Thursday, February 1, 2024

ज्ञानी-अज्ञानी

    यह तरक्की नहीं, अवनति है, दुर्गति है। सदाचार नहीं, अनाचार है। अपने देश के ये कैसे हाल हैं? हर कोई ईमानदारी के रास्ते पर चलने का हिमायती है। सभी को धोखाधड़ी से नफरत है। हर कोई भरोसे की डोर टूटने पर आहत होता है। सभी धूर्तों, धोखेबाजों और कपटियों से घृणा करते हैं। बेईमान और भ्रष्टाचारी भी किसी को पसंद नहीं। फिर भी बहुतेरे भारतीयों को छल कपट और पीठ पर छुरा घोंपने में कोई परहेज नहीं! अपने देश में कुछ पेशे ऐसे हैं, जिनके प्रति श्रद्धा, आस्था और विश्वास विद्यमान है। वकील और वकालत भी उन्हीं पेशों में शामिल है। जिस तरह से डॉक्टर के पास बीमार इस उम्मीद के साथ जाता है कि वह उसकी देखरेख में शीघ्र रोग मुक्त होगा। स्वस्थ होकर अस्पताल से घर लौटेगा। इसी तरह से हर पीड़ित को वकील के माध्यम से शीघ्रता-शीघ्र न्याय पाने की आस होती है। जिस तरह से मरीज डॉक्टर से अपनी बीमारी की कोई बात नहीं छुपाता उसी तरह से न्याय का अभिलाषी इंसान वकील को पूरी हकीकत बता देता है। 

    केरल की पुलिस हाईकोर्ट के सीनियर वकील पीजी मनु को दबोचने के लिए शहर-शहर-गांव-गांव की खाक छान रही है। इस धूर्त वकील के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी कर दिया गया है। इस वकील ने वकालत के सेवाभावी पेशे को कलंकित किया है। हुआ यूं कि एक तीस वर्षीय महिला किसी दुराचारी की हवस का शिकार होने के पश्चात इस वकील के पास कानूनी सलाह लेने के लिए गई थी। किसी ने उसे इस वकील का नाम सुझाया था। सजी-धजी खूबसूरत महिला की आपबीती सुनते-सुनते वकील की नीयत में खोट आ गया। उसने महिला को मामले पर चर्चा करने के बहाने अपने घर के अंदर बुलाया और दरवाजा बंद कर उसका रेप करने के साथ-साथ अश्लील तस्वीरें भी खींच डालीं। हैरान, परेशान महिला ने वकील की हरकत का पुरजोर विरोध किया तो शातिर वकील ने मामले को पलट देने और उसे ही आरोपी बना फसाने की धमकी दे दी। वह वॉट्सएप कॉल और चैट के जरिए उससे जब-तब अश्लील बातें भी करने लगा। एक दिन जब पीड़िता के घर पर कोई नहीं था तो शैतान-हैवान वकील उसके घर में जबरन घुस गया। बार-बार उसकी अंधी हवस की शिकार होती महिला ने आखिरकार पुलिस की शरण ली तो बलात्कारी वकील फरार हो गया...। 

    आज के दौर में सोशल मीडिया के प्रति जो दीवानगी है, वह बहुत ही अद्भुत है। यह कहना गलत नहीं लगता कि बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इसके नशे की जबरदस्त गिरफ्त में हैं। एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में भारत इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों में दूसरे स्थान पर है। गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी की मार झेल रहे देश में सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर लोग औसतन ढाई घंटे से ज्यादा वक्त बिताते हैं। अखबारों और न्यूज चैनलों की खासी जगह सोशल मीडिया ने हथिया ली है। अधिकांश खबरें और विभिन्न सूचनाएं सोशल मीडिया तुरंत उपलब्ध करवा देता है। एक-दूसरे से संपर्क में रहने का भी सशक्त जरिया बन गया है सोशल मीडिया, लेकिन इसका बड़ी तेजी से दुरुपयोग भी होने लगा है। असम के सिलचर शहर में रहने वाली संचाइता भट्टाचार्या नामक युवती ने सोशल मीडिया पर खुद को कैंसर की गंभीर रोगी बताकर परिचितों और अपरिचितों से करोड़ों रुपये ऐंठ लिए। इस युवती को कहीं न कहीं से प्रेरणा तो जरूर मिली होगी। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर खुद को अपाहिज, बीमार, दुखियारा दर्शाकर फंड जमा करने वालों की भीड़ लगी रहती है। इनमें कुछ वास्तव में मजबूर और जरूरतमंद होते हैं, जिनकी यकीनन सहायता की जानी चाहिए। एक दूसरे के काम आना ही सच्ची मानवता है, लेकिन इन ठगों और लुटेरों की शिनाख्त कैसे की जाए। इन धूर्तों से कैसे निपटा जाए? संचाइता भट्टाचार्या ने सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगाते हुए लिखा कि वह गरीब, अनाथ, आदिवासी युवती है। वह कैंसर की जानलेवा बीमारी से लड़ते-लड़ते थक चुकी है। वह जीना चाहती है, लेकिन इलाज के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं। संचाइता को सहायता करने वाले भावुक और परोपकारी लोगों की कतार लग गई। देश और विदेश से उसे जो धन मिला वो लाखों नहीं करोड़ों में था। उम्मीद से ज्यादा धन झोली में भरने के पश्चात उसने बड़े ही शातिराना तरीके से अपनी मौत की खबर भी फैला दी, लेकिन उसी के दोस्त ने ही उसकी पोल खोल दी। इस दोस्त को भी अंधेरे में रखकर संचाइता ने उससे लाखों रुपये की ठगी की थी। प्रेमिका के फ्राड का शिकार हुए प्रेमी ने ही पर्दाफाश किया कि संचाइता को डेंगू हुआ था। डेंगू की रिपोर्ट में हेरफेर कर उसने खुद को स्टेज-4 की कैंसर रोगी दर्शाकर सहानुभूति बटोरी और अनेकों लोगों के साथ धोखाधड़ी कर डाली। 

    हर बीमारी का इलाज सक्षम डॉक्टर ही कर सकता है। उस पर कैंसर तो ऐसा रोग है, जो बड़े-बड़े जिगरवालों को पस्त कर देता है, लेकिन फिर भी अपने ही देश में कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को सही इलाज और अटूट मनोबल के दम पर परास्त कर दिखाया है। यह पढ़-सुनकर हैरत होती है कि कई लोग आज भी घोर अंधविश्वास के चक्रव्यूह में बुरी तरह से फंसे हैं। उन्हें अस्पताल से ज्यादा तंत्र-मंत्र आकर्षित करते हैं। अनुभवी चिकित्सकों की बजाय ढोंगी बाबाओं के दरबार उन्हें हितकारी लगते हैं। राजधानी दिल्ली के रहने वाले एक परिवार के पांच साल के बच्चे को ब्लड कैंसर ने जकड़ लिया था। बच्चे तो अपने मां-बाप पर ही आश्रित होते हैं। अच्छी देखभाल और सिद्धहस्त डॉक्टर से इलाज करवाना उन्हीं का दायित्व होता है, लेकिन इस बच्चे के मां-बाप के कान में किसी ने मंत्र फूंका कि गंगा मैया की शरण में जाने से बच्चा नाचने-कूदने लगेगा। बच्चे के माता-पिता कड़ाके की ठंड में बच्चे को गंगा स्नान कराने के लिए हरिद्वार जा पहुंचे। बच्चे की मौसी भी उनके साथ थी। गंगा के तट पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने कंपकंपा देने वाली ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े पहन रखे थे। उम्रदराज बड़े-बूढ़े शॉल और कंबल में होने के बावजूद कांप रहे थे। हरिद्वार में ही कई लोग भीषण जाड़े के कारण दम तोड़ चुके थे। पूरी धार्मिक नगरी कड़ाके की सर्दी से ठिठुर रही थी। बच्चे के जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं था। मौसी ने जोश ही जोश में बीमार-निर्वस्त्र बच्चे को काफी देर तक ठंडे पानी में डुबोये रखा, जिससे मासूम के प्राण पखेरू उड़ गये। फिर भी मौसी यही कहती रही कि गंगा मैया बच्चे को जिन्दा कर देंगी। आसपास खड़े लोग उसे कोस रहे थे, लेकिन वह उन्हीं पर ऐसे हंसे जा रही थी जैसे वे हद दर्जे के मूर्ख हों और वह अंतर्यामी और महाज्ञानी हो...।

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