Thursday, February 29, 2024

अक्ल और नकल

     उत्तरप्रदेश के शहर कन्नोज के एक होनहार युवक ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। आपके मन में यह बात आ सकती है कि यह कौन सी नई बात है। अपने देश में युवाओं का मौत को गले लगाना तो आम बात है। कोई दिन ऐसा नहीं बीतता जिस दिन किसी न किसी अखबार में यह खबर पढ़ने में न आती हो कि परीक्षा में फेल होने, नौकरी नहीं लगने, प्यार में धोखा खाने या किसी अन्य वजह से परेशान होने की वजह से युवक या युवती ने खुदकुशी न की हो। अच्छे खासे युवाओं की तनाव की वजह से आत्महत्या करने की खबरें भी देशवासियों के लिए रोजमर्रा की हकीकतें हैं। ब्रजेश पाल ने हाल ही में यूपी पुलिस में भर्ती होने के लिए परीक्षा दी थी। सरकारी नौकरी हासिल कर अपने परिवार को खुशहाल बनाने का उसका सपना था। इसके लिए उसने महीनों टूटकर मेहनत की थी। पेपर भी उसने अच्छे से हल किया था। उसने अपने दोस्तों से कहा भी था कि, उसका चयन होना निश्चित है, लेकिन जैसे ही उसे पेपर के लीक होने की खबर लगी तो उसे बहुत धक्का लगा। उसे लगने लगा कि उसका सपना अब पूरा नहीं हो पायेगा। वो लोग बाजी मार लेंगे, जिन्होंने जोड़-जुगाड़ कर पहले ही पेपर हासिल कर लिया था। उसकी अटूट मेहनत और डिग्री के कोई मायने नहीं हैं। निराशा से घिरा ब्रजेश चुप-चुप रहने लगा था। घरवालों से भी बात करने से कतराने लगा था। उसे बस यही चिंता खाये जा रही थी कि, उसके भविष्य का क्या होगा? आधी उम्र पढ़ते-पढ़ते निकल गई। ऐसी पढ़ाई का क्या फायदा जो एक नौकरी न दिला सके। वह कब से सोचता आ रहा था कि, नौकरी लगने के बाद फटाफट पैसे जमा कर सबसे पहले किसी योग्य युवक से अपनी बहन की शादी करवायेगा। 22 फरवरी, 2024 की देर रात ब्रजेश ने आखिरकार फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा, ‘‘मां और बाबूजी, मुझे माफ कर देना। आप दोनों को मुझसे बहुत सी उम्मीदें थीं, लेकिन मैं आपको धोखा देने जा रहा हूं। मेरी मौत के बाद किसी को परेशान ना किया जाए। मैं अब और नहीं जीना चाहता। बस मेरा मन भर गया है। मेरी प्यारी मां, बाबूजी का ख्याल रखना और बोल देना कि हमारा तुम्हारा इतना ही साथ था। मेरी बहन संगीता की शादी अच्छे से लड़के से करना, भले ही हम नहीं होंगे। हमने बीएससी के सारे कागज जला दिए हैं। ऐसी डिग्री का क्या मतलब जो व्यर्थ हो। हमारी आधी उम्र इस डिग्री को पाने के लिए निकल गई।’’

    परीक्षा में पेपर लीक होने के बाद युवा सड़कों पर उतर आये। ऐसा भी नहीं कि यूपी में पहले कभी पेपर लीक नहीं हुए हों। परीक्षा के पेपर खरीदकर बिना मेहनत किये सफलता का झंडा नहीं गाड़ा गया हो, लेकिन इस बार यह धांधली चुनावी मौसम में हुई। लोकसभा चुनाव निकट होने के कारण उत्तरप्रदेश तथा केंद्र सरकार को चिंता और बेचैनी ने घेर लिया। क्रोध में उबलते छात्र-छात्राओं का कहना था कि हम लोग दिन-रात परीक्षा की तैयारी करते हैं। मां-बाप की हैसियत नहीं होती फिर भी उनका खर्चा करवाते हैं। उन्हें बेहतर भविष्य के सपने दिखाते हैं, लेकिन जब परीक्षा देने जाते हैं, तो पता चलता है कि, पेपर तो लीक हो चुका है। उसे परीक्षा के दिन से पहले ही धनवानों ने खरीद कर अपना मकसद पूरा कर हमारी मेहनत पर पानी फेर दिया है। हम मर-मर कर परीक्षा की तैयारी करते हैं, ताकि कुछ बन जाएं, लेकिन बाजी दूसरे मार ले जाते हैं। यह अन्याय वर्षों से हमारे साथ होता चला आ रहा है। पेपर माफिया और नकल माफिया को शासन और प्रशासन के लोग भी जानते हैं। इनकी आपसी मिलीभगत का भी कई बार पर्दाफाश हो चुका है। युवाओं के आक्रोश और विपक्ष के द्वारा इसे चुनावी मुद्दा बनाने की प्रबल संभावना को देखते हुए यूपी सरकार ने परीक्षाओं को रद्द करते हुए छह महीने के भीतर दोबारा परीक्षा कराने की घोषणा कर दी। हर बार की तरह सरकार ने यह आश्वासन भी दिया कि आगे से किसी भी परीक्षा में धांधली नहीं होने दी जाएगी। 

    सच तो यह है कि परीक्षाओं में नकल करने और करवाने तथा किसी भी तरह से परीक्षा से कुछ घंटे पहले पेपर पाने के खेल में छात्रों के माता-पिता भी हाथ आजमाने से नहीं घबराते। अधिकांश अभिभावकों का एक ही मकसद होता है कि किसी भी तरह से अपने बच्चों को परीक्षा में सफलता दिलवाना। इसके लिए वे किसी भी हद तक गिरने को तैयार हो जाते हैं। कोरोना की महामारी के दौरान जब स्कूल, कॉलेज बंद थे। लैपटाप, कम्प्यूटर, मोबाइल के माध्यम से पढ़ाई और परीक्षाएं हुईं तब ऐसे कम ही अभिभावक थे, जिन्होंने नकल को अपने बच्चों की सफलता का हथियार न बनाया हो। यूं तो हर परीक्षा केंद्र में मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा और चस्पा रहता है कि परीक्षा में नकल करना पाप है। नकलची छात्रों का भविष्य अंतत: अत्यंत अंधकारमय होता है, लेकिन कई कोचिंगबाज शिक्षक नकल करवाने के कीर्तिमान रचते देखे जाते हैं। यही कारोबारी शिक्षक पेपर लीक करने वालों से भी मिले रहते हैं। अभी हाल ही में महाराष्ट्र के अकोला में बारहवीं की परीक्षा के पहले पेपर में बहन को कॉपी दिलाने के लिए भाई पुलिस की वर्दी पहनकर सीधे परीक्षा केंद्र जा पहुंचा। बहन को नकल कराने के लिए नकली पुलिस बने इस भ्राता ने वहां पर मौजूद असली खाकी वर्दीधारी अफसर को बड़े अदब के साथ सलाम भी ठोका। अफसर ने जब उसे गौर से देखा तो पाया कि उसकी वर्दी पर लगी नेमप्लेट गलत है। उसकी तलाशी ली गई तो उसके पास से अंग्रेजी विषय की एक कॉपी मिली। जेल जाने के भय से वह फूट-फूट कर रोने लगा। आज की तारीख में देशभर में ऐसे कई पुलिस अधिकारी, डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, प्रिंसीपल, प्रशासनिक अधिकारी हैं, जिन्हें नकल ने अपनी मनचाही मंजिल तक पहुंचाया है। यह नकली असली पर बहुत भारी हैं।

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