Thursday, December 2, 2021

नसीहत

    तीन नाबालिग लड़कों ने नारंगी शहर नागपुर में एक समाजसेवक की हत्या कर दी। कोलकोता में एक शिक्षक को एक युवक ने पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। अस्पताल में डॉक्टर उनकी जान बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं। उन्हें उनके बचने की उम्मीद कम है। अखबारों में जिन-जिन ने हत्या और हत्या की कोशिश की यह हिंसक खबरें पढ़ीं उनका तो दिल घबरा गया और माथा चकरा गया। मेरी तरह सभी सोचते रह गये कि देश के बचपन और युवा को क्या हो गया है, जो किसी की नेक और अच्छी सलाह को सुनना नहीं चाहता? सीख देने वाले को ही शत्रु मानने लगता है। इनके लिए तो किसी की जान लेना और अधमरा करना बच्चों का खेल हो गया है! नागपुर में जिन सज्जन शख्स की नाबालिग बच्चों ने जान ले ली उनका कसूर या भूल यही थी कि उन्होंने बौद्ध विहार के समक्ष गांजा पीने से मना किया था। एक बार नहीं कई बार उन्हें यह लड़के गांजा के कश लेते दिखे थे। उन्हें अच्छा नहीं लगा था। देश के बचपन को नशे के गर्त में समाते देखना जब उनके लिए असहनीय हो गया तो उन्होंने जमकर फटकार लगा दी। नशेड़ी बच्चों ने उनकी सीख को ध्यान से सुनकर अनुसरण करने की बजाय उन्हें अपना दुश्मन मान लिया। इस शत्रु को सबक सिखाने के लिए वे खूंखार हत्यारे बन गये!
    कोलकाता में लिफ्ट में एक युवक को बिना मास्क के देखकर उम्रदराज शिक्षक ने यही भर कहा कि बेटे अभी भी कोरोना खत्म नहीं हुआ है। घर से बाहर मास्क लगाकर निकला करो। इसी में तुम्हारी और दूसरों की भलाई है। शिक्षक के इतने भर कहने और समझाने ने अहंकारी युवक को आग बबूला कर दिया। उसने अपना आपा खोते हुए लिफ्ट में ही उनपर घूसों और थप्पड़ों की बौछार शुरू कर दी। इतना ही नहीं उसने लिफ्टमैन के हाथों से डंडा छीनकर उनका सिर भी फोड़ दिया, जिससे वे लहुलूहान होकर वहीं गिर पड़े। बाद में उन्हें अस्पताल में ले जाया गया। गुस्सायी भीड़ देखकर युवक भाग खड़ा हुआ। अखबारों में ऐसी कई खबरें मैंने पहले भी पढ़ी हैं। पिछले महीने तीन-चार युवकों को भरी दोपहरी शहर की कन्या शाला से लगे बगीचे में बीयर पीते देख किसी शरीफ आदमी ने फटकारा तो वे घायल शेर की तरह उसी पर टूट पड़े। वह जब बदमाशों के हाथों पिट रहा था तो कोई भी उसे बचाने के लिए नहीं आया। हां, कुछ तमाशबीन तस्वीरें और वीडियो जरूर बनाते रहे। उनके लिए यह गुंडागर्दी महज तमाशा थी।
    नाबालिग नशेड़ी लड़कों ने समाजसेवक की आंख में मिर्ची पाउडर झोंक कर धारदार हथियार से बड़ी आसानी से हत्या कर दी। उन्हें यह भी ख्याल नहीं आया कि इस देश में कोई कानून है, जो अपराधियों को कड़ी से कड़ी सज़ा देता है। सारी उम्र जेल में काटनी पड़ती है। हमेशा दूसरों की मदद करने वाले समाजसेवक को जब मदद की जरूरत थी, तब दूर-दूर तक कोई नहीं था। मास्क लगाने की नसीहत देकर अपना सिर फुड़वाने वाले शिक्षक के पत्रकार बेटे ने बताया कि कोरोना जब चरम पर था, तब उनके पिताजी लॉकडाउन को नज़रअंदाज कर सड़कों पर मटरगश्ती करने वालों को फटकार भी लगा देते थे। किसी को भी बिना मास्क के देखते ही पहले उसे बड़े प्यार से समझाते थे कि आखिर मास्क लगाना क्यों जरूरी है। नहीं मानने पर भिड़ भी जाते थे। मैं और मेरी माताजी अक्सर उन्हें कहते थे कि आज के जमाने में लोगों को किसी की सलाह और समझाइश रास नहीं आती। आप जिन्हें जानते तक नहीं उन्हें कोरोना से बचने के सुझाव देने लगते हो! कभी कहीं ऐसा न हो कभी आपको लेने के देने पड़ जाएं। आखिरकार वही हो गया, जिसका हमें डर था।
    कोरोना महामारी का संकट अभी भी पूरी तरह से टला नहीं है। देश में कहीं न कहीं से इसकी जकड़न में आकर बिस्तर पकड़ने वालों की खबरें आनी बंद नहीं हुई हैं। लगभग दो साल पहले कोविड-19 ने चीन के शहर वुहान से अंधी आंधी की तरह छलांगे लगाते और सारी दुनिया को चौंकाते हुए जो कत्लेआम मचाया था, उसे भला कौन भूल सकता है। अब तो कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने दुनिया को डराना प्रारंभ कर दिया है। पिछले दो माह से अफ्रीकी इससे जूझ रहे हैं। मौतों की भी खबरें आ रही हैं। ओमिक्रॉन वैरिएंट का यह स्वरूप भारत में दूसरी लहर के दौरान आतंक मचा कर भयभीत कर देने वाले डेल्टा वैरिएंट से पांच गुना ज्यादा खतरनाक है। ध्यान रहे कि ओमिक्रॉन के फैलाव के खतरे को देखते हुए देश और दुनिया की सरकारें जनता को सतर्क रहने की अपील करने लगी हैं। न्यूयार्क की सरकार ने तो आपातकाल की घोषणा कर दी है। यह देख और जानकर दु:ख और ताज्जुब होता है, कि कुछ लोग सतर्कता बरतना ही नहीं चाहते। उन्होंने मान लिया है कि वे इतने शक्तिशाली हैं कि कोरोना उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। मास्क लगाने से उनकी सांस घुटती है। वैक्सीन भी उन्हें बेकार लगती है। कोरोना से बचने के लिए देशवासियों को जगानेवाले समाजसेवकों का यह आह्वान कोरा मज़ाक लगता है, ‘‘वैक्सीन लगवाएं और कोरोना को दूर भगाएं।’’ सरकारों की जगाने की तमाम कोशिशों को नजरअंदाज करने में उन्हें कोई झिझक नहीं। यहां तक कि समझानेवाले परोपकारी प्रवृत्ति के लोगों को दुश्मन मान लेते हैं।

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