Thursday, December 3, 2020

हैवानी वासना का अंतिम इलाज?

    सात वर्ष की बालिका के साथ दुष्कर्म! पढने, सुनने और सोचने भर से घबराहट, गुस्सा और कंपकंपी-सी होने लगती है। हर मासूम बेटी का चेहरा सामने आ जाता है। इस दुनिया में कौन है जो किसी भी नादान बच्ची पर कुकर्म के कहर की कल्पना कर सकता है? कोई वास्तविक संवेदनशील इंसान तो कतई नहीं। फिर आखिर यह किस धरा के लोग हैं, किस मिट्टी के बने हैं, जो बार-बार इंसानियत को लज्जित कर रहे हैं। इन शैतानों, हैवानों, बीमारों का कोई इलाज है भी या नहीं? २२ नवंबर २०२० के दिन नागपुर के पारडी इलाके में रहने वाली एक मां शाम को मेहनत-मजदूरी कर घर लौटी तो उसने अपनी सात वर्ष की मासूम बिटिया को दर्द के मारे कराहते पाया। बच्ची ने मां को बताया कि मकान मालिक ने उसकी यह रक्तरंजित दशा की है। बिटिया की चिन्ताजनक हालत देखकर मां सब समझ गई। वह तुरंत बच्ची को लेकर थाने गई। पुलिस ने जांच कर चालीस वर्षीय बलात्कारी के खिलाफ दुष्कर्म और पोक्सो एक्ट सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। यह सच निरंतर जगजाहिर हो रहा है कि हमारे समाज में, कुछ पढे-लिखे, विकृत मानसिकता के लोग भी हैं, जो ऊपर से बडे सभ्य और शालीन दिखते हैं, लेकिन उनकी घटिया, क्रूर मनोवृत्ति बडी घिनौनी और डरावनी है। उन्हें मासूम बेबसों पर जुल्म ढाने में अथाह आनंद की अनुभूति होती है। सोचिए... मात्र डेढ साल की बच्ची की समझ ही कितनी होती है, लेकिन शैतान तो शैतान हैं।
    छत्तीसगढ के बालोद के अंतर्गत आने वाले एक गांव सिवनी में एक खाकी वर्दी वाले ने जिस दरिंदगी के साथ इंसानियत को तहस-नहस करते हुए हैवानियत की सभी हदें पार कीं, उससे हर संवेदनशील शख्स का खून खौल गया। सिवनी में ही रहती हैं एक लोकगायिका। कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में लोकगायिका के सारे कार्यक्रम रद्द हो गये थे। आर्थिक संकट ने घेर लिया था। इसी दौरान उन्होंने पुलिस के सिपाही को अपने मकान का एक कमरा किराये पर दे दिया था। एक रात शराब के नशे में धुत सिपाही लोकगायिका के कमरे में जा पहुंचा और उससे वो रुपये वापस मांगने लगा, जो भारी किल्लत के चलते लोकगायिका ने उससे उधार लिये थे। दरअसल, सिपाही का इरादा कुछ और था, जो पूरा नहीं हो पाया तो उसने कमरे में खेल रही उसकी डेढ साल की बेटी को उठाया और अपने कमरे में ले जाकर भीतर से दरवाजा बंद कर लिया और बच्ची की पिटायी करते हुए कहने लगा कि, मैं तुम्हारा पिता हूं। तू मुझे पापा बोल। जिस बच्ची को अभी बोलना ही नहीं आता था वह उसे पापा कैसे कहती, लेकिन वहशी पर तो पापा बुलवाने का अंधा जुनून सवार था। अपनी इसी आतंकी जिद में वह बच्ची के चेहरे, हाथ, पेट, जांघों और पैरों पर जलती हुई सिगरेट दागता चला गया। बच्ची की जलन के मारे तडप-तडप कर रोने की आवाज सुनकर डरी-सहमी मां दरवाजा पीटती रही। मां की चीख-पुकार सुनकर पडोसी भी पहुंच गये। सभी ने मिलकर बडी मुश्किल से दरवाजा खुलवाया। फर्श पर पडी बेटी की हालत देखकर मां तो बेहोश हो गई। किसी तरह से उसे होश में लाया गया। बच्ची के चेहरे और पूरे बदन पर सिगरेट के गहरे निशान देखकर पडोसियों की भी आंखों से अश्रुधारा बहने लगी। दरिंदे पुलिसिये ने सिगरेट खत्म हो जाने के बाद मासूम की बेल्ट से भी पिटायी की थी। अस्पताल के डॉक्टरों ने जांच करने के पश्चात बताया कि मासूम को ५० बार सिगरेट से बडी बेरहमी से दागा गया है। पुलिस ने अपनी बिरादरी के खूंखार अपराधी को बचाने के लिए हल्की धाराएं लगायीं। जब मीडिया में यह खबर आयी तो पुलिस को कडी कार्रवाई करने को विवश होना पडा।
    चित्रकूट के चालीस वर्षीय इंजीनियर नेपचास से अधिक बच्चों को अपनी हैवानियत का शिकार बनाने के साथ-साथ उनके अश्लील वीडियोज और फोटो उतारकर उन्हें 'पोर्न साईटस' पर बेचकर करोडो रुपये कमा लिए। पिछले दस साल से बेखौफ होकर इस घृणित काम को अंजाम देते चले आ रहे इंजीनियर की शादी २००४ में हुई थी। उसकी खुद की कोई संतान नहीं है। वह गरीब परिवार के बच्चे-बच्चियों को चाकलेट, मोबाइल, कपडे, खिलौने उपहार में देकर यौन शोषण के लिए बडी आसानी से अपने जाल में फांस लेता था। सीबीआई को उसके पास के मोबाइल, पेन ड्राइव एवं लेपटॉप से लगभग ८० चाईल्ड पोर्न वीडियो व छह सौ तस्वीरे मिलीं। बच्चों के इस यौन शोषक की करतूतों का सिलसिला २०१२ से ही प्रारंभ हो गया था, लेकिन पुलिस, पैसा और समाज के ठेकेदार उसे बचाते रहे। यदि तभी उस पर ईमानदारी से पुलिसिया डंडा चलता तो वह बच्चों के अश्लील फोटोज तथा वीडियोज को इंटनेशनल पोर्न साइटस पर बेखौफ अपलोड करके हराम की कमायी कर अरबपति नहीं बन पाता। उसने अपने इस गुनाह की पत्नी को भी भनक नहीं लगने दी। अपने पति की गिरफ्तारी से शर्मसार पत्नी ने खुद को घर में बंद कर लिया। किसी को अपना मुंह दिखाने की उसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी।
    दिल और दिमाग को कहीं दफना कर चलो एक बार मान लेते हैं कि गैर तो गैर होते हैं, उनसे इंसानियत तथा अपनत्व की कैसी आशा, लेकिन जन्मदाता, पिता का यह घिनौना चेहरा और शर्मनाक विषैली करतूत? संतरा नगरी नागपुर में एक फला-फूला विशाल इलाका है मोमिनपुरा। यहां के ३८ वर्षीय एक शख्स की पत्नी का डेढ वर्ष पूर्व इंतकाल हो गया। उसकी दो बेटियां हैं। बडी बेटी चौदह वर्ष की और छोटी तेरह वर्ष की। कोरोना काल में स्कूल बंद थे। दोनों बच्चियां चौबीस घण्टे घर में रहने को मजबूर थीं। वैसे भी बच्चों के लिए अपने घर से ज्यादा और कोई सुरक्षित जगह होती ही नहीं, लेकिन नराधम पिता ने मौका पाते ही पहले तो बडी बेटी को अपनी अंधी हवस का शिकार बनाया फिर कुछ दिनों के बाद छोटी बेटी को भी नहीं छोडा। इसी दौरान उसने एक महिला से शादी भी कर ली, जो पहले से ही एक बच्ची की मां थी। दुनिया के सभी रंग देख चुकी पत्नी ने एक रात जब पति को अपनी ही बेटी के साथ कुकर्म करते देखा तो उसके पैरोंतले की जमीन ही खिसक गई। उसके बाद तो दिन-रात उसे अपनी ही बेटी की सुरक्षा की चिन्ता सताने लगी। नींद में होती तो बुरे-बुरे सपने आते। अभी शादी को ज्यादा दिन भी नहीं हुए थे। उसके मन में यह यकीन बैठ गया कि जिसने अपनी बेटियों को नहीं बख्शा वह उसकी बेटी पर भी अपनी वासना की गाज गिरा कर ही दम लेगा। समझदार मां चुपचाप शैतान पति का घर छोडकर चली गई।
सौतेली मां के चले जाने के बाद दोनों बच्चियां अपने मामा के घर जा पहुंची। उन्हें डरी-सहमी देख मामी ने जब वजह पूछी तो यह घिनौना सच सामने आया। एक सामाजिक कार्यकर्ता को जब इस हकीकत की खबर लगी तो थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई। बलात्कारी पिता को गिरफ्तार कर लिया गया। इस खबर को पहले बस्ती और बाद में पूरे शहर में फैलने में देरी नहीं लगी। गुस्सायी भीड ने थाने का घेराव कर अपनी ही बेटियों के बलात्कारी दरिंदे बाप को फांसी के फंदे पर लटकाने की मांग की आवाज़ बुलंद की। देखते ही देखते भय, चिन्ता और तनाव का माहौल बन गया...।
    अपने देश हिन्दुस्तान में वर्षों से बलात्कारियों, नारियों के हिंसक हत्यारों, दुराचारियों को भरे चौराहे फांसी पर लटकाने, नपुंसक बनाने की मांग की जा रही है। इसके लिए न जाने कितने आंदोलन हुए, कडा कानून भी बना, लेकिन शैतानों-हैवानों की दरिंदगी में कमी नहीं आयी। पडोसी देश पाकिस्तान में भी अपने ही देश जैसे हालात हैं। वहां भी महिलाएं बेहद असुरक्षित हैं। वहां पर भी सभी बलात्कारों की रिपोर्ट थाने में दर्ज नहीं होती। लोग शर्म से बताते नहीं, छिपाते हैं। वहां के कुछ धर्म गुरु और मौलाना महिलाओं को लेकर सतत बदजुबानी करते रहते हैं। उन्हें पर्दे में रहने और सिर झुका कर चलने का फरमान सुनाते हुए बलात्कारियों के हौसले बढाते रहते हैं। जब जुल्म हद से बढ जाए तो उसका खात्मा करना जरूरी है। यहां पर पाकिस्तान ने हिंदुस्तान से बाजी मारते हुए बलात्कारियों, दुष्कर्मियों को  नपुंसक बनाने के कानून पर सैद्धांतिक रूप से सहमति दे दी है। औरत को मात्र देह मानने और उसकी अस्मत पर डाका डालने वालों का अंग-भंग न करते हुए आप्रेशन से नकारा बनाने के प्रावधान की सर्वत्र प्रसंसा की जा रही है। अपने देश में भी जिस तरह से बच्चियां और महिलाएं असुरक्षित हैं और निर्भया कांड के बाद बनाया गया नया कडा कानून भी खौफ पैदा नहीं कर पाया तो ऐसे में दुष्कर्म के दोषियों को नपुंसक बनाने के कानून को बनाने में क्या कोई हर्ज है...?

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