Thursday, September 2, 2021

विषैले कसाई

    विश्वास, अंधविश्वास, श्रद्धा, अंधश्रद्धा, शंका, कुशंका, प्यार, नफरत। कहने को तो ये शब्द हैं, लेकिन इनके भाव, प्रतिभाव समुद्र से भी गहरे हैं, जिन्हें नापना और अनुमान लगाना कभी भी आसान नहीं रहा। सदियां बीत गयीं कोई स्पष्ट तस्वीर सामने नहीं आ पायी। फिर भी उलझन बरकरार है। किसी पर विश्वास होने पर इनसान सब भूल जाता है। अपना सबकुछ दांव पर लगा देता है, लेकिन जिनकी धोखा देने की फितरत है वे तो अपनी आदत से बाज नहीं आते। बिहार के सारण में सांपों से खेलने, उनपर भरोसा रखने और उन्हें पालने का शौक रखने वाले 24 वर्षीय मनमोहन उर्फ भुंअर ने रक्षाबंधन के दिन जिद पकड़ ली कि बहन उसके प्रिय सांप को भी राखी बांधे। बहन ने भाई के अनुरोध का मान रखते हुए नाग को राखी तो बांध दी, लेकिन इसी दौरान उसने मनमोहन को ऐसा डसा कि उसकी हालत बिगड़ने लगी। अस्पताल तक पहुंचते-पहुंचते उसकी सांसों की डोर टूट गयी। मनमोहन बीते दस साल से झाड़-फूंक करता चला आ रहा था। पूरे इलाके में जहरीले नागों को पकड़ने के लिए उसे बुलाया जाता था। सांप के द्वारा डसे गये कई लोगों की उसने जान बचायी थी। सांपों को पालने का शौकीन मनमोहन नाग-नागिन के जोड़े को हमेशा अपने साथ रखता था। नाग को तो वह अपना भाई मानता था, इसलिए उसने बहन से राखी बंधवायी थी। झाड़-फूंक कर दूसरों की जिंदगी बचाने वाले मनमोहन पर कोई झाड़-फूंक और जादू-टोना काम नहीं आया। इस हकीकत में असंख्य कहानियां कैद हैं। यह मात्र विषैले सांप का जाना-पहचाना सच नहीं है। कई इनसानों की भी यही फितरत है, जो साथ और सहारा देता है उसी के भरोसे का कत्ल करने में देरी नहीं लगाते। अपने भले के लिए दूसरों पर शंका की उंगली नंगी तलवार की तरह तान देते हैं।
    महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के एक गांव के चौराहे पर दिनदहाड़े वृद्ध पुरुष और महिलाओं को खंभो से बांधकर पीटा गया। वजह थी, जादू-टोने का शक, जिसने गांव वालों को इस बार भी अंधा और निर्दयी बना दिया। इन अक्ल के अंधों में अनपढ़ों के साथ-साथ पढ़े-लिखे भी शामिल थे, जिन्होंने कितनी बार पढ़ा और सुना होगा कि ‘जादू-टोना’ महज बकवास है। कुछ बेवकूफ धूर्तों की सोच की घटिया उपज है, लेकिन फिर भी इनकी मंदबुद्धि इन्हें जगाने की बजाय विषैली नींद में सुलाये रखती है। गांव की दो-तीन औरतों का दावा था कि उन्हें देवी आती है। उसी ‘देवी’ ने सपने में उन्हें बताया कि गांव के आठ-दस दलित जादू-टोना कर गांव वालों की जान लेने पर तुले हैं। उन्हीं के जादू-टोने से ही बीमारियां फैल रही हैं और मौतें हो रही हैं। उन देवीधारी महिलाओं के रहस्योद्घाटन पर शत-प्रतिशत यकीन करते हुए गुस्सायी भीड़ तुरंत वहां जा पहुंची, जहां तथाकथित जादू-टोना करने वाला परिवार रहता था। गंदी-गंदी गालियां और मौत की नींद सुला देने की धमकियां देते हुए दलित उम्रदराज पुरुष और महिलाओं को घर से खींचकर बाहर निकाला गया और उनका जुलूस निकालते हुए गांव के चौराहे पर लाकर खंभे से बांधकर निर्दयता के साथ पीटा गया। दलितों, असहायों, गरीबों, शोषितों पर यह जुल्म पता नहीं कब से होता चला आ रहा है। कमजोर और सहनशील होना भी अपने आप में किसी पाप से कम नहीं। इस सच को भारतीय महिलाओं से बेहतर और कौन जान पाया है। हो सकता है कि कुछ लोगों को अतिशयोक्ति लगे, लेकिन आज भी ऐसे कई मर्द हैं, जिन्हें नारी का सिर उठाकर चलना आहत करता है। उन्हें नज़रें झुका कर चलने वाली नारियां ही चरित्रवान लगती हैं। किसी दूसरे पुरुष से बात करने का मतलब है कुलटा और पथभ्रष्ट होना।
    मध्यप्रदेश के सिंगरोली जिले के निवासी रामलाल को दूसरी औरतों से मिलना और बोलना-चालना तो पसंद था, लेकिन अपनी पत्नी पर उसने बंदिशें लगा रखीं थीं। दो-तीन बार उसने अपनी पत्नी को किसी के साथ मुस्कुराते हुए बातचीत करते क्या देखा कि उसका खून खौल गया। पत्नी ने लाख कस्में खायीं कि उसका किसी गैर मर्द से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं, लेकिन रामलाल के लिए उसकी पत्नी का किसी गैर के साथ खुलकर बतियाना... उसकी मर्दानगी को ललकारने और उसपर चोट करने वाला ऐसा दुस्साहस था, जिसने उसे पूरी तरह से विवेकशून्य कर दिया। वह इस निष्कर्ष पर जा पहुंचा कि पत्नी बेवफा है। भरोसे के कतई लायक नहीं। एक रात शराब खाने में उसने जीभरकर शराब पी। नशे में धुत होकर घर में पहुंचते ही पत्नी को बेतहाशा पीटने लगा। बेबस पत्नी अपना कसूर पूछती रही, लेकिन उस पर तो शक का भूत सवार था। उसने रोती-बिलखती, दया की भीख मांगती पत्नी को जमीन पर पटका और पूरी ताकत लगाते हुए उसके प्राइवेट पार्ट को सुई धागे से सिल दिया।
अपनी ही पत्नी के साथ इस तरह की हैवानियत करने की यह पहली शर्मनाक करतूत नहीं है। उत्तरप्रदेश के रामपुर में भी एक पुरुष की दो साल पहले शादी हुई थी। एक दिन पत्नी को उसने किसी पुरुष के साथ बातचीत करते देखा तो उसका माथा घूम गया। उसे शक हो गया कि दोनों में टांका भिड़ा हुआ है। उसकी खूबसूरत बीवी उसकी गैर मौजूदगी में अपने आशिक के साथ गुलछर्रे उड़ाती है। फिर तो दोनों के बीच कहा-सुनी और झगड़ा होना रोजमर्रा की बात हो गई। एक दिन जब पत्नी गहरी नींद में थी, तब शक्की पति ने पहले तो उसके मुंह में कपड़ा ठूंसा फिर उसके गुप्तांग में तांबे की तार से टांके लगा दिये। पत्नी असहनीय पीड़ा से चीखती-चिल्लाती रही, लेकिन विषैला शैतान ठहाके लगाता रहा। पुलिस हिरासत में भी वह एक ही पहाड़ा रटता रहा कि उसकी पत्नी आवारागर्दी करती है। जब देखो तब किसी भी गैर मर्द से बोलने-हंसने लगती है, जिसे देख उसका खून खौल जाता है। आखिर वह मर्द है... उसकी बर्दाश्त करने की भी कोई हद है। जब उसे अति पर अति होते दिखी तो उसने उसका  प्राइवेट पार्ट ही सिल दिया, ताकि वह अपने किसी भी नये-पुराने आशिक के साथ जिस्मानी रिश्ता न बना पाए।
पुणे जिले की खेड़ तहसील के एक छोटे से ग्राम में रहने वाले अवध की दो बेटियां हैं। बेटे को जन्म नहीं देने के कारण आये दिन पत्नी को प्रताड़ित करना उसकी आदत बन गया। अवध के माता-पिता भी आये दिन बहू को कोसते रहते। बेटे की देखा-देखी हाथ भी उठा देते। इसी बीच पति किसी तांत्रिक की शरण में जा पहुंचा। तांत्रिक ने उसके कान में जो मंत्र फूंका उसी का पालन करते हुए उसने घर जाकर पहले तो पत्नी को निर्वस्त्र किया फिर उसके शरीर पर भस्म और हल्दी-कूंकू मल दिया। काफी दिनों से जुल्म सहती पत्नी ने पुलिस स्टेशन पहुंचने में देरी नहीं की। अवध अब जेल की हवा खा रहा है।

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