न तो चुटकुले सुनाते हो और न ही हंसते-हंसाते हो। बडे डरे-डरे मानसिक रोगी से लगते हो...। देश में और भी कई मीडिया दिग्गज हैं, न्यूज चैनलों के एंकर हैं, उनपर तो कभी चीखने-चिल्लाने का भूत सवार नहीं रहता। निष्पक्षता और निर्भीकता के साथ बडी सहजता से अपनी ड्यूटी निभाते हैं। ऑफिस की समस्याएं घर और दोस्तों के बीच नहीं लाते। उन्हें तो धमकियां और गालियां नहीं मिलतीं?
अब जलतरंग की बारी थी, "अब मेरी बात भी ध्यान से सुनो : मेरे लिए पत्रकारिता कोई नौकरी नहीं, जो ऑफिस से निकलते ही अपने मिशन और धर्म को भुला दूं। जिन बडी-बडी बातें करने वाले मक्कारों से देश नहीं संभल रहा, महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और किस्म-किस्म के अपराधों पर काबू पाने का दम नहीं उन्हें सत्ता से बाहर करके ही मैं चैन की नींद सो पाऊंगा। तुम्हें इनकी आरती गानी है, तो गाते रहो। मुझे तो देशवासियों को जगाकर क्रांति लानी ही लानी हैं।" यह कहते ही छह-सात पैग चढा चुका जलतरंग ऐसा लुढका कि उसका प्रिय मित्र नशे में धुत 'क्रांतिदूत' को होश में लाने की विभिन्न कोशियों में लग चुका था..., लेकिन होश तो वापस लौटने को राजी ही नहीं थे।
इस नशे ने पता नहीं कितने शरीफों की शराफत छीन ली है। दो दिन पहले एक लडकी को सोशल मीडिया पर भद्दे, भ्रामक और भडकाऊ वीडियो तथा पोस्ट डालने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उसने पहले तो प्रधानमंत्री के प्रति बेहूदा बातें कहीं और खूब चर्चित हुई। कई दिनों तक उसका यह तमाशा सोशल मीडिया पर छाया रहा। फिर अचानक उसने राहुल और प्रियंका गांधी को अपमानित करने वाली शब्दावली भरे वीडियो सोशल मीडिया पर फैलाकर अपने छिछोरेपन का जो सबूत पेश किया, उससे कई लोग भडक उठे। पुलिस में शिकायत की गयी। पुलिसिया पूछताछ में उसने बताया कि ऐसी हरकतें करने में उसे ब‹डा मज़ा आता है। हजारों लोगों के जो 'लाइक्स' और शानदार प्रतिक्रियाएं मिलती हैं, उनसे उसे लगता है कि वह भी किसी बडी हस्ती से कम नहीं...। पहले मोदी पर अच्छे लाइक्स मिले, जब उनमें कमी आयी तो वह राहुल, प्रियंका पर पिल पडी। विख्यात शायर निदा फ़ाज़ली ने यूं ही तो नहीं कहा, "हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी, जब भी किसी को देखना-कई बार देखना।"

No comments:

Post a Comment