कुछ दिन पूर्व मैं अपने एक डॉक्टर मित्र के यहां बैठा था। तभी एक गोरी-चिट्टी महिला लगभग साल सवा साल के बच्चे को गोद में लेकर वहां पहुंची। वह काफी घबराई-घबराई-सी लग रही थी। मुझे लगा कि मासूम बच्चे की तबीयत ज्यादा खराब होगी, इसलिए मां चितिंत और परेशान है, लेकिन उसने जो समस्या बयां की, उससे हतप्रभ मैं उसे देखता रह गया। ‘‘डॉक्टर साहब, मेरे इस बच्चे का रंग बहुत काला है, प्लीज़ कोई ऐसी दवा या इंजेक्शन दीजिए, जिससे यह एकदम गोरा हो जाए। इसके लिए मैं कोई भी कीमत देने को तैयार हूं। देखिए न... मैं कितनी खूबसूरत हूं और इसके पिता भी गोरे-चिट्टे, हैंडसम हैं, लेकिन यह पता नहीं किस पर गया है। रिश्तेदार तथा यार-दोस्त भी इसके रंग पर जिस तरह से हैरत जताते हैं, उससे मुझे बहुत ठेस पहुंचती है। दु:खी और आहत मन को काबू में लाना मुश्किल हो जाता है।’’ बेचैन महिला की पीड़ा जानने के बाद डॉक्टर हल्के से मुस्कराए, फिर बोले, ‘‘काले को गोरा बनाने का अभी तक तो कहीं भी कोई इलाज ईजाद नहीं हो पाया है। वैसे भी यह कोई गंभीर समस्या नहीं है। इसलिए आप अपने बच्चे के रंग को लेकर चिंतित और परेशान होना छोड़ उसकी बेहतर परवरिश पर ध्यान देंगी तो यही बच्चा भविष्य में आपके परिवार का नाम ऐसा रोशन करेगा कि आप सबकुछ भूल जाएंगी। आपको पता होना चाहिए कि सांवले या काले रंग वाले बच्चों ने बड़े होकर कई क्षेत्रों में सफलता के नये-नये आयाम रचे हैं। आपने फिल्म अभिनेता मिठुन चक्रवर्ती और नवाजुद्दीन सिद्दीकी की कोई न कोई फिल्म तो जरूर देखी होगी। दोनों को काले रंग का होने के कारण फिल्म निर्माता शुरू-शुरू में अपने पास फटकने ही नहीं देते थे, लेकिन इन्होंने जिद और जुनून का कसकर दामन थामे रखा। ऐसे में जब फिल्म मिली तो अपने अभिनय कौशल का ऐसा झंडा गाड़ दिखाया कि दुत्कारने वालों को भी शर्मसार होना पड़ा। मिठुन चक्रवर्ती ने तो अपनी पहली फिल्म ‘मृगया’ में प्रभावी अभिनय कर राष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम किया तो वहीं नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने भी देश और दुनिया में भरपूर नाम कमाया और पुरस्कार जीते। दोनों फिल्मी सितारे वर्षों से फिल्मी दुनिया में अपनी चमक-दमक बनाये हुए हैं। यह अलग बात है कि बॉलीवुड ने आज भी पूरी तरह से अपनी मानसिकता नहीं बदली है।’’ महिला डॉक्टर की बातों को बड़े ध्यान से सुनने के बाद मुस्कराते हुए उठ कर चल दी।
महिला के जाने के बाद मैंने अपने मित्र से प्रश्न किया कि उसे महिला को इतना सारा ज्ञान का डोज पिलाने की आखिर क्या जरूरत थी? सिर्फ यह कहकर उसे चलता किया जा सकता था कि, काले को गोरा बनाना किसी भी हालत में संभव नहीं। मित्र ने जो जवाब दिया उससे मैं चौंका। मेरी आंखें भी खोल दीं,
‘‘अपने यहां ऐसे डॉक्टर भी भरे पड़े है, जो रईसों की जेबें काटने के लिए ही डॉक्टर बने हैं। यह सौदागर किस्म के चेहरे काले को गोरा बनाने के लिए तरह-तरह के कैप्सूल और इजेक्शन लगाकर मोटी फीस वसूल करते रहते हैं। मैं नहीं चाहता था कि यह महिला किसी ऐसे डॉक्टर के जाल में फंस कर लाखों रुपए लुटाए और अंतत: माथा पीटती रह जाए। मैं यह भी जानता हूं कि यह महिला इतनी जल्दी हार नहीं मानेंगी और पांच-सात डॉक्टरों के यहां जरूर जाएगी। मेरे यहां सांवली और काली त्वचा वाली बेटियों के मां-बाप भी अक्सर आते रहते हैं। उनकी बेचैनी तो और भी देखते ही बनती है। बेटी के काले रंग को गोरे रंग में तब्दील करवाने के लिए वे कोई भी कीमत देने को तत्पर नजर आते हैं। जिस बच्ची ने अभी चलना भी नहीं शुरू किया उसके वैवाहिक संबंधों को लेकर उनकी नींद उड़ी रहती है। अपने देश में काले या सांवले रंग की बेटियों के रिश्ते आसानी से तय नहीं होते। काले रंग के युवा भी गोरी युवती की ही चाहत रखते हैं। कई मां-बाप तो यह भी मानते हैं कि काले लड़के या लड़की की संतान भी गोरी जन्मने से रही। वे इस तथ्य को नजरअंदाज कर देते हैं कि गोरे मां-बाप को यदि तीन संताने हैं, तो सभी का रंग एक सा नहीं होता। किसी बच्चे का रंग काला या सांवला भी होता है। कुछ हफ्ते पूर्व केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन ने अपनी त्वचा को लेकर की जाने वाली टिप्पणियों और तानों को लेकर बहुत कुछ कहा और बताया। देश के सबसे शिक्षित राज्य केरल में रंग को लेकर ऐसा भेदभाव है तो दूसरे प्रदेशों के लोगों की सोच की बड़ी आसानी से कल्पना की जा सकती है। शारदा मुरलीधरन कहती हैं कि मैं अक्सर सोचती रह जाती हूं कि लोगों को काले रंग से इतनी चिढ़ क्यों है? काला, तो इस ब्रह्मांड की सर्वव्यापी सच्चाई है। यह काला रंग ही है, जो सब कुछ अपने भीतर समा लेता है। शारदा बताती हैं कि जब मैं चार साल की थी तो मां से बार-बार पूछा करती थी कि क्या मुझे अपनी कोख में दोबारा डाल सकती हैं और झक गोरा तथा सुंदर बनाकर निकाल सकती है? शारदा की जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई, अपने रंग की चिंता से मुक्त होती चली गईं। उन्होंने पढ़ाई-लिखाई पर अपना संपूर्ण ध्यान केंद्रित रख उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनकी योग्यता ने ही उन्हें वी.वेणु जैसे खूबसूरत शासकीय अधिकारी की जीवनसाथी बनने का सौभाग्य प्रदान किया। यह भी काबिलेगौर है कि अपने पति वी.वेणु के रिटायर होने के पश्चात शारदा केरल की मुख्य सचिव बनीं हैं।
फिल्म अभिनेत्री नीना गुप्ता की पुत्री हैं, मसाबा गुप्ता। नीना गुप्ता ने विदेशी क्रिकेटर विवियन रिचर्ड से शादी किए बिना शारीरिक रिश्ता बनाते हुए मसाबा को जन्म दिया था, क्रिकेटर का रंग काला है। मोसाबा भी उसी पर गयी हैं। अब 35 वर्ष की हो चुकी हैं। अपना अच्छा खासा व्यवसाय है, लेकिन लोग अब भी काली कहकर नीचा दिखाने से बाज नहीं आते, लेकिन वह अपनी मस्ती में जीवन जीती हैं। फिल्म अभिनेत्री और निर्देशक नंदिता दास कहती हैं लोग उनकी त्वचा के रंग पर कटाक्ष क्यों करते हैं। मैंने फिल्मों में अभिनय करने के साथ-साथ निर्देशन भी किया है। मेरी प्रतिभा पर बोलने और लिखने की बजाय मेरे रंग पर जाने वालों पर अब तो मुझे दया आने लगी है। एक महत्वकांक्षी मॉडल-अभिनेत्री जो कभी विख्यात स्किन-व्हाइटनिंग क्रीम ब्रांड, दास ग्लो एंड लवली के विज्ञापनों में छायी रहती थी, उसी को हाल ही में एक टेलीविजन शो में मुख्य भूमिका से वंचित कर दिया गया, क्योंकि उसकी त्वचा का रंग काफी सांवला है, लेकिन उसे इसका कोई गम नहीं। वह अपने तरीके से जीने में यकीन रखती है। उसके लिए हर दिन जश्न है। जब कोई कटाक्ष करता है तो वह मुस्कुराते हुए इतना भर कह देती है, ये रंग मुझे अपने मां-बाप से मिला है, जिनकी तो मैं पूजा करती हूं...।